उपराष्ट्रपति (अनुच्छेद 63)
प्रस्तावना: अनुमोदन
20: 20
अनुच्छेद 67 - कार्यकाल - 5 वर्ष, कार्यकाल समाप्त होने से पहले भी वह राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र दे सकता है।
संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति नियुक्त किये जाने का कोई प्रावधान नहीं है।
पद से हटाने की प्रक्रिया - राज्यसभा के सदस्यों द्वारा साधारण बहुमत से प्रस्ताव पारित करके लोकसभा के पास भेजा जाता है तथा लोकसभा की सहमती के आधार पर उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जाता है।
अनुच्छेद 68 (2) के अनुसार उपराष्ट्रपति का पद खाली होने पर निश्चित चुनाव सीमा निर्धारित नहीं है।
नोट - सविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का कोई प्रावधान नहीं है।
अनुच्छेद 69 - शपथ - राष्ट्रपति के द्वारा
नोट: मतों में समानता की स्थिति में राज्य सभा के सभापति के रूप में उसे अपना निर्णायक मत देने का अधिकार होता है।
- अमेरिका से लिया गया स्त्रोत हहै।
- अनुच्छेद 64 - उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदैन सभापति होता है।
- नोट - उपराष्ट्रपति संविधान में एक मात्र अवैतनिक पद है।
- उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में वेतन 125000 रु. मासिक प्राप्त होता है।
- अनुच्छेद 65 - उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर सकता है। कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में वेतन 150,000 रु. मासिक
- अनुच्छेद 66 (1) निर्वाचन प्रणाली - राष्ट्रपति के समान
- निर्वाचक मण्डल - संसद के सभी सदस्य
- अनुच्छेद 66 (3) योग्यताए -
- आयु 35 वर्ष
- राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो
प्रस्तावना: अनुमोदन
20: 20
- जमान राशि - 15000 रु.
- निर्वाचन सम्बन्धित विवाद का निपटारा - सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है।
अनुच्छेद 67 - कार्यकाल - 5 वर्ष, कार्यकाल समाप्त होने से पहले भी वह राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र दे सकता है।
संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति नियुक्त किये जाने का कोई प्रावधान नहीं है।
पद से हटाने की प्रक्रिया - राज्यसभा के सदस्यों द्वारा साधारण बहुमत से प्रस्ताव पारित करके लोकसभा के पास भेजा जाता है तथा लोकसभा की सहमती के आधार पर उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जाता है।
अनुच्छेद 68 (2) के अनुसार उपराष्ट्रपति का पद खाली होने पर निश्चित चुनाव सीमा निर्धारित नहीं है।
नोट - सविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का कोई प्रावधान नहीं है।
अनुच्छेद 69 - शपथ - राष्ट्रपति के द्वारा
नोट: मतों में समानता की स्थिति में राज्य सभा के सभापति के रूप में उसे अपना निर्णायक मत देने का अधिकार होता है।