niyantrak evan mahaalekha pareekshak- art.148 नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक- Art.148

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक- Art.148
महालेखा परीक्षक लोकवित का संरक्षक होने के साथ-साथ   देश की सम्पूर्ण वितीय व्यवस्था का नियंत्रक होता है।
नियुक्ति:- 
  • शपथ - राष्ट्रपति भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा ओर निष्ठा की शपथ लेता है।
  • त्यागपत्र - राष्ट्रपति
  • कार्यकाल - 6 वर्ष/65 वर्ष की आयु तक
  • पद से हटाने की प्रक्रिया - उच्चत्तम न्यायालय के न्यायाधीश के समान अर्थात संसद के द्वारा विशेष बहुमत से प्रस्ताव पारित करके।

नोट:- किसी मंत्री के द्वारा संसद में नियंत्रक महालेखा परीक्षक का प्रतिनिधित्व नही किया जा सकता तथा उसके किसी कार्य की जिम्मेदारी नही ले सकता।
कार्य:-

  • भारत एवं राज्य की संचित निधि तथा उस संघ शासित प्रदेश जहा विधानसभा हैै, ये सभी व्यय सम्बन्धी लेखाओं की लेखा परीक्षा करता है।
  • संघ तथा राज्यों की आकस्मिक निधि तथा लोक लेखाओं (पॅब्लिक अकाउंट) से किये जाने सभी व्यय की संपरीक्षा (आॅडीट) करेगा तथा उन पर अपना प्रतिवेदन देगा।
  • संघ व राज्य के विभिन्न विभागों द्वारा किये गये सभी व्यापार, निर्माण, लाभ तथा हानि लेखाओं की आॅडिट करेंगा। 
नोट:- 1976 से नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के कार्य में परिवर्तन करते हुए उसे लेखांकन (लेखों की तैैयारी) के दायित्व से मुक्त कर दिया गया है।
  • इस प्रकार वह वर्तमान में संघ के लिए सिर्फ लेखा परीक्षक का तथा राज्यों के लिए लेखांकन तथा लेखा परीक्षक दोनो प्रकार कार्य करता है।

संपरीक्षा प्रतिवेदन:-
 Art.148 प्रत्येक वितीय वर्ष के अन्त में संघ के लेखाओं सम्बन्धी प्रतिवेदन को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत करता है जो उसे संसद के समक्ष रखवाता है। तथा राज्यों के लेखाओं सम्बन्धी प्रतिवेदनों को राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत करता हैैै।
जो उसे राज्य के विधानमण्डल के समक्ष रखवाता है।
नोट:- नियंत्रक एवं महालेखा द्वारा पेश की रिपोर्ट को जाँच के लिए संसद की लोकलेखा समिति तथा राज्य विधानमण्डल की लोक समिति को सोंपी जाती है
नोट:- अतः नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक को लोक लेखा समिति का मार्गदर्शक एवं मित्र कहा जाता है।

  • वेतन 90,000 मासिक
  • प्रथम वी. नरहरि राव 
  • वर्तमान - राजीव महषि