पुर्नजागरण, विचार धारा , प्रमुख भौगोलिक खोजे, पुनर्जागरण के नकारात्मक प्रभाव

 पुर्नजागरण

  • शाब्दिक अर्थ- पुनःजागना
  • साहित्यिक अर्थ- नया जन्म

विचार धारा

  • जे. एल. नेहरूः- पूनजार्गरणविधाका पुनर्जनम, कला, विज्ञान, साहित्य व यूरोपीय भाषा का विकास था।
  • पुनर्जागरण ने मानववाद को जन्म दिया।
  • फ्रेंच भाषा के मौलिक शब्द रेनसत्र का प्रथम प्रयोग इटली के वेसारी ने 16वीं शताब्दी के स्थापत्य कला एवं मूर्तिकला में आये क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए किया।

पुनर्जागरण के कारणः-

  • छेरूसलम केा लेकर ईसाईयों व मुस्लमानों के बीच 11वीं से 13वीं शताब्दी के मध्य हुए धर्मयुद्ध।
  • 1450 ई. में जर्मनवासी गुटेनबर्ग द्वारा छापेख्पाने का अविष्कार।
  • व्यापारिक समृद्धि, पूँजीवाद, मानववाद का प्रार्दूभाव व नये भौगोलिक अन्वेषण (खोज)।
  • 1453 ई.मे तुर्की द्वारा पूर्वी रोमनसामा्रज्य की राजधानी कस्तुन्तुनिया पर अधिकार (प्रमुख कारण)। (तत्कालिन कारण)
  • वैज्ञानिक खोजे, व राष्ट्रीयता की भावना का विकास।

इटली से पूनर्जाकरण शुरू होने के कारण (1350-1550)ः-

  • इटली के नगर ज्ञान व संस्कृति के केन्द्र थे।
  • इटली प्राचीन रोम सभ्यता का केनद्र था।
  • व्यापारिक व विदेशी व्यापार का केन्द्र।
  • श्रोम को लैटिन साहित्य व मानवतावाद का केन्द्र होना।
  • भौगोलिक अनुकूलता
  • ईसाई संस्कृति का केन्द्र राम।
  • बेनिस व फलोरेस (विद्ववानो ंका नगर) जैसे स्वतंत्र नगरों की स्थापना।

प्रमुख भौगोलिक खोजेः-

  • 1415- पूर्तगाल क्षरा सीटा पर अधिकार। (अफ्रीका का द. तट)
  • 1486- उत्तमाशा अन्तरीप (केप ऑफ गुड होप)- बार्थलोन्यू डेज (पुर्तगाल)
  • 1492- अमेरिका- क्रिस्ओफर कोलम्बस (इटली)- स्पेन की सहायता से खेजा
  • 1497- केट ब्रिटेन द्वीप- जॉन केबट (इटली)- स्पेन की सहायता से खोजा।
  • 1498- भारत (कालकट बन्दरगाह-जेमेारिन)-वास्कोडिगामा।
  • 1499- ब्राजील- पिंजोन।
  • 1499- अमेरिगो वेस्पुची ने अमेरिका महाद्वीप का चक्कर बनाया।
  • 1519- फिलीपींस-द. अमेरिका एवं मेंगेलिन (सम्पूर्ण पृथ्वीर की परिक्रमा)।
  • इंग्लेण्ड निवासी जॉन डेक ने पृथ्वी की परिक्रमा की।

पुनर्जागरण के नकारात्मक प्रभाव

  • मानव जीवन पर भौतिकता के प्रभाव से सात्यिकता एवं अध्यात्मिकता के जीवन मूल्यों का स्थान अािध्क धन कमाने व भौतिक संसाधनो के प्रति आकर्षण ने ले लिया।
  • अब नैतिकता, सादगी व सरलता के अर्थ और मूल्य बदल गये थे।

