MAHAARAANA PRATAAP ( 1572 -1597)


महाराणा प्रताप :-( 1572 -1597)
आयु - 57 वर्ष   शासनकाल - 25 वर्ष    प्रथम राज्य अभिषेक - 32 वर्ष की आयु में 1572 .   पिता - राणा उदय सिंह      माता  - जयवंता बाई       पत्नी - अजब्दे पवार     पुत्र - अमर सिंह प्रथम.      भाई - शक्ति सिंह.     हाथी - रामप्रसाद ,  गज प्रसाद ,गजमुक्त और लूना
  • प्रताप का प्रिय हाथी रामप्रसाद था जिसे बाद में अकबर ने पीर प्रसाद नाम दिया था |
  • एकमात्र मुस्लिम सेनापति हकीम खां सूरी (हरावल सेना का नेतृत्व) भील सेना( चंद्रावल का नेतृत्व) राणा पूंजा
  •  महाराणा प्रताप सिसोदिया वंश का महान राजा था महाराणा प्रताप का जन्म कुंभलगढ़ के अंदर  कटार गढ़ के बादल महल में 9 मई 1540 को( जेष्ठ शुक्ल तृतीया विक्रम संवत 1597 )को हुआ था |
  •  इतिहास का एकमात्र राजा महाराणा प्रताप था जिसका जन्म 1597 विक्रम संवत मृत्यु 1597 में हुई |
  • इनके बचपन का नाम कीका (भिलों में छोटे बालक को कीका कहते हैं )था |
  •  महाराणा प्रताप को कर्नल टॉड ने मेवाड़ केसरी कहा है महाराणा प्रताप को हल्दीघाटी का शेर भी कहा जाता है |
  • राणा उदय सिंह ने अपनी रानी भटियाणी( धीरबाई) के प्रभाव में आकर जगमाल को उत्तराधिकारी बनाया अखेराज सोनगरा ने जगमाल को गद्दी से हटाकर महाराणा प्रताप को शासक बनाया |
  • महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक 28 फरवरी 1572 में गोगुंदा में हुआ 32 वर्ष की आयु में राज्य अभिषेक कृता कृष्णदास (ब्राह्मण) था |
  • 1570 ईस्वी में अकबर ने अजमेर में मैगजीन दुर्ग (अकबर का किला) बनवाया तथा बाद में इसी दुर्ग में हल्दीघाटी युद्ध की रचना रची |
  • राजस्थान में मुस्लिम पद्धति से बना एकमात्र किला मैगजीन का किला है |
  •  1908 ही में इसे राजपूताना संग्रहालय में बदल दिया गया राजस्थान आने वाला प्रथम अंग्रेज सर थॉमस रो 1616 जहांगीर से मैगजीन दुर्ग में मिला था |
  •  राजपूताने में महाराणा प्रताप और राव चंद्रसेन( मारवाड़) ही दो स्वाभिमानी वीर अकबर की आंखों के कांटे बने हुए थे 

अकबर द्वारा महाराणा प्रताप से संधि करने हेतु निम्न को भेजा गया |
 1572    जलाल खान
जून 1573 - मिर्जा राजा मानसिंह ( यह महाराणा प्रताप के पुत्र अमर सिंह प्रथम से उदयसागर झील के किनारे मिला
सितंबर 1573 - भगवंत दास
दिसंबर 1573  टोडरमल
18 जून 1576 गोपीनाथ शर्मा के अनुसार 21 जून 1576 हल्दीघाटी का युद्ध रक्त तलाई हुआ हल्दीघाटी का युद्ध बिना निर्णय का युद्ध था |
  • हल्दीघाटी स्थान गोगुंदा खमनोर की पहाड़ियों के बीच बनास नदी के किनारे राजसमंद जिले में स्थित है |
  • हल्दीघाटी का युद्ध महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच हुआ इसमें मुगल सेना का नेतृत्व आमेर के मिर्जा राजा मान सिंह ने किया इस युद्ध में मान सिंह का मुस्लिम सहयोगी सेनापति आसिफ खा था |
  • मानसिंह ने मुगल सेना का नेतृत्व करते हुए (मोलेला गांव )में पड़ाव डाला |
  •  हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की हरावल सेना का नेतृत्व हकीम खां सूरी ने किया महाराणा प्रताप की सेना में एकमात्र मुस्लिम सेनापति हकीम खां सूरी ही था महाराणा प्रताप ने युद्ध की योजना कुंभलगढ़ दुर्ग में बनाई |
