राजस्थान विशेष:-
खनिजों का अजायबघर, भारत में सर्वाधिक खानें राजस्थान में।क्षेत्र- अरावली तथा पठारी क्षेत्र(सर्वाधिक खनिज)
भारत में राजस्थान का स्थान विशेष-
अलौह खनिज - पहला
खनिज भण्डार - दुसरा
खनिज उत्पादन - तीसरा
लौह खनिज - चैथा
आय की दृष्टि से - पांचवा
100 प्रतिशत मिलने वाले खनिज - जास्पर व वोलस्टोनाईट
खनन प्रकार:- 24 प्रकार के
प्रधान - 23 प्रकार के
अप्रधान - , कोयला, मेग्निज, पेट्रौलियम, ग्रेफाईट
कमी (राजस्थान में पाये जाने वाले खनिजों की) -
प्रथम खनिज नीति - 1978(भैरोसिंह शेखावत)
खनिजों के प्रकार:-
धात्विक - खनिज, सीसा, जस्ता, चांदी, सोना, तांबा, लौहा, टंगस्टन, मैग्निज, बैरेलियम, कोबाल्ट, निकल
अधात्विक खनिज - संगमरमर, चाईनाक्ले, फ्लोराईट, ईमारती पत्थर, केलसाईट,बेन्टोनाईट, तांबड़ा, डोलो माईट, पाईराईटस, जिप्सम, एस्बेस्टोन, फायर क्ले, अभ्रक, राॅक फाॅस्फेट, हिरा, पन्ना, फेल्सपार, ग्रेनाईट, चुना पत्थर, घीया पत्थर, यूरेनियम, बीकानेर क्ले, वोलेस्टोनाईट, बैराईटस
ईंधन खनिज - कोयला, आण्विक खनिज, पेट्रौलियम
1.सीसा-जस्ता:- अवस्था- मिश्रित, उपनाम- गैलेना, सबसे बड़ी खान(राज. में) -देवारी, उदयपुर(एशिया की सबसे बड़ी, अरावली क्षेत्र में अवैद्य खनन के कारण वर्तमान में बंद, हिन्दूस्तान जिंक लि. नामक कारखाना यहीं स्थित है)। वर्तमान में सबसे बड़ी खान- जांवर, उदयपुर।
सुपर जिंक समेल्टर-चंदेरिया, चितौड़गढ़ में है(एशिया का सबसे बड़ा)। इसकी स्थापना- ब्रिटेन के सहयोग से।
सीसे जस्तें के भण्डार (30 लाख टन) - राजपुरा दरिबा, राजसमंद। जांवरमाला, मोचिया मगरा, बरोड़ मगरा पहाड़ी सीसे-जस्ते (उदयपुर) के लिए प्रसिद्व है।
प्रमुख क्षेत्र- जावर-उदयपुर, राजपुरा दरिबा-राजसमंद, रामपुराआंगुचा- भीलवाड़ा, चोथ का बरवाड़ा- सवाई माधोपुर।
2. चांदी:- उपनाम- अग्रेनाईट, बिजली की सर्वोत्तम सूचालक। विश्व में प्रथम स्थान(उत्पादन)- मैक्सिको,ं भारत में- राजस्थान(90प्रति.) प्रमुख क्षेत्र-रामपुराआंगुचा- भीलवाड़ा, जावर-उदयपुर।
3. सोना:- भारत में सोने की प्रमुख खान- कोलार व हट्टी (कर्नाटक), राजस्थान में सर्वाधिक भण्डार-आंनन्दपुर भुकिया(बांसवाड़ा), सोना दोहन का कार्य- जगतपुरा(बांसवाड़ा), सोने के नवीनतम भण्डार - नाभावाली तहसील, बांसडी गांव (दौसा) में मिले है।
सम्भावित नवीनतम भण्डार- अजमेंर, सीकर, झुंझुनूं, डूंगरपुर व बांसवाड़ा।