पुनर्जागरण के प्रभाव

साहित्य के क्षेत्र में

1. इतालवी साहित्यः-

  • दौते- (1265-1321) पुनर्जागरण का संदेषवाहक/जनक
  • द डिवाइन कॉमेडी (महाकाव्य)7 टस्कन भाषा/इतालवी भाषा।
  • द मोनाकया पोप विरोधी 1339 मे सार्वजनिक रूप से जलाया।
  • द वल्गरी इलोक्योशिया
  • वीतानेआ (नया जीवन)- प्रेमगीतो का संग्रह।

2. पेर्ट्राक (1304-1374):- मानववाद का पिता/जनक

पुनर्जागरण का पिता

  • फेमेलियर लेटर्सः-प्रथम आधुनिक व्यक्ति।
  • गति अफ्रीका-सोनेट्स

3. बुकासिआ (1813-75)ः- पेट्राक का शिष्य व साथी

  • लैटिक गघ साहित्य का पिता
  • डेकामेरोना (100 हास्य कहानियों का संग्रह)(ब्लैक डेथ-1348 का वर्णन)
  • फिलो कोला और फिला स्त्रोतो
फ्रांसीसी साहित्य

  • बिलो (1431-1484) - फ्रांस का कवि
  • रेबलास (1494-1553) - फ्रांसीसी उपन्यास सात्यि का जन्मदाता

हीरोइक डीड्स ऑफ गारगन्तुआ एण्ड पेन्टागल (नया संदेश)

  • मॉन्टेन (1533-92) प्रसिद्ध निबन्धकार (प्रथम आधुनिक पुरूष)

अंग्रेजी साहित्य

  • पुनर्जाकरण का चरमोत्कर्ष काल (एलिजाबेथ (1558-1603))
  • चौसर (1340-1400)- अंग्रेजी काव्य का जनक, अग्रेंजी साहित्य का होमर, केन्टरबरी टेल्स (काव्य ग्रंथ)-सोनेट लम्बी कविता को जन्म दिया (14 पंक्तियो का गीत)
  • सर टामस मूर (1478-1535)-

यूरोपिया- 1516 (कल्पित लोक)

  • एडमण्उ स्पेन्सर (1552-1599)- फेयरी कवीन
  • फ्रांसिस बेकन (1561-1626)- आधुनिक प्रयोगशाला विज्ञान का जन्मदाता।, द. न्यू अटलाण्टिस, दी उडवान्समेन्ट ऑफ लर्निग।
  • क्रिस्टोकर मार्को (1564-1593)- डाक्टर फोस्टर (नाटक)
  • मिल्टन-पेराडाइज लास्ट, पेराडाइज रिगेन्द।
  • विलियम षंकस पिपर (1564-1616)- कवि व नाटककार मानवी स्वभाव का वर्णन।
  • हेमलेट, मकबेथ, किगंलियर, आथेलियो- दूखान्त नाटक।
  • रोमिया- जूलियट, प्रलियस् सीजर, मचेंण्ट ऑफ बेनिस, एज यूलाईक ईंट।

स्पेनिस साहित्य

  • सर्वान्टीज (1547-1616)- डानकिवक जोट
  • केमोन्स- लूसियाड महाकाव्य (वास्को-डी- गामा की खोज पर)

हालैण्ड साहित्य

  • इरेसमस (1466-1536)ः- यूरोप का विद्वान
  • इन दी प्रेज ऑफ काली (मूर्खता की प्रशंसा)
  • मानववादियों का राजकुमार
  • कोलोलोकिवज- जूलियस सका निष्कासन
  • द हैड बुक ऑफ द क्रिश्चियन फट एण्ड मैथड ऑफ ट्र थियोलॉजी
  • उच्च् सात्यि
  • मैकियावली (1469-1527)- आधुनिक चाण्क्य/यूरोप का चाण्क्य
  • द पिन्स
  • डिस्कोर्सिस ऑफ लिवि
  • हिस्ट्री ऑफ फलोरेन्स
  • मेन्डागोला
  • आर्ट ऑफ बार

आधुनिक राजनीतिक दर्शन का जनक

  • मान्टेस्कयू- पर्शियन लोटर्श
  • जेक व बर्क हार्ट (1860)- दि सिविलाइजेशन ऑफ रेनेसा इन इटली

