राजस्थान के संन्यासी और संप्रदाय - संत चरणदास जी, हरिदास जी, ललदास जी, संत पीपा- (निर्गुण), गुरू रामानंद जी, संत धन्ना, संत रज्जब जी

संत चरणदास जी-
  • जन्म डेहरा (अलवर) में वि.सं.1760 को
  • मूल नाम- रणजीत, समाधि- दिल्ली 
  • गुरू शुक्रदेव से दीक्षा लेने के बाद इनका नाम चरणदास रखा गया।
  • प्रमुख ग्रंथ ब्रह्म ज्ञान सागर , ब्रह्म चरित्र, भक्ति सागर व ज्ञान स्वरोदय आदि। दया बोध व सहज प्रकाश ।
  • इन्होंने नादिरशाह के आक्रमण की भविष्यवाणी की थी।
  • चरणदासी संप्रदाय प्रारंभ किया जिसके लिए 42 नियम बनाएं। 
  • संप्रदाय की प्रमुख पीठ - दिल्ली (श्रीकृष्ण लीलाओं का विशेष महत्व)
  • यह पंथ सगुण एवं निर्गुण भक्ति मार्ग का मिश्रण है।
  • जयपुर शासक सवाई प्रताप सिंह के समकक्ष।
हरिदास जी- 
  • जन्म कापड़ोद (डीडवाना, नागौर), मृत्यु- गाढ़ा(नागौर) 
  • मूल नाम- हरिसिंह सांखला
  • कलियुग के वाल्मिकी कहलाएं।
  • प्रमुख ग्रंथ- हरि पुरूष जी की वाणी, मंत्र राजप्रकाश
  • निरंजनी संप्रदाय के प्रवर्तक जिसकी प्रमुख पीठ - गाढ़ा (नागौर) में है।
  • निरंजनी संप्रदाय के गृहस्थ अनुयाईयों को घरबारी तथा विरक्त अनुयाईयों को निहंग कहा जाता है।
  • निरंजनी शब्द परमात्मा तत्व का प्रतीक है। जैसे अलंख निरंजन , हरि निरंजन, राम निरंजन का प्रयोग इसी अर्थ में किया जाता है।
  • यह संप्रदाय निर्गणी है।
ललदास जी-
  • जन्म- धौलीदूब(अलवर) 1540ई को
  • तिजारा के मुस्लिम संत गद्दन चिश्ती से दीक्षा लेकर लालदासी  संप्रदाय को प्रारंभ किया-
  • लालदास जी ने निर्गुण भक्ति पर बल दिया।
  • लालदास जी की मृत्यु नगला गांव (भरतपुर) में वि.सं.1705 को हुई।
  • समाधि- शेरपुर(अलवर) 
  • लालदासजी संप्रदाय की प्रमुख पीठ नगला (भरतपुर)
  • प्रमुख ग्रंथ - लालदास की चेतावणिया 
  • इस संप्रदाय के सर्वाधिक अनुयायी- मेवात (अलवर-भरतपुर) मे रहते है।
  • मेव जाति के विशेष पुजनीय संत
  • मूमल सम्राट अकबर व दादू के समकालीन था।
संत पीपा- (निर्गुण)
  • जन्म - गगरोन (झालावाड़) 
  • पिता- कड़ावा राव खींची (चैहान)
  • माता- लक्ष्मीवती
  • बचपन का नाम- प्रताप सिंह 
गुरू रामानंद जी
  • राजस्थान में भक्ति आंदोलन की अलख जगाने वाल ये प्रथम संत थे।
  • मोक्ष प्राप्ति का साधन इन्होंने भक्ति बताया था।
  • फिरोजशाह तुगलक की सेना को पराजित किया।
  • दर्जी समुदाय इन्हें अपना अराध्य मानते है।
  • टोडा गांव (टोंक) में पीपाजी की गुफा है। यहां पर इन्होंने समाधि ली थी।
  • छतरी- काली सिंध नदी के तटपर गागरोन में 
  • मंदिर- समदड़ी (बाड़मेर)
  • मसूरिया व गागरोन में भी इनकी स्मृति में मेला लगता है।
संत धन्ना -
  • जन्म - धुवन गांव (टोक) 1415ई में जाट परिवार में 
  • गुरू रामानंद 
  • प्रियदास कृत भक्तमाल की टीका से ज्ञात होता है कि धन्ना प्रारंभ में मूर्ति पूजक थे बाद मे गुरू के प्रभाव से निर्गुण उपासक हो गए है।
  • राजस्थान में भक्ति आंदोलन का जनक 
  • ऊंच-नीच, जाति-पाति व छुआछुत का विरोध किया।
संत रज्जब जी-
  • जन्म - सांगानेर(जयपुर) मे एक पठान के परिवार में 16 वी सदी में हुआ।
  • गुरू दादूदयाल 
  • जीवन भर दुल्हे के वेश मे रहे।
  • प्रमुख ग्रंथ रज्जबवाणी एवं सर्वणी , हरडेवाणी 
  • मृत्यु सांगानेर इसी स्थान पर इनकी प्रमुख गद्दी है।