राजस्थान की प्रमुख सिंचाई परियोजनाएं:-

  • राजस्थान का कृषि सिंचित क्षेत्रफल 61.35 लाख हेक्टेयर है जो राज्य के कुल सघन कृषि क्षेत्र का 31.90 प्रतिशत हैं। 
  • सकल बोये गये क्षेत्र का सिंचित क्षेत्र - 35 प्रतिशत हैं।
  • 2/3 भाग असिंचित (वर्षा पर निर्भर)।
  • देश के कुल संसाधनो का 1.15 प्रतिशत राजस्थान में पाया जाता हैं।
  • 60 प्रतिशत आंतरिक प्रवाह का जल पाया जाता है।
  • सर्वाधिक सिंचाई वाले क्षेत्र:- क्षेत्रफलानुसार - गंगानगर,  अलवर, जयपुर, हनुमानगढ़



सिंचाई के साधन:-
पूर्वी भाग - नलकूपों व कुओं द्वारा 74प्रति. या 3/4 भाग (जयपुर)
उतरी भाग  - नहरों द्वारा 24प्रति. या 1/4 भाग(गंगानगर, हनुमानगढ़)
दक्षिणी भाग - तलाब व झरनों द्वारा भीलवाड़ा व बांसवाड़ा

Note :- जयपुर के साथ - साथ जैसलमेर में भी नलकूप हेतु आदर्श दशाएं पायी जाती हैं।, स्वतंत्रता के पश्चात् कुंए व नलकूप एवं नहर द्वारा सिंचित क्षेत्रो मे लगातार वृद्धी हुई है जबकि तलाब सिंचित क्षेत्रो में कमी आई हैं।
आकार के आधार पर सिंचाई परियोजनाएं:-
लघु सिंचाई                    मध्यम सिंचाई                        वृहत सिंचाई
2000 हैक्टेयर भूमि तक      2000-10000 है. भूमि तक        10000है. से अधिक भूमि तक 

नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्र का क्रम:-

IGNP

        भाखड़ा-नागल परियोजना
        गंगनहर परियोजना
        चम्बल नदी
भारत-पाक जल विवाद (1955-56):-
  • कारण:-हिमालय की नदीयों का पानी।
अन्तर्राष्ट्रीय जल विवाद (1985):-
  • सिन्धु व उसकी सहायक नदीयां।
  • सिंधु, चिनाब, व्यास, सतलज, रावी, झेलम।
पाक    -  सिन्धु  -  हिमालया की इन तीन नदियों को लेकर 1985 में अन्तर्राष्ट्रीय जल विवाद
              झेलम  -  आयोग:-इरादी/इराड़ी आयोग, रिर्पोट -1986 में दी।
              चिनाब
भारत
रावी  - राजस्थान को हिमालय नदियों का 8.6 ड।थ् पानी मिलना तय हुआ। 
व्यास - जिसका 7.59 MAF पानी IGNP से प्राप्त
सतलज   -   1.01 MAF अन्य से प्राप्त होता है।
फसलों में सिंचित क्षेत्र:-
1. गेंहू       2. राई व सरसों      3. कपास 

1. गंगनहर परियोजना:-
  • राजस्थान की जीवन रेखा।
  • राजस्थान की प्रमुख सिंचाई परियोजना।
  • यह विश्व की सबसे विकसीत व पुरानी नहर परियोजना हैं।
  • उदगम:- हुसैनीवाला फिरोजपुर से।
  • आधारशिला:- महाराजा गंगासिंह द्वारा 5 सितम्बर 1921 को फिरोजपुर हेड वक्र्स पर।
  • राजस्थान में प्रवेश:- खखा स्थान श्रीगंगानगर।
  • Note - सतलज का पानी राजस्थान में लाने के लिए 4 सितम्बर 1920 को पंजाब, भावलपुर व बीकानेर रियासत के मध्य सतलज घाटी पर समझौता हुआ।
  • उदघाटन:- 26 अक्टूबर 1927 को वायसराय लार्ड ईरवीन द्वारा शिवपुर हैड, फतुई(श्रीगंगानगर)।