कला के क्षेत्र में

स्थापत्य कला में

स्थापत्य कलाः-

  • गोथिक शैली- यूनानी$रोमन$अरबी का समन्वय
  • श्रंगार$सजावट$डिजाइन विशेषताएं
  • इस शैली मे प्रधानता- मेहराब, गुम्बन्द व स्तम्भ

टंत पीटर का गिरजाघर-माइकल एंजेलो न रॉफेल

  • पूर्नजागरण कालीन स्थापत्य कला का सर्वश्रेष्ठ नमूवा
  • लूबे प्रसाद (पैरिस)
  • सन्त पाल गिरिजाघर (लन्दन)
  • इस्को रिजल प्रसाद (स्पेन)
  • फलोरेंस के कथीदल चर्च के गुम्बद का डिजाइन बूनेलोस्की ने तैयार किया।
  • पुनर्जागरण स्थापत्य कला का प्रवर्तक

चित्रकला

  • इस समय धार्मिक चित्रों की जगह जन-जीवन पर लैंकिक व यथार्थवादी चित्र बना दे गये।
  • जिपटो (1276-1336) गुरू सिमेब्बू, आधुनिक चित्रकला का जन्मदाता, - मानव व प्रकृति पर चित्र बनाने वाला प्रथम व्यक्ति
- चिड़ियो को उपदेश देते संत फ्रांसीसी, निर्दोषो की हत्या।

  • लिओवार्दो दा विन्ची (परीक्षण का अनुपायी) (1454-1519)
  • - दलास्ट स्पर (ईसा मसीहका अन्तिम रात्रि भोज)
  • वार्जिन ऑफ दी रॉक्स (पहाड़ी सुन्दरी)
  • - मोनालिसा (ल जकेान्दो- हिन्दी- कौतुकमयी)
  • - मोनालिसा- जियो कोंडो की पत्नि थी-(रहस्यमयी मूस्कान) के लिए विश्व प्रसिद्ध।
  • - मोनालिसा- वर्तमान मे पेरिस के लूब्रेसग्रहालय में।
  • - ट्रीटाईस आन पेंटिग- पुस्तक।

माइकल ऐन्जेसो (1475-1564)ः- मूर्तिकार, चित्रकार, स्थापत्यकार व कवि।

  • कथन- चित्र मस्तिष्क से बनाये जाते है, हाथ से नहीं।
  • विशेषता- मानव शरीर व स्वभाविक एवं जीवन्त चित्रण।
  • - द लास्ट जजमेन्ट- (रोम के सिस्वडन गिरजाघर की दीवार पर)
  • - सिस्आइन चैंपल- रोम के सिस्टाइन गिरवाघर मे बाईबिल के 1454 पदो का चित्र
  • - द फाल आफ मैन- (मानव का पतन)
  • - द पाइत/पियता- (ईसा को गोद मे लिए मेरी की मूर्ति)
  • - द करीषन ऑफ आदम- (आदम की उत्पत्ति)

राफेल (1483-1520)ः- पुनर्जागरण काल का प्रसिद्ध चित्रकार

  • - सिस्टाइन मेझेना- (जिससे क्राइस्ट की मां मेक्रोना का चित्र)
  • - सिस्टाइन मेझेना- (मातृत्व और वात्सहय का मनोहर चित्रण)
  • - एथेंस का स्कूल

तिशिपन (1477-1576)ः- पोर्टरेट (चेहरे) बनाने मे निपूर्ण

  • - वर्जिन की कल्पना (तेल चित्र)
  • - दस्ताने पहने हुए आदमी।
  • - चार्ल्स पंचम, फिलीप-2- स्पेन
  • - फ्रांस के राजा फ्रांसिस-1
  • अल्वर्ट डयूरटः- इटालवी चित्रकार, तूलिका चित्र
  • फ्रांज हाल्सः- लाफिंग कैवलरी
  • बतिचेलीः- बसन्त ऋतु का दूष्टान्त, वीनस का जन्म

