सिरोही, कोटा & झालावाड़ के चौहान Notes


  • सिरोही का प्राचीन नाम अर्बुद प्रदेश या कर्नल टॉड ने इसका नाम शिव पुरी बताया है।
  • अर्बुद प्रदेश की राजधानी चंद्रावती थी।
  • 1311 ई० में लुम्बा चौहान ने सिरोही में देवड़ा चौहान वंश की नींव रखी।
  • 1425 ई० में सहसमल ने सिरोही नगर बसाया व सिरोही को राजधानी  बनाया।
  • 1527 ई० में खानवा के युद्ध में सिरोही के अखैराज देवडा उडऩा अखैराज ने रांणा सांगा का साथ दिया। अखैराज देवड़ा से जोधपुर में लोहियाना दुर्ग बनवाया।
  • सिरोही का सुरताण देवड़ा अकबर का विरोधी था लेकिन अकबर ने रायसिंह को भेजकर इसके विद्रोह की दबाया।
  • 1823 में सिरोही के शिवसिंह ने अग्रंजों से संधि की अंग्रेजों से संधि  करने वाली राजस्थान की अंतिम रियासत सिरोही थी।
  • एकीकरण के छठे चरण में 26 जनवरी 1950 को सिरोही राजस्थान में  विलय हुआ।
  • बूंदी के विष्णु सिंह ने 1818 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी से संधि की।
  • बूंदी के रामसिंह हाड़ा डाकन प्रथा व कन्या वध पर रोक लगाई व इसी के शासन काल में सूर्यमल मिश्रण ने वशं भास्कर व नामक पुस्तक लिखी।

कोटा के चौहान 

  • कोटा का नाम कोटिया भील के नाम पर पड़ा। 
  • 1631 ई० में शाहजहां ने कोटा को बूंदी से पृथक कर बूंदी के माधोसिंह  को कोटा का शासक बनाया।
  • कोटा के मुकुंद सिंह ने अपनी प्रेमिका अबलीमीणी का महल कोटा के   दर्रा अभयारण्य मे बनवाया जिसे राजस्थान का दूसरा ताजमहल कहते है।
  • कोटा के शत्रुशाल व जयपुर के माधोसिंह के बीच भट्वाड़ा का युद्ध हुआ जिसमें शत्रुशाल विजयी हुआ इस युद्ध में शत्रुशाल का सेनापति झाला जालिम सिंह था।
  • कोटा के झाला जालिम सिंह ने दिसम्बर 1817 में ईस्टइण्डिया कम्पनी से संधि की।
  • अंग्रेजो से विस्तृत वह व्यापक संधि करने वाली राजस्थान में पहली रियासत कोटा थी।

नोट :- अंग्रजो से संधि करने वाली राजस्थान की पहली रियासत करौली थी।  करौली के हरवक्ष पाल सिंह ने 15 नवम्बर 1817 अंग्रेजो से संधि की।

झालावाड़ के चौहान

  • कोटा के झाला जालीम सिंह के पुत्र झाला मदन सिंह को अंग्रेजो ने 1838 में कोटा से अलग करके झालावाड़ रियासत बना कर दी। 
  • अंग्रेजो द्वारा बनाई गई राजस्थान में सबसे नवीन रियासत झालावाड़ थी।
  • झालावाड़ की राजधानी झालरापाटन बनाई गई झालरापाटन को घंटीयो को शहर या सिटी ऑफ बैल्स कहा जाता है।