  • कुल लम्बाई - 129 कि.मी., राजस्थान मे लम्बाई - 17 किमी., पंजाब मे - 112 किमी.।
  • राजस्थान में वितरीकाओं सहित कुल लम्बाई - 1280 किमी.।
  • गंगनहर की प्रमुख शाखाएं - लक्ष्मीनारायण, लालगढ़, कर्णजी, समेजा।
  • गंगनहर राजस्थान में शिवपुर श्रीगंगानगर, जौरावरपुरा, पदमपुर, रायसिंह नगर और स्वरूपसर से होती हुई अनुपगढ़ (अंतिम बिन्दू) तक जाती हैं।
  • गंगनहर से मुख्यतः सिंचाई गंगानगर में होती हैं।
  • गंगनहर के निर्माण कराने के कारण महाराजा गंगासिंह को आधुनिक भारत व राजस्थान का भागीरथ कहा जाता हैं।
  • आधुनिकरण:- केन्द्रिय जल आयोग द्वारा 31 मई 2000 को प्रारम्भ होकर वर्ष 2008 के अंत में पूर्ण हुआ।
  • इस नहर के कारण श्रीगंगानगर के शुष्क भागों को फलों के उद्यान व खद्यान भण्डार में बदल दिया गया।
  • गंगनहर से राजस्थान को .33 ड।थ् पानी की पूर्ति होती हैं।
  • गंगनहर से पूर्व ब्रिटिश काल में श्रीगंगानगर में सरहिन्द नहर व बीकानेर में प. यमुना नहर से सिंचाई होती थी परन्तु यह दोनों मौसमी नहरें थी।
गंगनहर लींक चैनल:-
  • निर्माण:- 1984उदगम्:- हरियाणा के लौहगढ़ स्थान से।
  • यह हरियाणा व पंजाब में बहनें के बाद राजस्थान में श्रीगंगानगर जिले से प्रवेश करती हैं।
  • इसें गंगानगर के साधुवाली स्थान  पर गंगनहर से जोड़ दिया गया है।
  • उद्देश्य:- गंगनहर के जीर्णोद्धार के समय श्रीगंगानगर जिले को सिंचाई व पेयजल उपलब्ध करवाना।
  • जवाहर लाल नेहरू ने इसे आधुनिक भारत के मंदिर कहा हैं।
2. इंदिरा गांधी नहर परियोजना -
  • हिमालय का पानी राजस्थान में लाने का सपना डूंगरसिंह ने देखा।इस सपने को पुरा गंगासिंह नें किया।
  • सार्दूल सिंह ने 1948 में बड़ी परियोजना के लिए पंजाब के इंजिनियर कुंवर सेन को आमंत्रित किया।
  • कुवंर सेन द्वारा भारत सरकार को पत्र लिखा गया जिसका शीर्षक -बीकानेर राज्य को पानी की आवश्यकता था।
  • भारत सरकार ने जवाब में राजस्थान स्वतंत्र नहर निकाय का गठन किया।इसका अध्यक्ष कुंवर सेन को बनाया गया।
  • नहर का प्रारूप व कार्य कंवर सेन के नेतृत्व में पुरा हुआ।
  • कंवरसेन को मरूस्थल का भागीरथ कहा जाता हैं।कंवरसेन प्रथम पद्म भूषण पुरस्कृत व्यक्ति हैं।
  • उपनाम्:- राजस्थान की मरूगंगा व राजस्थान की जीवन रेखा।
  • इसका प्रारम्भिक नाम राजस्थान नहर था परंतु इंदिरागांधी की मृत्यु के बाद 2 नवम्बर 1984 को नाम बदलकर इंदिरा गांधी नहर रखा गया।
  • 1948 में जल पूर्ति हेतु रिर्पोट प्रस्तुत की जिसमें सतलज नदीं पर हरिके बैराज बनाकर उससे सिंचाई का सुझाव दिया गया।
  • भारत सरकार ने सतलज व व्यास नदी ंके संगम पर फिरोजपुर से 1952 में हरिके बैराज का निर्माण किया।