मूर्तिकला

  • मूर्तिकला धर्म के बन्धन से मुक्त हुई। धार्मिक सन्तों के स्थान पर मनुष्यों की मूर्तिया बनने लगी।
  • दोनातेला-चेपिय के यप्तमसर्ककी आदमकद मूर्ति।
  • गिवर्टी (जियोबर्टी)- फलोरेन्स से गिरिजाघर के सुन्दर द्वारा कॉसे के बनाये एन्जेलो- ये द्वार तो स्वर्ग के द्वार पर रखे जाने योग्य है।
  • माइकल एंजेलो- डेविड की मूर्ति, 16 फूट ऊंची (पेता/पेयता) की मूर्ति

संगीत कला

(आकोस्ट्रा युग प्रारम्भ)

  • पेलेस्ट्रिना - प्रसिद्ध संगीत ग्रन्थ 
  • जॉन बुल -
  • मास्किन दास -
  • विलियम वर्ड -

विज्ञान के क्षेत्र मे

केापरक्सि ( 1473-1543)- (पॉलेण्ड (आधुनिक खगोलशास्त्र का संस्थापक का पिता/जनक)

  • - सिद्धान्त- पृथ्वी एक ग्रह है जो सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाती है।
  • - इटली के ब्रूनों ने इस सिद्धान्त की पुष्टि की।
  • - जर्मनी के जॉन केपलर से गवितीप आधार पर पूष्टि की।
  • रचना- आकाष मण्डल की क्रांति, खगोलीयपण्ड़िों द्वारा परिक्रमा।

गौलेलियांें (1564-1642) (इटली)

  • - दूरबीन (टेलीस्काप) का अविष्कार
  • - पेण्डूलम का अविष्कार
  • - कोपरनिकस के सिद्धान्त की पूष्टि की।
  • - वायु थर्मामीटर$नक्षत्र घड़ी की खोज।
  • रचना- द मोशन, नक्षत्रों का संदेश-वाहन

रोजर-बेकन- प्रायोगिक विज्ञान का जन्मदाता।

  • - सुक्ष्मदर्शी क्षेत्र
  • - सत्य सत्ता की नहीं, वस्त्र समय की पुत्री है।

आइजेक न्यूटन (1642-1727)- इग्लैण्ड

  • - गुरूत्वाकर्षण का सिद्धान्त (1687 ई.)

रचना- प्रिसिपिया।

  • तारतगालियों- धन समीकरण सिद्धान्त
  • स्टेविन- दशमलव पद्धति का जनक
  • देकाते (फ्रांस)- बीजगणित का रेखागतिण (ज्योमिति) मे प्रयोग

- विज्ञान मे सन्देहवाद काजनक

  • नेपियर- प्रतिफलन प्रति का जनक।
  • केपलर- शेक, सम्बन्धों सिद्धान्त (अविच्छिन्नता का सिद्धान्त)

- कॉस्मों ग्राफीकल मिस्ट्री- पुस्तक

  • बेसेलियम (हालेण्ड)- मानव शरीर की बनावट- मे शलय क्रिया का उल्लेख।
  • सरविलयम हार्वे (इग्लेण्ड)- रक्त प्रवाह सिद्वान्त।

रचना- डिसरटेषन अपॉन द मूवमेंट ऑफ द हार्ट।

  • हेलामोंट - बव2¬ ¬गेंस की खोज
  • सोर्डस- ईधर का निर्माण (गन्धाक$एल्कोहल)
  • पोप ग्रेगर्रा 13वॉ-  1582 जुलिवन कैलेण्डर - को संशोधित कर
  • - ग्रीगोरियन कैलेण्डर चलाया जो आज भी प्रचलन मे है।

  • - चर्च एक लाल ची ओर साधारण लोगो से बात-बात पर लूट खसोट करने वाली संस्था है। इरैस्मस
  • दार्शनिक चित्रकार ने वर्षों तक आकाश मे पक्षियों के उडने का परीक्षण किया तथा एक उडन मशीन का प्रतिरूप बनाया।
  • लियोनार्दो दा विंची
  • जोहननेसगूटेनबर्ग द्वारा 1454 मे 31 पंकितयो की पुस्तक दि इण्डलजेन्स ऑफ निकोलय फिपथ प्रथम प्रकाशित पुस्तक है।

