राजस्थान की झीलें Notes

झील भूपटल के वह आन्तरिक जलाशय है जो विभिन्न आकार, विस्तार व गहराई के साथ चट्टानी बेसिनों में बन जाते हैं।
नोट:- पृथ्वी में होने वाली आन्तरिक हलचलों के कारण बनी झीलों को विवर्तनिक झील तथा ज्वालामुखी लावा से बनी झील काॅलाडेरा झील कहलाती है। जो क्रमषः नक्की व पुष्कर झील है।

  • राजस्थान का नमक उत्पादन में चैथा स्थान है।
  • झील में नमक उत्पादन में राजस्थान का प्रथम स्थान है। यहं देश का 11ः नमक उत्पादित होता है।
  • राजस्थान में खारे पानी की झीलों की संख्या सर्वाधिक है, जिसका मूल कारण टेथिस महासागर के अवषेष है।
  • राजस्थान की खारे पानी की झीलों में सर्वाधिक खारापन है, जिसका मूल कारण अरब सागरिय हवा का छंब्स लवणीय पदार्थ गिराना है।

राजस्थान में सर्वाधिक खारे पानी की झीलें नागौर में व सर्वाधिक मीठे पानी की झीलें उदयपुर में है।
पानी की गुणवता  के आधार पर झीलों को दो भागों में बांटा जाता है -
1. खारे पानी की झील 2.  मीठे पानी की झील
A. खारे पानी की झील:- राज्य में सर्वाधिक खारे पानी की झील पश्चिमी राजस्थान व नागौर जिले में पायी जाती है। राजस्थान की इन झीलों में सोडियम क्लोराईड की मात्रा सर्वाधिक पायी जाती है। खारे पानी की झीलों को पलाया भी कहा जाता है। तटवर्ती प्रदेशाों में खारे पानी की झीलें कलाया या लेंगून कहलाती है।
खारे पानी की प्रमुख झीलें -
TRICKS दृडेरे का लूण सांभर के पंचों ने डीडवाना में फैलाया तो तनाव हुआ।
1.  डेगाना-नागौर   2. रेवासा-सीकर 3. कावोद-जैसलमेर   4. लूणकरणसर-बीकानेर        5. सांभर-जयपुर            6. पंचभद्रा-बाड़मेर         7.  डीडवाना-नागौर           8. फलौदी-जोधपुर           9. तालछापर-चुरू 10. नावा-नागौर
1. सांभर झील- स्थान - जयपुर व नागौर ( कभी कछवाहों तो कभी राठौड़ों के बीच )।
यह देश की खारे पानी की सबसे बड़ी व प्राकृतिक झील है।

  • यहां प्राचीन काल से नमक उत्पादन का कार्य किया जा रहा है। यहां देश का 8.7 प्रतिशत नमक उत्पादन होता है। यहां प्रतिदिन 50000 टन व प्रतिवर्ग किमी. 60000 टन नमक प्राप्त होता है।
  • झील में नमक दो क्रियाओं से प्राप्त होता है, पहला नदियों द्वारा बहाकर लाया जाना, दूसरा केशाकर्षण पद्धति द्वारा। संाभर झील से नमक उत्पादन मार्च  से जुलाई के मध्य वाष्पीकरण पद्धति द्वारा प्राप्त नमक क्यार कहलाता है।
  • सांभर  झील में प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत स्पाइरूलिना नामक शैवाल पाया जाता है, जबकि स्वेडाफ्रूटी व सालवेडोरा स्पीसीज नामक वनस्पति खारेपन की मात्रा कम करती है। यहां केन्द्र सरकार की हिन्दुस्तान साल्ट लिमिटेड कम्पनी 1864 व राज्य सरकार की सांभर साल्ट लिमिटेड कम्पनी नमक उत्पादन करती है।
  • बिजौलिया के अनुसार चैहान वंष के संस्थापक वासुदेव ने सांभर झील का निर्माण करवाया।
  • यहां गुजरात का राज्य पक्षी राजहंस व विरह का प्रतीक कुरंजा पक्षी विचरण के लिए आते है।

नोट:- महाराज ययाति की साम्राज्य स्थली, चैहानों की राजधानी, अकबर की विवाह स्थली, जहांगीर का ननिहाल, संत दादू हिसामुद्दीन की पुण्य भूमि, शाकम्भरी माता का मन्दिर, नालीसर मस्जिद आदि स्थान लोकतीर्थ देवयानी ( तीर्थों की नानी ) के नाम से प्रसिद्ध सांभर में है।
2. पंचपद्रा/पंचभद्रा झील:- स्थान - बाड़मेर।
विशेष - इस झील के नमक में 98ः छंब्स ख् सोडियम क्लोराइड , पाया जाता है, इसलिए यह राजस्थान की ही नहीं बल्कि पूरे भारत की सबसे खारी झील है।इस झील से खारवेल जाति के लोग परम्परागत रुप से मोरली नामक साड़ी की टहनी से नमक उत्पादित करते हैं।
किंवदन्ति है कि 400 वर्ष पूर्व पंचा नामक भील ने इस झील का निर्माण किया, इस कारण इसका नाम पंचपद्रा पड़ा।
3. डीडवाना झील:-स्थान - नागौर।