  • IGPN का उद्घाटन:- 31 मार्च 1958 को गोविंद वल्लभ पंत  (तत्कालीन गृहमंत्री) द्वारा किया गया।
  • यह पंजाब व हरियाणा में बहने के बाद राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की टिब्बी तहसील के खरा गांव से प्रवेश करती हैं।
  • इस नहर के दो भाग हैं- 1. राजस्थान फिडर    2. मुख्य नहर ।
  • इसकी कुल लम्बाई:- 649 किमी हैं।(राज. फिडर - 204किमी व मुख्य नहर - 445किमी)
  • राजस्थान फिडर 204 किमी (पंजाब-150किमी, राज.- 35किमी, हरि. - 19किमी) हरिके बैराज(पंजाब) से मसीतावाली हैड(हनुमानगढ़) तक हैं।(यह 1992 में पूर्ण हुई)
  • लोकार्पण:-11 अक्टूबर 1961 को उपराष्ट्रपति डाॅ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा नौरंगदेसर स्थान पर।
  • नहर में पानी प्रती सैकण्ड दर 523 क्युसेक घनलीटर/सैकण्ड
  • प्रारंभ में अनुमानीत लागत 64 करोड़ रूप्ये थीं।इस परियोजना में वर्तमान में 3120 करोड़ रूप्यें खर्च हो चुके हैं।
  • इसके पूर्ण होने में अनुमानीत लागत 1995 करोड़ रूप्यें हैं।इसकी सिंचाई क्षमता 19.63 लाख हैक्टेयर।
  • शाखा़वितरिकाओं की लम्बाई - 9425 किमी।शाखा़वितरिका़नालीयों की कुल लम्बाई - 64000किमी(पृथ्वी के पांच चक्कर पूरे हो सकते है)इसके निर्माण में निकाली गई कुल मिट्टी - 39 करोड़ टन (मांऊण्ट एवरेस्ट से ऊंची)
  • इसका निर्माण दो चरणों में पूर्ण हुआ:-
प्रथम चरण:- 1958-1978 के लगभग पूर्ण
  • इस चरण में निर्माण पूगल के पास छतरगढ़ तक 11 अक्टूबर 1961 को उपराष्ट्रपती सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा नौरगदेसर वितरिका से सर्वप्रथम जल प्रवाहित कर उद्घाटन किया गया।इस चरण में 204 किमी फिडर नहर व 189 किमी मुख्य नहर शामिल हैं।प्रथम चरण में कंवरसेन लीफ्ट नहर का निर्माण हुआ।यहां वनरोपण के लिए विश्व बैंक द्वारा वन सेना बनाई गई।
  • अरावली वृक्षा रोपण कार्यक्रम व OEC-UP कम्पनी द्वारा 1998 से वनारोपण कार्यक्रम चलाया जा रहा हैं।
  • 1990-91 तक IGPN द्वारा 5.7 लाख हैक्टेयर सिंचाई क्षमता का सृजन हुआ।
द्वितीय चरण:-
  • निर्माण:- 1972-73 में प्रारंम्भ व 31 दिसम्बर 1986 में पूर्ण।
  • जनवरी 1987 को तत्कालीन केन्द्रिय मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा इसमें जल प्रवाहित किया गया।
  • इस चरण में मुख्य नहर की लम्बाई 256 किमी. ।
  • वितरीका की लम्बाई:- 5959 किमी (प्रस्तावीत)।
  • इस चरण में पूगल गांव के सतासर से मोहनगढ़ तक निर्माण कार्य हुआ।
  • शाखा:- रावतसर, दांतौर, बरसलपुर, चारण वाला, शहीद बीरबल, सागरमल गोपा(पूगल)।
  • इस चरण के अंतर्गत 1998 में वनारोपण व चारागाह विकास कार्यक्रम जापान की प्ब्थ् संस्था के सहयोग से चलाया गया।
  • इस नहर की उपशाखाएं:- लीलवा, दीघा, गढरारोड़़।