  • तथा ( लोसिंह गांव )में राजसमंद में पड़ाव डाला महाराणा प्रताप का शस्त्रागार (मायरा की गुफा उदयपुर) में था हल्दीघाटी युद्ध के समय महाराणा प्रताप ने अपना मुख्य नियंत्रक केंद्र (केलवाड़ा) राजसमंद को बनाया |
  • कर्नल जेम्स टॉड ने हल्दीघाटी को मेवाड़ की थर्मोपोली कहा है |
  •  हल्दीघाटी युद्ध को अबुल फजल खमनोर का युद्ध तथा बदायूंनी ने गोगुंदा का युद्ध कहां है |
  • हल्दीघाटी युद्ध में प्रसिद्ध इतिहासकार बदायूनी मौजूद था हल्दीघाटी युद्ध के बाद इतिहासकार बदायूनी ने राजपूतों के खून से अपने दाढी को रंगा था |
  • हल्दीघाटी युद्ध को बनास का युद्ध, हाथियों का युद्ध, खमनोर का युद्ध ,गोगुंदा का युद्ध कहा जाता है |
  • हल्दीघाटी को स्वतंत्रता प्रेमियों का तीर्थ स्थल भी कहा जाता है |
  • हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप के हाथी का नाम रामप्रसाद था जिसे अकबर ने पीर प्रसाद नाम दिया था |
  • युद्ध में मिर्जा राजा मानसिंह का हाथी मर्दाना था अकबर का हाथी हवाई
  •  राजपूतों ने मुगलों पर पहला आक्रमण इतना आक्रमक किया कि मुगल सैनिक चारों ओर जान बचाकर भागने लगे
  • इस प्रथम चरण के युद्ध में हकीम खा सूरी का नेतृत्व सफल रहा मुगल सेना का इतिहासकार बदायूंनी ने जो कि मुगल सेना के साथ था वह भी इस युद्ध से भाग खड़ा हुआ मुगलों के आरक्षित फौज के प्रभारी महतर खा ने यह झूठी अफवाह फैला दी कि बादशाह अकबर स्वयं शाही सेना लेकर रहे हैं अकबर के सहयोग की  बात सुनकर मुगल सेना की हिम्मत बडी और वह  युद्ध के लिए तैयार होकर आगे बढ़ी |
  •  महाराणा प्रताप की नजर मुगल सेना के सेनापति मानसिंह पर पड़ी स्वामी भक्त घोड़े चेतक ने स्वामी का संकेत समझकर अपने कदम उस और बढ़ाए जिधर मुगल सेनापति मानसिंह मर्दाना नामक हाथी पर बैठा हुआ था चेतक ने अपने दोनों पर हाथी के सिर पर टिका दिए महाराणा प्रताप ने अपने भाले का भरपूर प्रहार मानसिंह पर किया परंतु मानसिंह होदे में छुप गया इसी समय हाथी की सूंड में बंदे जहरीले खंजर से चेतक की टांग कट गई |
  • -उसी समय मुगलों की शाही सेना ने प्रताप को चारों ओर से घेर लिया झाला बिदा या झाला मन्ना( बड़ी सादड़ी का) में हल्दीघाटी युद्ध में अपना बलिदान देकर प्रताप को युद्ध के मैदान से निकाला |

महाराणा प्रताप के सहयोगी 
हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप के साथ ग्वालियर के रामसिंह ,उसके पुत्र शालीवाहन भवानी सिंह प्रताप सिंह आदि विभा माशा उसका भाई ताराचंद ,झाला मान सिंह डोडिया ,भीम सिंह रावत,  कृष्णदास चुंडावत  , रावत नेत्र सिंह , रावत सांगा राठौड़ रामदास, बदनोर राणा पूंजा , पुरोहित गोपीनाथ जगन्नाथ , हकीम खां सूरी,  परिहार कल्याण चारण, जैसा , केशव आदि |
  •  चेतक की समाधि बलीचा गांव उदयपुर मैं बनी है बलीचा गांव में राजस्थान में (आई आई एम )भारतीय प्रबंधन संस्थान खुला है |
  •  शक्ति सिंह ( महाराणा प्रताप का भाई) द्वारा महाराणा प्रताप को घोड़ा देखकर सहायता दी गई |
  • पाली के भामाशाह में ताराचंद ने प्रताप को 20 हजार स्वर्ण मुद्राएं देखकर आर्थिक सहायता की |
  • कर्नल टॉड ने भामाशाह को( मेवाड़ का करण) कहा है मेवाड़ फाउंडेशन द्वारा भामाशाह पुरस्कार दानदाताओं को दिया जाता है तथा सांप्रदायिक सद्भावना के लिए हकीम खां सूरी सम्मान दिया जाता है |