4.तांबा:- अलौह धातुओं में मिलने वाली सबसे प्रमुख धातु। आहड़(उदयपुर) ताम्र नगरी (प्राचिन काल), खेतड़ी(झुंझुनूं) ताम्र नगरी (वर्तमान में)। गणेश्वर सभ्यता (सीकर)-ताम्र युगीन सभ्यताओं की जननी। हिंदुस्तान काॅपर लि. खेतड़ी(झुझुनू)- भारत का सबसे बड़ा तांबा गलाने का संयंत्र, इसकी स्थापना अमेरिका की वेस्टर्न नेप इंजिनियरिंग कम्पनी के सहयोग से की गई।
प्रमुख क्षेत्र -खेतड़ी, सिंघाना (झुझुनूं), खो दरिबा (अलवर), बीदासर(बीकानेर)।
5. लौहा:- राजस्थान में लौहा मुख्यतः दो किस्मों में निकाला जाता है-हेमेलाईट(75 प्रतिशत) व मैग्नेलाईट(25 प्रतिशत)। राज्य में लौहें के सर्वाधिक भण्डार मौरिजा बनौला चैमू(जयपुर) में है। राज्य में लौहा सर्वाधिक उतरी-पूर्वी क्षेत्र मे निकाला जाता है।
प्रमुख क्षेत्र:-मौरिजा बनौला चोमू(जयपुर), नीमला राइसेला (दौसा), नीम का थाना(सीकर)।
6. टंगस्टन:- यह राजस्थान में मिलने वाली सर्वाधिक उच्च गंलनाक वाली धातु है। यह वुल्फ्रेमाइट अयस्क से प्राप्त होता है। टंगस्टन का प्रमुख प्रयोग बीजली का बल्ब बनाने के लिए किया जाता है। भारत मे टंगस्टन की एकमात्र खान नागौर-डेगाना-भाकरी गांव-रेवत पहाड़ी पर है। इसकी नवीनतम खोज वाल्दा सिरोही में की गई है।
7. मैग्नीज:- इसका मुख्य प्रयोग लौहे व इस्पात को कठोर बनाने के लिए किया जाता है। राजस्थान में मैग्नीज के सर्वाधिक भण्डार वाला जिला बांसवाड़ा है। प्रमुख उत्पादक जिले-बांसवाड़ा-उदयपुर-जयपुर।
8. बेरीलियम:- बेरीलियम बेरिल नामक खनिज से प्राप्त होता है। इसका प्रयोग अणु शक्ति में किया जाता है। बेरिलीयम के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र -उदयपुर, जयपुर, भीलवाड़ा है। यह कई रंगो जैसे- हरा, हल्का हरा, पीला, सफेद आदि में मिलता है तथा तोड़ने पर पारदर्शी जैसा दिखाई देता है।
अधात्विक खनिज
1. संगमरमर:- भारत में सर्वाधिक संगमरमर वाला राज्य राजस्थान है। राजस्थान में संगमरमर की दृष्टि से राजसमंद का पहला स्थान है। राजस्थान में संगमरमर की प्रथम खान आर.के.मार्बल्स के नाम से राजसमंद मे खोली गई। विश्व में प्रसिद्ध संगमरमर मकराना,नागौर का है। काला संगमरमर भैंसलाना जयपुर का प्रसिद्ध है। पीला संगमरमर जैसलमेर, हरा संगमरमर उदयपुर, हल्का हरा संगमरमर डूंगरपूर, गलाबी संगमरमर जालौर, बादामी संगमरमर जोधपुर, सातरंग संगमरमर खान्दरा(पाली), का प्रसिद्ध है। संगमरमर मण्डी किशनगढ़, अजमेर में स्थित है। यह मण्डी राष्ट्रीय राजमार्ग-8 पर स्थित है।
2. इमारती पत्थर:- इमारती पत्थर की दृष्टि से राजस्थान का भारत में प्रथम स्थान है। मेहरून पत्थर अलवर का प्रसिद्ध है। स्लेटी पत्थर अलवर का प्रसिद्ध है। काला ग्रेनाईट अजमेर जिले के बादनवाड़ा के पास शमालिया गांव का प्रसिद्ध है। पीला पत्थर जैसलमेर का प्रसिद्ध है। लाल पत्थर धौलपुर का प्रसिद्ध है। धौलपुर को रेड डायमण्ड के उपनाम से जाना जाता है।