  • गढरारोड़ को बरकतुला खां व रामदेव शाखा के नाम से भी जाना जाता हैं। गढरारोड़ को 0 पाॅईन्ट के नाम से भी जाना जाता हैं
  • IGPN का अंतिम छोर गढरारोड़ (बाड़मेर) हैं।
  • IGPN ki   आठ शाखाएं दंायी ओर से जबकी रावतसर शाखा बांयी ओर से निकाली गई हैं।
  • IGPN pak की सीमा के समानांतर 40 किमी. की औसत दूरी पर स्थित हैं।
  • IGPN में 7 लीफ्ट नहर (1 निर्माणाधीन, 1 प्रस्तावीत, कुल 9), 9 शाखाएं व 3 उपशाखाएं हैं।
  • IGPN से राजस्थान का पश्चिमी क्षेत्र लाभान्वित हो रहा हैं।
  • IGPN se गंगानगर व हनुमानगढ में सैम की समस्या सर्वाधिक हैं।
  • सैम समस्या दूर करने के लिए जिप्स्म का प्रयोग सर्वाधिक किया जाता हैं। 
  • हनुमानगढ़ के सैम ग्रस्त क्षेत्र के उपचार कार्य नीदरलैण्ड (हाॅलैण्ड) के आर्थिक सहयोग से किया जा रहा हैं।
  • यह कम्पनी इण्डोडच नाम से जानी जाती हैं।
  • IGPN से राजस्थान के लगभग नौ जिले लाभान्वित है-
         1 गंगानगर  2 बीकानेर  3 जैसलमेर  4 बाड़मेर  5 जौधपुर  6 नागौर  7 झुझुनूं  8 चुरू  9 हनुमानगढ़
  • IGPN:-झुझुनूं जिले को केवल पेयजल की सुविधा उपलब्ध होती हैं।
  • IGPN का सर्वाधिक कमाण्ड एरिया जैसलमेर व बीकानेर जिले का हैं।
प्रमुख उद्देश्य:- रावी व व्यास नदियों के जल से राजस्थान को आवंटित 8.6 ड।थ् पानी में से 7.59 ड।थ् पानी की व्यवस्था करना।
  • रावी-व्यास जल विवाद हेतू ईराड़ी आयोग (1986) का गठन किया गया।
  • IGPN के निर्माण हेतू 1958 में अन्तराज्जीय राजस्थाान नहर बोर्ड का गठन किया गया जिसका प्रथम अध्यक्ष कंवर सेन को बनाया गया।
  • IGPN पर 9 लीफ्ट नहरें है जिनमें से 7 पूर्णतः निर्मित है:-
प्राचिन नाम - नौहर-साहवा लिफ्ट नहर,,लूणकरणसर लिफ्ट नहर,गजनेर लिफ्ट नहर, बांगडसर लिफ्ट नहर, कोलायत लिफ्ट नहर, फलौदी लिफ्ट नहर, पोकरण लिफ्ट नहर, वर्कतुल्ला खां (गढरारोड़, भेरूदान चालानी

नये नाम -  चैधरी कुम्भाराम आर्य, लूणकरणसर लिफ्ट नहर, पन्नालाल बारूपाल, वीर तेजाजी लिफ्ट नहर, डाॅ. कर्णसिंह लिफ्ट नहर, गुरू जम्भेश्वर लिफ्ट नहर, जयनारायण व्यास लिफ्ट नहर, प्रस्तावीत, प्रस्तावीत

प्रभावीत जिलें -  हनुमानगढ़, चुरू, झुझुनूं,  बीकानेर, गंगानगर (कुछ भाग), बीकानेर, नागौर, बीकानेर, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर, जोधपुर, जैसलमेर, जोधपुर, गढ़रा रोड़, बाड़मेर, बाड़मेर
Note रू. IGPN एक बार में 60 MAF पानी भराव क्षमता है (ऊपर उठा सकती है)।

भाखड़ा - नागल परियोजना:-
  • देश की सबसे बड़ी  नदी घाटी परियोजना।
  • राजस्थाऩ, पंजाब़, हरियाणा की संयुक्त परियोजना।
  • इस परियोजना से राजस्थान को हिमालय की नदींयो से .21 MAF पानी मिलता हैं।
  • इस परियोजना का प्रथम विचार 1909 में पंजाब गर्वनर लुईस डेन ने दिया।