  • इस झील में छंब्स की मात्रा नगण्य है। छं2ैव्4 ख् सोडियम सल्फेट , इस झील के पानी में पाया जाता है।
  • यहां सोडियम सल्फेट का भारत का सबसे बड़ा संयत्र लगा हुआ है।

4. कावोद झील:- स्थान -जैसलमेर।

  • आयोडीन की दृष्टि से यह राज्य की सर्वोत्तम झील है।

5. लूणकरणसर झील:- स्थान - बीकानेर।

  • इस झील के नमक से स्थानीय लोगों की ही आपूर्ति हो पाती है।
  • लूणकरण को राजस्थान का राजकोट कहा जाता है। ख् मंूगफली उत्पादन के कारण ,- 

6. तालछापर झील:- स्थान - चुरु।

  • गुरु द्रोणाचार्य की जन्म-स्थली द्रोणपुर छापर गांव के पास स्थित झील है। इसलिए इसे तालछापर के नाम से जाना जाता है।
  • इस झील के चारों ओर कृष्ण मृगांे की शरण स्थली कहलाने वाला तालछापर अभ्यारण्य स्थित है।

7. डेगाना झील:- स्थान - नागौर।

  • इस झील के पास भारत की सबसे बड़ी टंगस्टन खनिज परियोजना है।

8. फलौदी झील:- स्थान - जोधपुर।

  • यह राज्य की सबसे शुष्क स्थान पर स्थित झील है।

9. रेवासा झील:- स्थान - सीकर।

  • यहां यह तालछापर के बाद शेखावाटी की सर्वाधिक खारे पानी की  झील है।

B. मीठे पानी की झीलें:-
TRICKS – राजा के बालक नंद का उदयफतेहस्वरूप हुआ। आना ने राम की जय बोली और कनक वन में पुष्करझील कोनाखूनों से खोदकर, सीढी बनाकर काया पलट की। पीछे से घेवर बांटे फायदे में।
1 राजसमंद (नंदसमंद ख्राजसमंद , 2  बालसमंद - जोधपुर ,  3  उदयसागऱ फतेहसागऱ स्वरुपसागर-उदयपुर ,4  आनासागर - अजमेर,5  रामसागर - ख्धौलपुर,   6  कनकसागर - ख्बूंदी,7. पुष्कर -अजमेर,8  नक्की झील ख्सिरोही ,  9 सिलीसेट ख्अलवर,10  कायलाना ख्जोधपुर,11  पिछोला ख्उदयपुर,12ण् गेवसागर ख्डूंगरपुर,13  फाॅयसागर ख्अजमेर,14. गड़सीसर ख्जैसलमेर,15  कोलायत -ख्बीकानेर,
1. जयसमंद झील:-स्थान- उदयपुर। 
विशेष- यह एषिया की दूसरी बड़ी मीठे पानी की कृत्रिम झील है।

  • इस झील का निर्मााण महाराणा जयसिंह ने 1685-1691 में करवाया था।ख् जयसिंह का कार्यकाल 1678-95 तक ,
  • इसलिए झील में ढेबर दर्रे से होने वाली गोमती नदी का पानी आता है, इसलिए इस झील का अन्य नाम ढेबर झील भी है।
  • इस झील में सात टापू है जिनमें सबसे बड़े टापू का नाम ’’बाबा का भंाखड़ा’’ व सबसे छोटे टापू का नाम ’’प्यारी’’ है। जिन पर आदिवासी लोग निवास करते हैं।इस झील में रियासत कालीन झरोखे बने हुऐ हैं जिन्हे ’’औदियां’’ कहा जाता है।
  • इस झील से श्यामपुरा व भट्टा नामक दो नहरें निकाली गयी हैं।