3. तामड़ा:- तामड़े को गारनेट के नाम से जाना जाता है। तामड़े को स्थानिय भाषा में रक्तमणि कहा जाता है। तामड़ा राज्य मे 2 रूपो में पाया जाता है- जैम व अब्रेसीव। राजस्थान में सर्वाधिक तामड़ा जैम किस्म का पाया जाता है। राजस्थान मे तामड़े के सर्वाधिक भण्डार वाला जिला टोंक है। प्रमुख जिलेः- टोंक भीलवाड़ा अजमेंर।
4. जिप्सम:- जिप्सम को हरसोठ वे सेलखड़ी के नाम से भी जाना जाता है। यह अपने रवेदार रूप में सेलेनाइट कहलाता है। जिप्सम का प्रमुख उपयोग मिट्टी में क्षारीयता की मात्रा कम करने के लिए किया जाता है। जिप्सम का सर्वाधिक प्रयोग तिलहनी फसलों में किया जाता है। राजस्थान में जिप्सम का सर्वाधिक भण्डार गोठ मांगलोद नागौर में किया जाता हैं। राज्य में जिप्सम की सबसे बड़ी खान जामसर बीकानेर में है। प्रमुख क्षेत्र:- मोहनगढ़(जैसलमेर), सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर), जामसर (बीकानेर), गोठ मंगलोद(नागौर)।
5. अभ्रक:-
अभ्रक आग्नेय व कायान्तरित चट्टानों से मिलता है। सफेद अभ्रक को रूबी के नाम से जाना जाता है। हल्का गुलाबीपन लिये अभ्रक को बायोटाइट कहतें है। अभ्रक का सर्वाधिक उपयोग विद्युत रोधी ईंटे बनाने के लिए किया जाता है। सर्वाधिक विद्युत रोधी ईंटे बनाने वाला जिला भीलवाड़ा है। राज्य मंे अभ्रक का सर्वाधिक भण्डार वाला जिला भीलवाड़ा है। प्रमुख क्षेत्र भीलवाड़ा, उदयपुर, जयपुर।
6. हीरा:- भारत में हीरे की प्रमुख खान मध्यप्रदेश की पन्ना नामक स्थान पर है। जयपुर हीरे व जवाहरत के लिए प्रसिद्ध है। राजस्थान में हीरे की प्रमुख खाने केसरपुरा, मानपुरा(चितौड़गढ़) में है। मुम्बई को हीरा मण्डी के उपनाम से जाना जाता है।
7. चुना पत्थर:- चूना पत्थर को लाईम स्टोन के नाम से जाना जाता है। चूना पत्थर का सर्वाधिक भण्डार चितौड़गढ़ में है। राज्य में चूना पत्थरों का सर्वाधिक उपयोग सीमेंट उद्योग में होता है। प्रमुख क्षेत्र- निम्बाहेड़ा(चितौड़), सानू(जैसलमेर)।
8. घीया पत्थर:- घीया पत्थर को सोफ्ट स्टोन के उपनाम से जाना जाता है। इस पत्थर का सर्वाधिक प्रयोंग ब्लीचिंग पाउडर व टेल्कम पाउडर बनाने में किया जाता है। राजस्थान में घीया पत्थर का सर्वाधिक भण्डार वाला जिला उदयपुर है। अन्य जिलें- दौसा,भीलवाड़ा।
9. फेल्सपार:- अजमेंर जिले के मकरेश से राजस्थान का 95 प्रतिशत फेल्सपार प्राप्त होता है। यह सिरेमिक व कांच उद्योग में काम आता है। इस खनिज की उत्पति अभ्रक खानों से सह उत्पाद के रूप में होती है। यह अधिकाशतः अरावली पहाड़ीयों की पेग्मेटाईट सिराओं में मिलता है। फैल्सपार पोटाश, स्पट व सोडा स्पट का मिश्रण है।