  • भाखड़ा व नागल नामक दो स्थानों पर भाखडा(हिमाचल) व नागल(पंजाब) दो बांध बनाये गये हैं।
  • भाखड़ा बांध देश का सबसे ऊंचा बांध हैं।
  • सतलज नदीं पर बने इन बांधों से निर्मित यह परियोजना वर्तमान में विश्व की सबसे बड़ी परियोजना हैं।
  • भाखड़ा बांध की विशालता को देखकर पंडित नेहरू ने इसे चमत्कारिक विराट वस्तु की संज्ञा दी।
  • पंजाब के अेझियार जिले में स्थित इस परियोजना का प्रांरम्भ 1947 में किया गया तथा 1963 में पंडित नेहरू ने इसे लोकार्पित किया।
  • इन दोनों बांधों के मध्य बना जलाशय गोविन्दसागर एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील मानी जाती हैं।
  • इस परियोजना से सर्वाधिक लाभ हनुमानगढ जिले को होता है। जबकि नागल बांध पर बने गंगवाल व कोटला नामक विद्युत ग्रहों से गंगानगर, बीकानेर, चुरू, झुझुनूं शहरों को विद्युत प्राप्त होती हैं।
4. चम्बल परियोजना:-
  • 1853-54 में प्रारम्भ।
  • राजस्थाऩउण्चण् की संयुक्त परियोजना (50%+50%)।
  • इस योजना को अंतिम रूप नौकायन आयोग व केन्द्रिय जल शक्ति आयोग के द्वारा 1950 मे दिया गया।
  • इस परियोजना को तिन चरणों में पुरा किया गया:-
  • प्रथम चरण में रामपुरा/मानपुरा व भानपुरा पठारों के बिच मंदसौर(एम.पी.) में गांधी सागर बांध व कोटा में सिंचाई के लिए कोटा बैराज का निर्माण 1960 में पूर्ण कर लिया गया।
Note:-  कोटा सिंचाई बैराज से 8 नहरें निकाली गई है तथा यह परियोजना का एकमात्र बांध है जिससे सिंचाई होती हैं।
  • द्वितीय चरण में राणा प्रताप सागर बांध का निर्माण चूलिया जल प्रपात के पास रावतभाटा चितौड़गढ़ में 1920 में पूर्ण किया गया। इस भराव क्षमता वाले बांध पर राजस्थान का प्रथम व देश का दूसरा परमाणु विद्युत ग्रह स्थापित हैं(कनाडा के सहयोग से)।
  • यह विश्व का सबसे सस्ता बांध हैं। इसका निर्माण 31 करोड़ में हुआ हैं।
  • इस बांध का एक छोर कोटा व दूसरा छोर बूंदी में है।
  • तृतीय चरण में कोटा के बोरावास गांव के समीप जवाहर सागर (कोटा बांध) नामक बांध का निर्माण 1972 में पूर्ण किया गया। यह मूलतः पिकअप बांध हैं। इसमें गांधीसागर व राणा प्रताप सागर का अधिशेष जल डाला जाता हैं।
  • इस परियोजना से कुल 386 मेगावाट विद्युत प्राप्त होती हैं। जिससे 193 मेगावाट राजस्थान को प्राप्त होती हैं। 
  • इसकें द्वारा सिंचाई:- कोटा, बूंदी, बारां में होती हैं।
माही बजाज सागर परियोजना:-
  • राजस्थान + गुजरात (45%+55%)
  • यह संयुक्त परियोजना हैं।
  • इसका शुभारम्भ 1959-60 में हुआ हैं।
  • इसे श्रीमती इंदिरा गांधी ने 1983 में लोकार्पित किया।
  • इस योजना को भी तीन चरणों में पुरा किया गया:-
प्रथम चरण:-