फ्रांस की क्रांति के कारण

निरकुंश शासन

हेनरी-4 (1589-1610) - बू्रर्बो वंश का संस्थापक।

लूई- 13वां (1610-43)

- 1614 मे एस्टेटस जनरल के अधिवंशन केा भंग किया जो कि आर्थिक कारणेे से बुलाया गया था।

लुई-14वां (1643-1715)

- मै ही राज्य हूँ, मेरे शब्द ही कानून है।

- वसयि के महलो का निर्माण करवाया।

- इसका शासक काल कला, साहित्य व संगीत की उन्नति मे स्वर्णकाल कहलाया।

- 1664 कोल्बर्ट (वित्तमंत्री) ने फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना की।

लूई-15वां (1715-74)- (अदूरदर्शी राजा)

- 1756-63 सप्तवर्षीय युद्ध (इग्लैण्ड$फ्रांस)

- आर्थिक स्थिति कमजोर हुई।

- इसके समय फ्रांस की जनता वर्साय के महलों को राष्ट्र की समाधि कहने लगी।

- कथनः- मेरा समय तो वर्तमान व्यवस्था मे ही कर जाऐगा, मेरे मरने के बाद प्रलय होगी।

जान ऑॅफ आर्क- 17 वर्षीय गरीब किसान की बेटी जिसे सप्तवर्षीय युद्ध मे जिन्दा जला दिया गया।

लूई 16वां (1774-93)

- क्रातिं के समय सम्राट

- ताज ग्रहण करते समय- यह (मुकुट) मुझे चूमता है।

- कथन- काश! मैं भी त्याग पत्र दे पाता।

- कथन- इन दो व्यक्तियों (रूस्ते$वाल्तेयर) ने फ्रांस का सर्वनाश कर दिया।

दोषपूर्ण कानून व्यवस्थाः- व शासन व्यवस्था

लूई- 16वां- मैं चाहता हूँ इसलिए यह चीज कानूनी है।

- न्यायालय की भाषा लैटिन तथा जनसामान्य की भाषा फ्रांसीसी थी।

- पूरे देश मे 385 प्रकार के कानून प्रचलित थे।

- लेटर-डी-केचेट (लेत्रा द कांसे)- वह राजपत्र जिस से राजा किसी भी व्यक्ति को मनमानी सजा दे सकता था।

- शासन व्यवस्थाः-

         1 गवर्न मंेट- 4 सदस्य7 कूलीन वर्ग- उच्च वेतन

         2 जनरेलिटी- उपसदस्य- राजा के दास

दोषपूर्ण सामाजिक व्यवस्थाः- 

- समाज दो भागो मे विभाजित था- 1 विशेषाधिकार, 2 अधिकार विहीन।

- नेपोलियन- क्रांति मुख्य रूप् से सामाजिक असमानता के कारण हुई, स्वतंत्रता तो बहाना मात्र था।

- क्रातिं का नारा- स्वतंत्रता, समानता और भातृत्व/भाईचारा।

1. विशेषाधिकार वर्ग 2. अधिकार विहिन वर्ग


अ. पादर्श वर्ग ब. कुलन वर्ग स. मध्यम वर्ग

देश की 40 प्रतिशत सामन्त वर्ग द्वारा शिक्षक, वकील,

भूमि पर अधिकार

पदर्श वर्ग कुलन वर्ग मध्यम वर्ग

देश का 40 प्रतिशत भूमि पर अधिकार सामान्त वर्ग द्वारा किसानों का शोषण होता था। शिक्षक, वकील, डॉक्टर, बुद्धि जीवि वर्ग, दार्शनिक, वैज्ञानिक।

चर्च को कर नहीं देने हेाते थे। इन्हे भी कर नहीं देना होता था। शिल्पी या मजदूर वर्ग , किसान वर्ग को 80 प्रतिशत थे। 