10. पन्ना:- पन्ने को संस्कृत भाषा में मरकत व अंग्रेजी में एमरल्ड के नाम से जाना जाता है। पन्ने को स्थानिय भाषा में हरि अग्नि के नाम से जाना जाता है। राजस्थान में सर्वप्रथम इसका पता 1943 में उदयपुर के काला गुमान क्षेत्र में लगा। पन्ना बेरेलियम व एल्युमिनियम का जटिल मिश्रण है। पन्ना उत्पादक क्षेत्र - काला गुमान(उदयपुर), राजसमंद। ब्रिटेन की माईन्स मैनेजमेण्ट लिमि. कम्पनी ने अजमेर से नाथद्वारा तक पन्ने की नई पट्टी का पता लगाया है। पन्ने की राज्य में नई खोज देवगढ़(उदयपुर), कांकरोली(राजसमंद) के बिच में की गई है।
11. ग्रेनाइट:- जालौर को ग्रेनाइट सिटी के उपनाम से जाना जाता है। जालौर में गुलाबी रंग का ग्रेनाइट पाया जाता है।
12. राॅक फास्फट:- इसका प्रमुख प्रयोग रासायनिक खाद बनाने में किया जाता है। इसका सर्वाधिक भण्डार झामरकोटड़ा (उदयपुर) मंे देखने को मिलता है। अन्य- बांसवाड़ा, विरमाणिया व लाठी सीरिज जैसलमेेर।
13. एस्बेस्टोम:- यह दो मुख्य वर्गो में पाया जाता है- क्राइसोलाइट व एंम्फीबाॅल(राजस्थान में सर्वाधिक)। प्रमुख क्षेत्र- ऋषभदेव (उदयपुर) व नाथद्वारा(राजसमंद)।
14. अग्नि अवरोधक मिट्टी (फायरक्ले):- इसके सर्वाधिक भण्डार कोलायत बीकानेर में है।
15. डोलोमाइट:- इसमे कैल्सियम व मैग्नेशियम का दोहरा कार्बोनेट पाया जाता हैं। यह चिप्स, पाउडर व चूना पत्थर बनाने के काम आता है। उत्पादक क्षेत्र- जयपुर, अलवर, उदयपुर व सीकर।
16. पाईराइट्स:- राजस्थान के क सलादीपुरा, सीकर जिलें में इसके विशाल भण्डार है। इसका प्रयोग गन्धक, अम्ल, तेजाब व उर्वरक बनाने में होता है।
17. कैल्साईट:- इसका रासायनिक संगठन कैल्सियम कार्बोनेट है। इसलिए इसे कैल्सियम कार्बोनेट कहते है। इसका प्रयोग सुक्ष्म दर्शक यंत्र के निकन त्रिपाश्वो, ब्लीचिंग पाउडर व विस्फोटक पदार्थ बनाने में किया जाता है। प्रमुख जिलें-सीकर तथा उदयपुर(सर्वाधिक)
18. बेन्टोनाइट:- यह खनिज पानी में भिगााने पर फूल जाता है। इसके राज्य में सर्वाधिक भण्डार गिरल व हाथो की ढ़ाणी (बाड़मेर) में है।
19. चीनी मृतिका/चाइनाक्ले:- यह सब मिट्टीयों मंें मुल्यवान होती है। सिरेमिक सिलिकेट उद्योग के लिए चीनी मृतिका महत्वपूर्ण हाती है। राज्य में इसके क्षेत्र - सवाईमाधोपुर, सीकर, अलवर। उदयपुर के निकट खारा बारिया का गुढ़ा मंे चीनी मृतिका के काफी बड़े भण्डार प्राप्त हुए है।