  • बांसवाड़ा में बोरखेड़ा के पास 3109 मीटर लम्बे माही बजाज सागर बांध का निर्माण किया गया। यह राज्य का सबसे लम्बा बांध हैं।
  • यह आदिवासी क्षेत्र/दक्षिणी राजस्थान की सबसे बड़ी परियोजना हैं।
द्वितीय चरण:-
  •  बांसवाड़ा में हि कागदी नामक पिकअप बांध का निर्माण किया गया। इस बांध से भीखा भाई सागलवाड़ा व आनंदपुरी नामक की दो नहरें निकाली गई हैं जिससे डंुगरपुर जिले की सिंचाई होती हैं
  • तृतीय चरण:-
  • इसमें गुजरात में कडाना बांध का निर्माण किया गया। जिसमें 100 प्रतीशत वितिय राशी गुजरात सरकार ने व्यय कि लेकिन यहां बने विद्युत ग्रह से राजस्थान को विद्युत प्राप्त होती हैं। 
  • इसके अलावा बांसवाड़ा में लीलावानी नामक स्थान पर भी विद्युत ग्रह स्थापित किये गये है जहां से 140 मेगावाट विद्युत प्राप्त होती हैं। इस परियोजना में सर्वाधिक भाग बांसवाड़ा को मिलता हैं।
व्यास परियोजना:-
  • राजस्थाऩपंजाब़हरियाणा़भ्च् की संयुक्त परियोजना।
  • इस परियोजना को दो चरणों में पुरा किया गया।
प्रथम चरण:-व्यास, सतलज, लिंक नहर व हिमाचल प्रदेश में पन्दोड़/पदोह का निर्माण किया गया। इसमें सीधा जल प्राप्त न होकर  IGNP द्वारा।
द्वितीय चरण:-हिमाचल प्रदेश में ही पोग नामक बांध का निर्माण व्यास नदी पर किया गया। जिसका उद्देश्य IGPN  को शीतकाल में जलापूर्ति करना हैं। इस परियोजना से तीनों राज्यों की 21 लाख हैक्टेयर भूमि सिंचित होती है तथा राजस्थान का 150 एम.जी. विद्युत उत्पन्न होती हैं। ईराड़ी आयोग के तहत राज्य को व्यास परियोजना से 86 लाख हैक्टेयर फूट क्युसेक पानी मिलेगा। 
राजीव गांधी/ सिद्धमुख नोहर परियोजना:-
  • यह परियोजना 1981 के राजस्थान, पंजाब, हरियाणा के मध्य समझौते का परिणाम हैं।
  • इसका शिलान्यास 5 अक्टूबर 1989 को राजीव गांधी द्वारा किया गया।
  • इस परियोजना को आर्थिक सहायता 1993 में यूरोपियन आर्थिक समुदाय से मिली थी।
  • इसमें रावी, व्यास के अतिरिक्त जल को लाया जाता हैं।
  • यह परियोजना राजस्थान मेें हनुमानगढ़ जिले के भिराणी गांव से प्रवेश करती हैं।
  • इस परियोजना के अंर्तगत भाखड़ा-नागल हैटपम्र्स से पानी लाने के लिए 254 किमी. लम्बी नहर का निर्माण किया गया जो  IGNP के पश्चात् सबसे लम्बी नहर हैं।
  • लाभान्वित जिले:- चुरू, हनुमानगढ़।
  • सिद्धमुख नहर से हनुमानगढ़ की नोहर व भादरा तथा चुरू की राजगढ़ व तारानगर तहसील को सिंचाई की व्यवस्था करवाई जाती हैं।
  • 12 जुलाई 2002 में सोनिया गांधी ने इस परियोजना को हनुमानगढ़ जिले के भादरा तहसील के भिरानी गांव से लोकार्पित किया तथा इसका नाम सिद्धमुख नौहर से बदलकर राजीव गांधी सिद्धमुख नहर परियोजना कर दिया।
  • इस परियोजना से राजस्थान को 0.47 एम.ए.एफ. पानी की पूर्ति होती हैं।
बीसलपुर परियोजना:-