सारे कर केवल इस वर्ग को देने होते थे।

स्माज मे तीन वर्ग थे। अपनी आपनी आय का लगभग 80 प्रतिशत



आसियां रेजिम/पूरातन व्यवस्थाः- 1789 से पूर्व की व्यवस्था

- कोर्वी बेगार कर

- टेले/टाईल भूमिकर

- विगंटाइम आयकर (आय का 5 प्रतिशत)

- टिथ/टाईथ/ दशंाश घार्मिक कर (आय का 1/10)

- गेबुल नमक कर (7 पौण्ड वार्षिक)

बैद्धिक कारण:- (दार्शनिको का प्रभाव/फिलाजाइस वर्ग)

1. दार्शनिको/फिलाजाइस को फ्रांसीसी क्रांति की आत्मा कहा गया है।

- मान्टेस्कयूः- (चार्ल्स लूई सेकेडेनट)

- शक्ति पृथ्ककरण का सिद्धानत दिया।

-रचनायेः- द स्प्रिट ऑफ लॉ (कानून की आत्मा)- प्रसिद्ध रचना, पशिर्यन लेटरस (प्रथम रचना), फारस के खत।

2. वाल्तेयर (फ्रांस मारी आरूए)

  व्यंग्य लेखक था- लेखन का जादूगर, प्रबोधन युग का नेता

पुस्तके- 1. एदिप/ईडिपस (1718 मे प्रथम रचना)

2. लेटर्स ऑन द इंग्लिस (खुलेआम जलाने का आदेश दिया गया)

3. लेटर्स फिलोसोफिम्स

कथनः- इन बदनाम चीजों के नष्ट कर दो।हो सकता है मै आपके विचारो से सहमत न होऊ, किन्तु आपके विचार व्यक्त करने की स्वतन्त्रता का समर्थन करूँगा।

पोप को विदेरी पादरी कहता था।

3. रूसोः- विश्व इतिहास मे आधुनिक लोकतंत्र का जन्मदाता

रचनाऐः- 1. डिस्कोसेंज ऑन साइस एण्ड आर्ट्स

2. एमिले- नारा न बैंक टू नेचर (प्रकृति की ओर लोटोंु)

आत्मकथा- स्वीकृति/स्वीकोरोकित (कॉनप्रेशन)

उपन्यास- जिलि

सेशल कोन्ट्रेकट (सामाजिक संविदा)- फ्रांसीसी क्रांति की बाईबिल- 1761 ई.

  1. प्रथम पंकित- मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है फिर ीाी हर कहीं जंजीरो से जकड़ा है।

  2. रोब्सपियर इसे बाइबिल की तहर तकिये के नीचे रखकर सोता था।

क्रांति के आदर्श वाकयः- स्वतंन्त्रता, समानता व भातृत्व का जनक - रूसों

नेपोलियनः- यदि रूसो ने होता तो फ्रांस की क्रातिं  न होती।

रूसो के उपनामः- क्रांतिकारीयो का पेंगम्बर, संतोष का मसीहा, धर्म निरपेक्ष समाज के आगामी युग का वैतालिक, अषंत आत्माओ का अमर अपवाहक, लेकिक मुक्ति का उग्र देवदूत, आत्मभिव्यक्ति के नये स्वछन्दतावाद का दार्शनिक।

4. दिदरों:- 17 खण्डों मे विश्वकोष/एनसाइकलोपिडिया लिखा , फिलोसफीज थोटा

5. हालवैंशः- भौतिकवादी दार्शनकि

आर्थिक सूधारों मे बिफलता:-

फ्रांस की क्रांति का तात्कालिक कारण

लूई-16वें ने आर्थिक सूधारों के लिए निम्न वित्त मंत्री लगाये-

1. तुर्गी (1774-76):- सभी कर समाप्त कर दिये जाऐ, दिवालियापन नहीं, कर वृद्धि नहीं, कोई ऋण नहीं।