2. पिछोला झील:-स्थान - उदयपुर।

  • इस झील में सीसा व रमा नदी आकर गिरती है। यह उदयपुर की सुंदरतम व प्राचीन झील है।
  • इस झील का निर्माण सीसा व रम्भा नदी के पानी को रोककर किया गया।
  • इस झील का निर्माण राणा लाखा के शासन काल में 1382-1421 में चिड़ीमार बनजारे ने अपने बैल की स्मृति में करवाया था।
  • इस झील में कर्णसिंह व जगतसिंह निर्मित जगनिवास व जगमंदिर महल बने हुए हैं। जिन्हें होटल लैक पैलेस कहा जाता है। यहां पहला षिल्प ग्राम हवाला स्थित है।ये दोनो महल कर्णसिंह के काल में विद्रोही खुर्रम की शरणस्थली व 1857 की क्रंाति के समय महाराणा स्वरुप सिंह के काल में पाॅलिटिक्ल एजेंट के शावर्स की शरण स्थली रहे हैं।पिछौला झील में पहली बार सौर चालित नाव चलाई गयी।
  • पिछौला झील के किनारे संस्कृति का पश्चिमी केन्द्र के लिए विख्यात बागरा की हवेली स्थित हैं। जिसमें विश्व की 6 सबसे बड़ी पगड़ी रखी हुई है।

Note :. बागरा की हवेली का निर्माण 1751-78 के मध्य मेवाड़ के तात्कालीन च्ड अमरचन्द्र बड़वा द्वारा किया गया।
3. फतेहसागर झील:-स्थान - उदयपुर।

  • इस झील की नींव ’ड्यूक आॅफ कनाट’ ने 1678 में रखी थी तथा महाराणा जयसिंह ने इस झील का निर्माण करवाया था।देवाली गांव के समीप होने के कारण इस झील का प्रारंभिक नाम देवालीताल था।
  • 20 वीं सदी के प्रारंभ में महाराणा फतेहसिंह ने इसका जीर्णाेद्धार करवाया, इसलिए इसका नाम फतेहसागर पडा़।
  • इस झील में भारत की प्रथम व सबसे बड़ी सौर वैद्यशाला स्थित है।

4. उदयसागर झील:-स्थान - उदयपुर।

  • इस झील का निर्माण महाराणा उदयसिंह ने 1559-1565 के मध्य करवाया था।
  • ऐतिहासिक दृष्टिकोण से राणा प्रताप ने मानसिंह को रात्रि भोज इसी झील की पाल पर करवाया था।

5. स्वरुपसागर:-स्थान - उदयपुर।

  • यह एक तंग झील है जो पिछोला व फतेहसागर को जोड़ती है। इसका निर्माण स्वरुपसिंह ने करवाया था।

6. राजसमंद झील:-स्थान - राजसमंद ख् कांकरोली ,

  • इस झील का निर्माण महाराजा राजसिंह ने 1669-1676 में करवाया था।
  • इसके किनारे द्वारिकाधीश व घेवर माता का मंदिर स्थित है। द्वारिकाधीश मंदिर पर अन्नकूट महोत्सव लगता है।
  • इस झील को वसुन्धरा राजे सरकार ने पवित्र झील घोषित किया था।
  • इस झील के चारों ओर सीढीओं को गिनने पर योग 9 आता है, इसलिए इस झील को नौ चैकी भी कहा जाता है।
  • इस झील का निर्माण महाराजा राजसिंह ने अकाल राहत कार्य के दौरान करवाया था।
  • इस झील के किनारे पर एषिया की सबसे बड़ी राजप्रशस्ति 25 काले संगमरमरों पर संस्कृत भाषा में उत्कीर्ण है।
  • इस प्रशस्ति पर रणछोड़ भट्ट कृत मेवाड़ का इतिहास अंकित है।

7. पुष्कर झील:-स्थान - पुष्कर ख् अजमेर ,

  • पुष्करणा ब्राह्मणों द्वारा निर्मित होने के कारण इस झील का नाम पुष्कर पड़ा।
  • यह राज्य की सबसे पवित्र व प्रदुषित झील है।
  • मान्यता है कि विष्व का पहला यज्ञ सृष्टि निर्माता ब्रह्माजी द्वारा यहीं पर किया गया था।
  • इस झील के चारों ओर 400 से अधिक मंदिर होने के कारण पुष्कर कस्बे को देवताओं की नगरी/मंदिरों की नगरी कहा जाता है। यह पंचतीर्थों में शामिल है। पुराणों में इसे आदितीर्थ कहा गया है।
  • इस झील के किनारे गोकुलचन्द पारीक द्वारा निर्मित विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर स्थित है।
  • इस झील के किनारे द्रविड़ शैली में बैकुण्ठनाथ जी का मंदिर स्थित है, जिसे रंगाजी का मंदिर भी कहा जाता है।
  • इस झील में 52 घाट बने हुए हैं। सन् 1911 में जाॅर्ज पंचम की रानी मेरी ने यहां महिलाओं के लिए घाट बनवाया था, जिसे वर्तमान में गांधीघाट के नाम से जाना जाता है।गांधी जी के अलावा मान्यता है कि राजा दषरथ की अस्थियों का विसर्जन भी इसी झील में किया गया था।
  • इस झील को नुकसान औरंगजेब द्वारा पंहुचाया गया तो इसका पुनरुद्धार मराठों द्वारा करवाया गया।
  • कनाडा व फ्रंास के सहयोग से इस झील की सफाई की गयी।प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा को लगने वाला पुष्कर मेला राज्य का सबसे रंगीन मेला कहलाता है।