  • बीसलपुर गांव टोडारायसिंह, टोंक में स्थित।
  • नदी:- खारी, बनास, डाई।
  • यह राजस्थान का कंकरीट से बना सबसे बड़ा बांध हैं।
  • इस बांध से जयपुर, टोंक, किशनगढ़, ब्यावर, सरवाड़ा(अजमेर), शहरों को जलापूर्ति होती हैं।
पांचना बांध:-
  • स्थान:- गुड़ला गांव (करौली)।
  • यह राजस्थान का मिट्टी निर्मित सबसे बड़ा बांध हैं।
  • यह अमेरिका के सहयोंग से पूर्ण हुआ हैं।
बीलास परियोजना:-
  • स्थान:- मानपुरा (टोंक)।
  • न्दी:- बीलास व बांध:- बीलास।
  • यह राज्य का मिट्टी निर्मित दूसरा सबसे बड़ा बांध हैं।
बैथली सिंचाई परियोजना:-
  • स्थान:-बांरा।
  • नदी:-बेतली नदी (पार्वती की सहायक नदी)।
  • नाबार्ड की वितिय सहायता से इस परियोजना को विकसीत किया गया हैं।
नारायण सागर परियोजना:-
  • स्थान:- अजमेर (ब्यावर)।
  • बंध:- नारायण सागर।
  • नदी:- खारी।
  • अजमेंर जिले की समंदर।
  • 25 दिसम्बर 2002 को अटल बिहारी वाजपेयी ने इस परियोजना से सतलज धारा योजना का शुभारम्भ किया।
इंदिरा गांधी लिफ्ट सिंचाई परियोजना:-
  • स्थान:- कसेड़ गांव, मण्डराथल (करौली)।
  • नदी:- चम्बल।
  • यह सवाई माधोपुर व करौली की सबसे बड़ी परियोजना हैं।
  • इस परियोजना में पानी को एक बार में 124 मीटर उठाने के लिए लिफ्ट लगाई गई है।

पीपलाद लिफ्ट सिंचाई परियोजना:-
  • स्थान:-खण्डार(सवाई माधोपुर)।
  • नदी:-चम्बल नदी।
  • इसमें पानी को एक बार में 58 मीटर उठाने के लिए लिफ्ट लगी हैं।
सोम कागदर सिंचाई परियोजना:-
  • स्थान - खेरवाड़ा, (उदयपुर)।
  • यह परियोजना उदयपुर की 495 हैक्टेयार भूमि को सिंचित करती हैं।
सोम-कमला-अम्बा परियोजना:-
  • स्थान - कमला अम्बा गांव (डूंगर पुर)।
  • नदी - सोम।
  • यह डूंगरपुर की आशापुरा तहसील व उदयपुर की सलुम्बर तहसील की भूमि को सिंचित करती है
औराई सिंचाई परियोजना:- स्थान:-भोपालपुरा (चितौड़गढ़)।, नदी:- ओराई।
छापी सिंचाई परियोजना:- स्थान -झालावाड़।, नदी - चोली।
बंद बारेठा सिंचाई परियोजना:- स्थान - बरेठा (भरतपुर)।, नदी - कुकुंद / कुकुण्ड नदी।
भीम सागर परियोजना:- स्थान -झालावाड़।, नदी - उजाड़।
हरिशचंद्र सिंचाई परियोजना:- स्थान झालावाड़ं, नदी - काली सिंधं
मनोहर थाना सिंचाई परियोजना:- स्थान -झालावाड़।, नदी - परवन।
अडवान परियोजना:- स्थान - भीलवाड़ा।, नदी - मानसीं
सावन - भादो परियोजना:- स्थान - कोटा।  नदी - आरू।
बंगेरी का नाका परियोजना:- स्थान:- राजसंमद, नदी - बनास।
जंगार परियोजना:- स्थान - करौली।, नदी -जंगारं
नंदसंमंद परियोजना:- स्थान - राजसमंद।, नदी - बनास।
चूलीदेह परियोजना:- स्थान - करौली।, नदी - भद्रावती।
माधोसागर सिंचाई परियोजना:- स्थान - दौसा।, नदी - भद्रावती।
मानसी वाकल सिंचाई परियोजना:- स्थान - उदयपुर।,  नदी - उरसियां।
