हाड़ौती के चौहान


  • राजस्थान का दक्षिणी-पूर्वी पठारी भाग हड़ौती क्षेत्र कहलाता है हड़ौती के पठार की मिट्टी काली है जो कपास उत्पादन हेतु उपयोगी है। 
  • हड़ौती प्रदेश में कोटा, बूंदी, बांरा, झालावाड़ चार जिले आते है।
  • रणकपुर प्रशष्ति में बंूदी का नाम वृन्दावती मिलता है।
  • बूंदी का नाम बंूदा मीणा के नाम पर पड़ा।
  • बूंदी में चौहान वंश की नींव देवा चौहान ने की। 
  • बूंदी के तारागढ़ दुर्ग/तिलस्मी किले का निर्माण बर सिंह ने कराया। किपलिंग ने बंूदी के तारागढ़ दुर्ग के लिए कहा है कि यह किला मानव  द्वारा नहीं प्रेतों द्वारा निर्मित है। 
  • मेवाड़ के महारणा क्षेत्र सिंह ने बूंदी राज्य को मेवाड़ के अधीन किया।
  • राणा लाखा (मेवाड़) ने बूंदी का मिट्टी का किला बनवा कर उसे तोडक़र अन्न गृहण किया मिट्टी का किला ध्वस्त करते समय कुम्भकर्ण ने अपने प्राण दिये।
  • 1527 के खानवा युद्ध में बूंदी के नारायण दास ने सांगा का साथ दिया।
  • सूरजमल हाड़ा ने अपनी बहिन कर्णावती का विवाह मेवाड़ के राणा सांगा से किया।
  • बूंदी के सूरजमल हाड़ा ने 1569 में अकबर की अधीनता स्वीकार की सुरजनसिंह का दरबारी कवि चंद्रशेखर या जिसने सुर्जन चरित व हमीर हठ नामक ग्रंथ लिखे।
  • बूंदी के रतनसिंह को चित्रकला प्रेमी होने के कारण जँहागीर ने सर बंदुराय की उपाधि दी।


  • शाँहजहां ने 1631 ने रतनसिंह के पुत्र माधोसिंह को बंूदी से कोटा रियासत अलग करके वहां का शासक बनाया। 
  • मुगल शासक फर्खर्युसिअर ने बूंदी का नाम फरूखा बाद रखा।   

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