2. नेकट(1776-81):- पहली बार राज्य के अपव्यय का विवरण व आय-व्यय की रिपोर्ट (काम्ते रेन्दू) जन सामान्य  से प्रकाशित करवाई।

3. कैलोन(1781-87):- समस्त जनता पर कअ लगाने का सूझाव दिया।

4. ब्रियो:- सभी वर्गो पर समान भूमिकर तािा स्आम्प टैक्स लगाने को कहा।

पोर्लेमा ने कहा नये कर लगाने का अधिकार एस्टेट्स जनरल को है।

ल्स्टेइस जनरल बूलाने का सूझाव दिया।


फ्रांस की क्रांति की घटनाऐ

1. एस्टेट जनरल का अघिवेशन:- (5 मई, 1789)(क्रांति की शुरूआत)

वित्त मंत्री ब्रिंआ के कहने पर लूई-16वें को नाचाहते हुए 175 वर्षों बाद (1614 के बाद) 1789 में एस्टेट जनरल का अधिवेषन बुलवाना पड़ा।

एस्टेट्स जनरल/फ्रांस की संसद

1320 ई. मे इसकी स्थापना हुई थी। इसे तीन चरणों मे बाँटा गया है।

अ)- प्रथम स्टेट (पादरी), इसमे कुल सदस्य संख्या- 600 होती है जबकि इसमे उपस्थित 308 सदस्य ही होते है।

ब)- द्वितीय स्टेट (कुलीन), इसमे कुल सदस्य संख्या- 600 होती है जबकि इसमे उपस्थित 285 सदस्य ही होते है।

स)- तृतीय स्टेट (साधारण वर्ग), इसमे कुल सदस्य संख्या- 1200 होती है जबकि इसमे उपस्थित 621 सदस्य ही होते है।

एक सदस्य एक मत सिद्धान्त दिया ।

इस बैठक का पादरी व कूलीन वर्ग ने विरोध किया व तृतीय स्टेटस को बर्साय के अल्पनंद समजात मे प्रवेश नहीं करने दिया।

17 जून, 1789 को तृतीय स्टेट ने स्वंय को नेशनल 3 सेम्बली (राष्ट्रीय सीाा-आम्बेसीए के नेतृत्व में) द्योषित किया।

टेनिस कोर्ट की शपथ- 20 जून, 1789 (मिराबो के नेतृत्व में)

शपथ का प्रस्ताव- मोनियर

सभा पति- बेली

तृतीय स्टेट को पोशाक- सादे काले रंग की

आम्बे सीए की पुस्तक- ’तृतीय स्टेट क्या है?’ 

27 जून, 1789 केा तीनो सदनों की संयुक्त बैठक मे लूई-16 वे ने राष्ट्रीय सभा को वेंधानिक मान्यता है।

9 जुलाई, 1789 को राष्ट्रीय सभा ने स्वयं को संविधान सीाा घोषित किया।


सामाजिक क्रांतिः- (4 अगस्त, 1789)

एक कूलीन नोआइय (बींन पेंदे का लोटा) ने घोषणा कि ’’मैं अपने विशेषा धिकार त्यागता हूँ।’’

इस दिन राष्ट्रीय सभा ने सर्वाधिक प्रस्ताव पारित कर सामन्तवादी व्यवस्था का अंत किया।

27 अगस्त, 1789 को सवंधिान सीाा ने 17 धाराओं मे फ्रांस में ’’मानवाधिकारों को घोषणा-पत्र’’ जारी किया गया। जिसकी तुलना ’इग्लैंण्ड के मैग्नाकारी’ तथा ’अमेरिका के स्वतंत्रता के घोषणा-पत्र’ से की गई।

एकरन ने कहा कि- ’’यह कागज का टूकड़ा नेपोलियन की संना से भी अधिक शक्तिशाली सिद्ध हुआ है।

लफायते- मानवाधिकारों के घोषणा पत्र का मसविदरा तैयार किया व नागरिक सुरक्षा बल की स्थापना की।

’’दो दुनिया का नायक’’ 