  • 1576 ईस्वी में अकबर ने चित्तौड़गढ़ से उदयपुर को जीत लिया तथा अकबर ने उदयपुर का नाम मोहम्मदाबाद कर दिया |
  •  महाराणा प्रताप ने कुंभलगढ़ को केंद्र बना कर मुगलों का विरोध किया महाराणा प्रताप का दूसरा औपचारिक राज्याभिषेक कुंभलगढ दुर्ग मैं हुआ था इस समय मारवाड़ का राजा चंद्रसेन  मौजूद था |
  • अकबर ने कुंभलगढ दुर्ग पर 3 बार , शहबाज खान को चौथी,  वादक बल रहीम खान खाना तथा अंतिम पांचवी बार जगन्नाथ कछवाहा को प्रताप के विरुद्ध आक्रमण हेतु भेजा |
  •  कुंभलगढ़ दुर्ग छोड़कर  प्रताप  मुगलों का विरोध करते रहे महाराणा प्रताप ने (छछन पहाड़ियों उदयपुर)  मैं रहकर समय बिताया महाराणा प्रताप की पत्नी अजब दे पवार तथा पुत्र अमर सिंह राठोड़ जंगलों में प्रताप के साथ रहे |
  •  मेवाड़ में दिवेर , देसूरी तथा देबारी प्रमुख ठिकाने थे इन में सबसे महत्वपूर्ण ठिकाना दिवेर ठिकाना था यहां अकबर ने सुल्तान खान को मुक्तयार नियुक्त किया था |
  • महाराणा प्रताप ने 1582 में मुगलों का विरोध शुरू किया इसे दिवेर का युद्ध कहते हैं क्योंकि यह युद्ध लंबे समय तक चला था अतः इसे कर्नल टॉड ने मेवाड़ का मैराथन नाम दिया |
  •  दिवेर के युद्ध 1582 को महाराणा प्रताप की विजयों का श्रीगणेश कहा जाता है दिवेर के युद्ध में महाराणा प्रताप ने मुगलगढ़ विभिन्न मुगल ठिकाने पर आक्रमण किया और उन सभी 36 मुगलों की चौकियों को जीत लिया |
  •  दिवेर युद्ध में महाराणा प्रताप ने गोरिल्ला पद्धति का प्रयोग किया |
  •  1584 ईस्वी में अकबर ने महाराणा प्रताप के विरुद्ध जगन्नाथ कछवाहा को भेजकर अंतिम अभियान किया |
  •  1585 में प्रताप ने अपने आपातकालीन राजधानी चावंड उदयपुर को बनाया चावंड 1585 ईस्वी से अगले 28 वर्षो तक मेवाड़ की राजधानी रही |
  •  चावंड चित्रकला शैली का विकास महाराणा प्रताप के समय में हुआ था |
  •  इस शैली का 1605 में अमर सिंह प्रथम के समय का राग माला पर नसीरुद्दीन चित्रकार द्वारा बनाया गया चित्र महत्वपूर्ण है चावंड में चामुंडा देवी का मंदिर महाराणा प्रताप द्वारा बनवाया गया 19 जनवरी 1597 को चावंड में धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाते समय महाराणा प्रताप की मृत्यु हो गई |
  •  महाराणा प्रताप की छतरी बाडोली उदयपुर में (खेजड़ा बांध )बनी है। 1584 के बाद अंतिम 12 वर्षों तक अकबर महाराणा प्रताप के बीच कोई युद्ध नहीं हुआ। इतिहास में इसे अघोषित संधि के नाम से जाना जाता है। सुजानगढ़ चूरू में कवि कन्हैयालाल सेठिया ने अपनी रचना पाथल और पीथल राजस्थानी भाषा में पाथल शब्द का प्रयोग महाराणा प्रताप के लिए किया तथा पिथल शब्द का प्रयोग पृथ्वीराज राठौड़ बीकानेर (कल्याणमल का पुत्र) के लिए किया गया है।
  •  कन्हैयालाल सेठिया की अन्य रचनाएं धरती धोरा री दिलकाश , बनफूल  सेठिया जी का पहला उपन्यास है
  •  राजस्थान में खेल के क्षेत्र में दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान महाराणा प्रताप खेल रत्न पुरस्कार है । महाराणा प्रताप का स्मारक मोती मगरी ( उदयपुर तथा दिवेर (राजसमंद में बना है
  • अकबर द्वारा महाराणा प्रताप के खिलाफ भेजे गए प्रमुख सैनिक अभियान
वर्ष
1576 मानसिंह
1577 -शहबाज खा
1578 - शहबाज खा
1579  - शहबाज खा
1580 - अब्दुल रहीम खाने खाना
1584 - जगन्नाथ कछवाहा