बप्पा रावल :- (734 -753)


(GUHIL VANSH, RAAVAL VANSH, GAHALOT VANSH)

बप्पा रावल :- (734 -753 ) 
  • - इसको काल भोज के नाम से जाना जाता था |
  • - सी.  वी.  वैद्य ने बप्पा रावल को चार्ल्स मार्टेल कहा है |
  • - बप्पा रावल गुहिल वंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है |
  • - बप्पा रावल ने कैलाशपुरी उदयपुर में एकलिंग नाथ जी का मंदिर बनवाया
  • जो राजस्थान में  पशुपत संप्रदाय का एकमात्र मंदिर है |
  • - एकलिंग नाथ जी मेवाड़ के कुलदेवता थे |
  • - उदयपुर के राजा राजधानी छोड़ने से पूर्व एकलिंग जी की स्वीकृति लेते थे,
  •  जिसे आसका लेना कहा जाता था |
  • - पशुपति संप्रदाय शैवधर्म का सबसे प्राचीन संप्रदाय है जिसके प्रवर्तक लकुलिश मुनि है |
  • “kSo धर्म के चार संप्रदाय है 1.पाशुपत् संप्रदाय 2.कापालिक संप्रदाय
  •                                   3.शैव संप्रदाय 4.कालामुख संप्रदाय
  • - 734 . में बप्पा रावल ने मौर्य शासक मानमोरी से चित्तौड़ का किला जीता
  • - कविराज श्यामल दास की वीर विनोद  पुस्तक के अनुसार नागदा उदयपुर को राजधानी बनाया |
  • - नागदा  गूहिल वंश की प्रारंभिक राजधानी थी |
  • - बप्पा रावल की समाधि नागदा उदयपुर में बनी है जिसे बप्पा रावल की समाधि कहते हैं |
  • - नागदा में सास बहू का मंदिर( विष्णु मंदिर )स्थित है |
  • - चित्तौड़ का किला चित्रांगद मौर्य द्वारा बनवाया था लेकिन कुमारपाल प्रबंध के अनुसार यह किला चित्रांग ने बनवाया था |
  • - चित्तौड़ का किला गंभीरी तथा बेडच नदी के संगम पर स्थित है तथा मेशा के पठार पर बना है |
  • -चित्तौड़ को राजस्थान का गौरव, किलो का सिरमौर ,हिंदू देवी देवताओं का अजायबघर कहा जाता है |
  • - चित्तौड़ को राजस्थान का दक्षिणी पूर्वी प्रवेश द्वार कहा जाता है |
  • - क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा किला चित्तौड़ का किला है जो व्हेल मछली  की आकृति का किला है |
  • - इस किले को राजस्थान का प्रथम लिविंग फोर्ट कहा जाता है  दूसरा लिविंग फोर्ट जैसलमेर का सोनार का किला है |
  • - जिस का उपनाम त्रिकूट गढ़ है चित्तौड़गढ़ दुर्ग में 7 द्वार हैं 1.पांडन पोल 2.भैरव पोल 3.गणेश पोल 4.हनुमान पोल    5.जॉर्डन पोल 6.लक्ष्मण पोल 7.राम पोल
  • - राजस्थान किलो की दृष्टि से तीसरा स्थान रखता है प्रथम स्थान महाराष्ट्र का वह दूसरा स्थान मध्य प्रदेश का है |

प्रशस्तिया :-
  • - 1439 की रणकपुर प्रशस्ति (देपाक और देपा द्वारा रचित ) बप्पा रावल काल भोज को अलग-अलग व्यक्ति बताया गया है |
  • - 1460 ईस्वी की कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति (अत्री उसके पुत्र महेश के द्वारा रचित)  बप्पा रावल की उपलब्धियों युद्ध विजयों उपनामों का वर्णन है |
  • - 1460 ईस्वी की कुंभलगढ़ प्रशस्ति (महेश द्वारा रचित) बप्पा रावल को ब्राह्मण वंशीय बताया गया है |
  • - 1488 की एकलिंग नाथ मंदिर के दक्षिणी द्वार की प्रशस्ति में बप्पा रावल के अंतिम समय में सन्यास लेने का उल्लेख है |
  • - 1719 ईस्वी की वैद्यनाथ प्रशस्ति (रूप भट्ट द्वारा रचित)  हरित ऋषि से बप्पा रावल को मेवाड़ का साम्राज्य मिलने का उल्लेख है |
  • - चीरवा का अभिलेख चीरवा उदयपुर जयपुर रावल के वंशजों पदम सिंह, जत्र सिंह ,तेज सिंह समर सिंह की उपलब्धियों तथा कीर्ति का वर्णन करता है |
  • - बप्पा रावल का 115 ग्रेन का सोने का सिक्का मिला है |