आपणी परियोजना:- स्थान - हनुमानगढ़ व चुरू।, नदी - IGNP (लक्ष्मीनरायण मितल द्वारा)।
राजीव गांधी परियोजना:- स्थान - जोधपुर।, नदी -IGNP
मेजा बांध परियोजना:- स्थान - माण्डलगढ़ (भीलवाड़ा)।, नदी - कोठारी।
जवाई बांध परियोजना:- स्थान - अमरपुरा रेलवे स्टेशन, पाली।, नदी - जंवाई (राज. का अमृत सरोवर) निर्माता - उम्मेदसिंह (मारवाड़ का भागीरथ)।
जाखम बांध:- स्थान - अनुपपुरा गांव (प्रतापगढ़)।, नदी - जंवाई।, यहां राजस्थान का सबसे ऊंचा बांध हैं(81 मीटर) 

नर्मदा परियोजना:-
  • स्थान - सांचैर(जालौर), गुडामलानी(बाड़मेर)।
  • नदी - नर्मदा।
  • नर्मदा नहर गुजरात के सरदार सरोवर बांध से निकाली गई। इस बांध से राजस्थान को 0.5 एम.ए.एफ. पानी प्राप्त होता है।
  • इसकी राजस्थान में लम्बाई 74 किमी. व गुजरात में लम्बाई 488 किमी. है।
  • 27 मार्च 2008 को सीलुगांव जालौर से इस परियोजना द्वारा पहली बार जल का प्रवेश किया गया।
  • यह जल प्रवेश वसुंधरा राजे द्वारा करवाया गया।
  • राजस्थान की यह प्रथम परियोजना है जिसमें सिचांई केवल स्पीकलर (फव्वारा प्रद्विती) से ही करने का प्रावधान है।
  • इसकी कुल 12 वितरिकाएं हैं।
  • इसे मारवाड़ की भागीरथी कहा जाता हैं।
गुड़गांव नहर परियोजना:-
  • 1966 से 1985
  • हरियाणा राजस्थान की संयुक्त परियोजना।
  • यह यमुना नदी से ओखला के पास से निकलती हैं।
  • राजस्थान में प्रवेश- हरियाणा के बाद भरतपुर जिले की कामा तहसील जुरेरा गांव में।
  • गुड़गाव नहर से भरतपुर की कामा व डीग तहसील में सिंचाई की व्यवस्था उपलब्ध है।
  • प्रमुख लक्ष्य:- यमुना नदी के पानी का मानसुन काल में उपयोग करना।
  • इसका नाम बदलकर यमुना लिंक नहर कर दिया गया हैं।
  • क्षमता - 2100 क्युसेक।
  • राजस्थान को 500 क्युसेक पानी मिलता है।
  • गुडगांव नहर यमुना जल समझौते में राजस्थान को आंवटित जल का 70 प्रतिशत भाग उपयोग में लेगी।
भरतपुर नहर परियोजना:-
  •  निर्माण - 1964
  • यमुना की आगरा नहर से निर्माण।
  • यु.पी. में बहने के बाद भरतपुर में प्रवेश।
  • कुल लम्बाई 28 किमी.।
  • यु.पी. मे 16 व राजस्थान में 12 किमी.।
  • भरतपुर नहर से पूर्वी राजस्थान में सिंचाई की व्यवस्था की जा रही हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य:-
  • राजस्थान की जीवन रेखा -IGPN
  • पश्चिमी राजस्थान की जीवन रेखा - लूणीं
  • दक्षिणी राजस्थान की जीवन रेखा - माही
  • राजसमंद की जीवन रेखा - नंदसमंद
  • गंगानगर की जीवन रेखा - गंगनहर
  • बीकानेर की जीवन रेखा - कंवरसेन 
  • भरतपुर की जीवन रेखा - मोती झील
  • अलवर की जीवन रेखा - साबी नदी
  • जयपुर की जीवन रेखा - आमीनशाह का नाला
  • गुजरात की जीवन रेखा - नर्मदा नदी