ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती- (अजमेर)
शेख हमीदुद्दीन नागौरी
पीर फखरूद्दीन -
संत अब्दुल्ला पीर का मकबरा-
हजरत दीवन शाह की दरगाह
मजनूं की मजार
- ख्वाजा चिश्ती 1192 में मुहम्मद गौरी की सेना के साथ पृथ्वीराज तृतीय के समय भारत आए।
- इन्होंने अपना खानकाह अजमेर में बनाया
- इसका इंतकाल 1233 ई में अजमेेर में हुआ है।
- अजमेर में इनकी प्रसिद्ध दरगााह है। जिसका निर्माण इत्तुतमिश ने करवाया था।
- निजाम द्वार- दरगाह का मुख्य प्रवेश द्वार है। निर्माण निजाम मीर उस्मान अली (हैदराबाद) ने करवाया था। इसके ऊपर जो नगाड़े रखे हुए है वो अकबर ने भेंट किए थे।
- दरगाह में दो देग है
- छोटी देग जहांगीर न व बड़ी देग अकबर ने भेंट की।
- इनकी दरगाह में विशाल उर्स भरता है। एक रज्जब से 6 रज्जब तक उर्स का उद्घाटन भीलवाड़ा का परिवार करता है।
- मुहम्मद गौरी ने ख्वाजा चिश्ती को सुल्तान-उल-हिन्द की उपाधि दी।
- इन्हे गरीब नवाज भी कहां जाता है।
शेख हमीदुद्दीन नागौरी
- राजस्थान में इन्होंने नागौर को अपनी कार्यस्थली बनाया है।
- इल्तुतमिश द्वारा प्रदान शेख उल इस्लाम के पद को इन्होने अस्वीकार कर दिया था।
- मुईनुद्दीन चिश्ती ने इन्हे सुल्तान उल तरीकीन (सन्यासियों का सुलतान) की उपाधि दी।
- दरगाह नागौर
- नरहड़ पीर
- अन्य नाम हजरत शक्कर पीर बाबा
- दरगाह नरहड़ गांव, झुंझुनू
- शिष्य सलीम चिश्ती
- नरहड़ पीर बांगड़ के धणी के रूप में प्रसिद्ध है।
पीर फखरूद्दीन -
- दाउदी बोहरा संप्रदाय के अराध्य पीर
- दरगाह-गलिया कोट, डूंगरपूर
संत अब्दुल्ला पीर का मकबरा-
- भगवानपुरा ,बांसवाडा में है।
- दाउदी बोहरा संप्रदाय का दूसरा महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
हजरत दीवन शाह की दरगाह
- कपासन, चितौडगढ़
मजनूं की मजार
- अनूपगढ,गंगानगर में स्थित है।
अन्य प्रमुख -
- अब्दुल्ला खा का मकबरा- अजमेर में
- कबीरशाह की दरगाह- करोली
- मीरा साहब की दरगाह- बूंदी में
- मीठेशाह पीर की दरगाह - गागरोण
- संैयद खाजा फखरूद्दीन की दरगााह- सरवाड (अजमेर)
- मलिक संत का मकबरा- जालौर दुर्ग
- कमरूद्दीन शाह की दरगाह- झुंझूनू
- पीर मस्तान की दरगाह- सोजत
- गुलाम खाँ का मकबरा- जेाधपुर
- नवाब दौलत खां का मकबरा- फतेहपुर (सीकर)