8. आनासागर झील:- स्थान - अजमेर।

  • आनासागर झील का निर्माण चैहान शासक अर्णौराज/आनाजी ने 1135-37 के मध्य लूणी/चन्द्रा नदी के पानी को रोककर करवाया था।
  • इस झील के किनारे दौलत/सुभाष उद्यान में जहांगीर की सास ख् अस्मत बेगम/नूरजहां की मां , ने गुलाब से इत्र का आविष्कार किया था।
  • इस झील के पास स्थित झरने को जहांगीर ने ’चश्मा-ए-नूर’ नाम दिया था।
  • इस झील में शाहजहां ने 12 दरवाजे बनवाये, जिन्हे बारह-दरी कहा जाता है।
  • शरद पूर्णिमा को यह झील पर्यटकों  के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहती है।

9. फाॅयसागर झील:- स्थान - अजमेर।

  • इस झील का निर्माण फाॅय नामक इंजीनियर ने करवाया था। इस झील में बांडी नदी का पानी आता है।

10. कायलाना झील:- स्थान - जोधपुर।

  • मूलतः प्राकृतिक झील का आाध्ुानिकीकरण से प्रताप ने करवाया था। यह तीन ओर पहाड़ी से घिरी झील है।
  • इस झील के किनारे देश का पहला मरुवानस्पतिक उद्यान माचिया सफारी उद्यान है।
  • यह राज्य की एकमात्र झील है जिसमें इंदिरा गंाधी नहर का पानी आता है। ख् राजीव गांधी कैनाल के द्वारा ,

11. बालसमंद झील:- स्थान - जोधपुर।

  • इस झील का निर्माण 1159 में परमार शासक बालकराव/बालकरण ने करवाया था।

12. कोलायत झील:- स्थान - बीकानेर।

  • यह जनमानस में पवित्र झील मानी जाती है। यहां कपिल मुनि का आश्रम है।
  • इससे कुछ दूरी पर ऊंट अनुसंधान व प्रजनन केन्द्र स्थित है, जो जोहड़बीड़ में स्थित है।

13. नंदसमंद झील:- स्थान - राजसमंद।

  • इसे राजसमंद की जीवन रेखा कहा जाता है।

14. मोती झील:- स्थान - भरतपुर।

  • यह भरतपुर की जीवन रेखा कहलाती है। इस झील में रुपारेल नदी का पानी आता है।
  • इस झील से सूरजमल जाट ने सुजान गंगा नहर निकाली थी, जिसका पानी लोहागढ़ दुर्ग के चारों ओर बनी खाई में भरा जाता था।

15. गैब सागर:- स्थान - डूुंगरपुर।

  • इस झील के बीचों-बीच बादल महल निर्मित है। इस झील को एडवर्ड सागर भी कहा जाता है।

16. भूपालसागर झील:- स्थान - चितौड़गढ़।

  • मेवाड़ शासक महाराणा भूपालसिंह ने मातृकुण्डिया से बनास नदी का पानी भूपालसागर को डलवाया।
  • राजस्थान के महाराज प्रमुख भूपालसिंह ने बनवायी थी।

17. रामसागर झील:- स्थान - धौलपुर।

  • यह झील वन विहार अभ्यारण्य में स्थित है।

18. कनकसागर झील:- स्थान - बूंदी।

  • कनक सागर अभ्यारण्य में स्थित है। इस झील को दुगारी झील भी कहा जाता है।

19. नक्की झील:- स्थान -माउण्ट आबू।

  • यह राज्य की सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित झील है। यह सर्दियों में जमने वाली एकमात्र झील है।
  • यह राज्य की सबसे गहरी झील है। गरासिया जाति के लोग अस्थियों का विसर्जन इसी झील में करते हैं।
  • किवदन्ती है कि इस झील का निर्माण देवताओं ने नाखूनों से खोदकर किया था।
  • इस झील के एक ओर पहाड़ी पर नंदी राॅक, टोड राॅक, ननराॅक पर्यटन के आकर्षण का केन्द्र बिन्दू है।

20. सिलीसेढ़ झील:- स्थान - अलवर।

  • इस झील को राजस्थान का नंदन वन कहा जाता है।
  • इस झील के किनारे महाराजा विनयसिंह द्वारा रानी शिला देवी के लिए निर्मित महल वर्तमान में ’लैक पैलेस होटल’ कहा जाता है।