20. फ्लोराइट/फ्लोर्सपार:- इसका उत्पादन 1956 से डूंगरपुर जिले मे मांडो की पाल में हो रहा है। इस खान की गिनती एशिया की प्रमुख खानों में होती है। यह मैटेलर्जी व हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के निर्माण में प्रयुक्त होता है। इसका प्रयोग रसायनिक उद्योगों, सिरेमिक उद्योगों व कीटनाशी पदार्थो में होता है।
21. कोयला:- राजस्थान लिग्नाईट (भूरा कोयला) किस्म का कोयला पाया जाता है। इसके भण्डारों की दृष्टि से राजस्थान का तमिलनाडू के बाद दूसरा स्थान है। पलाना, बरसिंगसर व कपूरड़ी में लिग्नाईट आधारित परियोजनाएं स्थापित की जा रही ंहै। पलाना का लिग्नाईट आधारित कोयला संसार का सर्वश्रेष्ठ कोयला है। सर्वाधिक कोयला कपूरड़ी,बाड़मेर व पलाना,बीकानेर में मिलता है।
कोयले के कुल भण्डार 10 करोड़ टन आकें गये है।
कोयला चार किस्मों में निकाला जाता है- एन्थ्रेसाइट(सबसे अच्छी किस्म), बिट्टूमिनस, लिग्नाइट, पीट(सबसे घटिया किस्म)।
लिग्नाईट आधारित परियोजनाएं निम्न चलाई जा रही है- गिरल परियोजना(बाड़मेर), कपुरड़ी परियोजना(बाड़मेर), बरसिंहपुर परियोजना (बीकानेर), पलाना परियोजना (बीकानेर)।
22. फायलक्ले/बाॅलकले/बीकानेर क्ले:-
इस खनिज का प्रयोग टाईल्स, स्पार्कप्लग आदि के निर्माण में किया जाता है।
उत्पादक क्षेत्र-कोलायत(बीकानेर)व देवीकोट (जैसलमेंर)।
23. क्वार्ट्ज:- क्वार्ट्ज का उपयोग सिरेमिक उद्योग व इलेक्ट्रोनिक यंत्र बनाने व चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने में किया जाता है। प्रमुख जिलें- अजमेंर, पाली व टोंक।
24. बुलस्टोनाइट/वोलस्टोनाइट:- इसका राजस्थान एकमात्र उत्पादक राज्य है। इसका प्रयोग पेंट, कागज व सिरेमिक उद्योगों में किया जाता हैं। प्रमुख उत्पादक जिलें:- खिल्ला, बेल्का (सिरोही) व उदयपुर। अजमेंर में होकरा-पदमपुरा में इसके भण्डार मिलें है।
25. यूरेनियम:- यह एक प्रमुख आणविक खनिज है। भीलवाड़ा में जहाजपुरा, बूंदी में हिण्डोली, टोंक में देवली में इसके भण्डार मिलें है। वर्तमान में इसका उत्पादन डूंगरपुर व बांसवाड़ा में होता है।
26. बैराइट्स:- इस महत्वपूर्ण खनिज का प्रयोग तेल के कूंए खोदने, रंग रोगन उद्योग, कागज उद्योग, दवाईयां आदि में किया जाता है। उत्पादन की दृष्ट्रि से उदयपुर का प्रथम स्थान है जहां जगतपुर नामक स्थान पर इसके सबसे बड़े भण्डार मिले है। बैराइटस को भारी पत्थर भी कहते है। यह एक ऐसा खनिज है जो चट्टानों को फोड़कर स्वतः बाहर निकलता है। उत्पादक क्षेत्र - जगतपुरा(उदयपुर), राजगढ़ (अलवर), उमर (बूंदी)।
27. वरमीक्युलाइट/मैग्नेसाइट:- यह ताप अप्रभावी व ध्वनी का अच्छा अवरोधक है। इसका राज्य में उत्पादक क्षेत्र उदयपुर है।
