कर्मावती, मीराबाई KARMAVATI AND MEERA BAI


GUHIL VANSH, RAAVAL VANSH, GAHALOT VANSH
कर्मावती :-
  • 1533 में गुजरात के बहादुर शाह चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण किया लेकिन कर्मावती ने कमरबंद राज्य चिन्ह बहादुर शाह से संधि की |
  • 1534 में गुजरात के बहादुर शाह  ने चित्तौड़ पर वापस आक्रमण किया इसे चित्तौड़ का दूसरा साका कहा जाता है | - चित्तौड़ के दूसरे साके में कर्मावती ने जौहर किया तथा बाघ सिंह के नेतृत्व में केसरिया हुआ बाघ सिंह की छतरी चित्तौड़गढ़ दुर्ग में बनी है |

मीराबाई :- (1498-1536)
  • मीराबाई भक्ति काल की महान महिला संत थी |
  • इनका जन्म 1498 . में मेड़ता के राठौड़ वंश में कुडकी ग्राम पाली में हुआ |
  • प्रारंभिक शिक्षक -- गजाधर
  • मीरा के बचपन का नाम पेमल दे था |
  • मीरा  राव दूदा की पोती थी तथा रावल रतन सिंह की बेटी थी |
  • मीरा का विवाह राणा सांगा के पुत्र भोजराज के साथ हुआ था भोजराज की मृत्यु के बाद मीरा ने दास दासी संप्रदाय चलाया था |
  • मीरा के गुरु संत रैदास थे जो चमार जाति के थे संत रैदास की छतरी चित्तौड़गढ़ में बनी हुई है |
  • मीरा को राजस्थान की राधा कहा जाता है महाकवि निराला ने इसे गीत काव्य शैली की देवी कहां है |
  • इनकी भक्ति माधुरी भाव की है मीरा भोजराज की मृत्यु के बाद कृष्ण भक्ति में लीन हो गई कृष्ण जी को अपना पति माना तथा बृज भाषा में गीतों की रचना की मीरा पदावली |
  • मीरा की तुलना प्रसिद्ध सूफी संत रजिया से की जाती है |
  • मीराबाई ने अपना अंतिम समय द्वारका गुजरात में गुजारा मीरा द्वारका के रणछोड़ मंदिर में 1536 में कृष्ण प्रतिमा में विलीन हो गई |
  • रचना _मीरा पदावली ,नरसी जी रो मायरो यह रचना मीराबाई के निर्देशन में रत्ना खाती के द्वारा लिखी गई |
  • मीरा महोत्सव चित्तौड़गढ़ में मनाया जाता है |
  • राजस्थान का पहला मीरा संग्रहालय उदयपुर में तथा मीरा पुरस्कार उदयपुर साहित्य अकादमी द्वारा दिया जाता है |