28. मुल्तानी मिट्टी:- मुल्तानी मिट्टी में राज्य का एकाधिकार है। यह बाड़मेर, बीकानेर व जैसलमेर में पायी जाती है।
29. लिथियम:- यह अजमेर में पाया जाता है। राजस्थान में यह अजमेर व राजगढ़ की खानों में पाया जाता है।
30. गेरू पत्थर:- यह चितौड़गढ़ जिलें में पाया जाता है। उत्तर प्रदेश के बाद देश में कांच बालूका का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान है। प्रमुख उत्पादक क्षेत्र - बारोदिया (बूंदी) व झर (जयपुर)।
31. स्लेट स्टोन:-यह पत्थर अलवर में पाया जाता है।
32. सिलिका रेत:-राजस्थान में उत्तर प्रदेश के बाद इसका सर्वाधिक उत्पादन होता है।
33. खनिज तेल:- यह अवसादी चट्टानों में मिलता है। सर्वप्रथम 1956 में हवाई चुम्बकीय सर्वेक्षण द्वारा जैसलमेंर में खनिज तेल व प्राकृतीक गैंस के संकेत मिलें। राजस्थान कें उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में तेलीय शैलों की एक श्रृंखला फैली हुयी है। इन शैलो का अधिकतम विस्तार जैसलमेर, जोधपुर व बीकानेर के पश्चिमी भाग में है। बाड़मेर जिलें की गुढ़ामलानी तहसील के नगर गांव तथा मामियों की ढ़ाणी में ब्रिटेन तेल कम्पनी केयर्न एनर्जी इंडिया प्रा. लि. को तेल का भण्डार मिला है। अब गुढ़ामलानी के ही झूड गांव में तीसरे कुएं की खुदाई की जाएगी। नगर के निकट खोदे गये कुओं को रामेश्रवरी नाम दिया गया है। ब्रिटेन तेल कम्पनी केयर्न एनर्जी प्रा. ली. को बाड़मेर के निम्न स्थानों में तेल के विपुल भण्डार मिलें है। बाड़मेर में बायतु क्षेत्र में कवास कस्बे के पास जोगसरिया(नगाणा) गांव में खोदे गये कुयें में तेल के विशाल भण्डार मिलें है। बाड़मेर-सांचोर के बेसिन में बोथिया गांव में केसर्न एनर्जी को तेल के भण्डार मिले है। यह क्षेत्र पूर्व में खोजे गए मंगला कूंए के उत्तर-पश्चिम में है। अब तक के परीक्षणों के आधार पर खनिज तेल के कुएं भण्डार 10 करोड़ टन अनुमानित किये गये है। सर्वाधिक तेल बाड़मेर मे उपल्बध है। गुढ़ामलानी (बाड़मेर) क्षेत्र में राज्य में सर्वाधिक ऊंचाई पर तेल मिला है। भारी तेल बाघेवाला (बीकानेर) में मिला है। बींझबायला (श्रीगंगानगर) मंे पेट्रोलियम के नवीनतम भण्डार मिले है। बाड़मेर में बायतु के पास नगना के बास गांव के करीब एनबी-1 कुएं की खुदाई मे विरल तेल की खोज हुई।
34. प्राकृतिक गैंस:- जैसलमेर के घोटारू में हीलियम गैस के तथा मनिहारी टिब्बा पर प्राकृतीक गैंस के विशाल भण्डार मिलें है। रामगढ मे गैस आधारित बिजलीघर स्थापित किया गया है। प्राकृतीक गैस के 10 अरब घन मीटर के भण्डार अनुमानीत किये गये