बास्तील दुर्ग का पतनः- 14 जुलाई, 1789

- 14 जुलाई को फ्रांस मे राष्ट्रीय दिवस/स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।

- राजेट दी लाईल द्वारा रचित गीत ’’मर्सिले’’ वर्तमान मे फ्रांास का राश्ट्रगान है।

- 3 नवम्बर, 1789 को सवंधिान सभा ने चर्च का सम्पत्ति का राष्ट्रीयकरण का दिया (यह प्रस्ताव तालीरां नामक विशप ने रखा)।

- 4 से 6 अक्टूबर, 1789 को पेरिस की 11,000 महिलाऐं वर्साप के महलों मे गई। और राज परिवार को साथ लेकर वापिस आ  गई। जब महिलाओं ने रोटी न होने की बात कही तो मेरी एन्तावानेत ने कहा- ’’रोटी नहीं है तो ब्रेड खाओं’’।

- 1 अक्टूबर, 1791 को संविधान सीाा ने ’’फ्रांस का’’ पहला लिखित सवंधिान तैयार किया।

- एसाइनेट/आसीयां- एक नई कागजी सूढ़ा चलाई गई।

- 20 जून, 1791 को लूई-16 ने भागने का असफल प्रयास किया। बाद मे 21 जनवरी, 1793 को लूई-16 को मृत्युदण्ड दिया गया। इस प्यूलेरिए के राजमहल मे गिलोटिन पर चढ़ाया गया तथा इस स्थान कों ’क्राति स्थल’ नाम दिया गया।

20 सितम्बर 1792 को राष्ट्रीय  सभा भंग कर नये सविधान के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन (नेशनल कन्वेंशन) की स्थापना की।

- राष्ट्रीय सम्मेलन की संरचना -

जेका बिन्स दल

- बाँयी ओर बैठते थे।

- इन्हें गिरीशिखर (माउन्टेन) कहा गया है।

- नेताः- रोबेस्पियर, दौते, मारा, कोर्नो, कामिल

- तानाशाही।

जिरोदिस्त दल

- दाँयी ओर बैठते थे।

- नेता जिरोदे प्रान्त के निवासी थें

- नेताः- मादाम रोला, ब्रिसोत, कन्दोर्सें, टूमूरिये

- मादाम रोला को 1794 को गिसोटिन पर चढ़ाया।

- प्रजातांत्रिक गणतंत्र समर्थक

फ्रांस मे आंतक राज्य की स्थापनाः-

- 9 मार्च, 1793ई. (क्रांतिकारी न्यायालय की स्थापना) से 28 जुलाई, 1794 (राब्सपियर की मृत्यु (धर्मीडोरियन क्रांति)) तक आंतक का शासन रहा।

- जेकोबिन दल के नेता दांते, माराव राव्सपीयर ने आंतक राज्य की स्थापना की।

- क्रांतिकारी न्यायालय द्वारा विद्रोह करनेवाले को गिलोहिन पर चढ़ दिया जाता था। गिलोटिन फ्रांसी को दंण्ड देने का यंत्र था।

- सौ कुलांत/ सान्ज कयूजलोत (जेकोबिन)ः- 17 से 21 सितम्बर (नया कलैण्डर) का समय।

- दांतेः- दांते ने कोर्डेलियर नामक कलब संगठित किया।

ज्ेकोबिन दल का नेता था।

- रोॅबसपियरः- फ्रांस का क्रांतिकारी

कार्य- प्रल्तुआं के नाम पर आधारित कलैण्डर जारी करना। 10 जून 1794 को ’’स्।ॅ व ि22 च्तंपतपंस’’ नामक कानून जारी किया।

डायरेक्टरी का शासन (1795-99)ः- 

नेशनल कनवेषन ने 26 अक्टूबर, 1795 ई. को एक नया सवंधिान तैयार किया। यह कलेण्डर शुरू होने के तीन वर्ष बाद लागू हुआ। अतः इसे तृतीय सवंधिान/ तिसरे वर्ष का सवंधिान कहते है।

इस सविधान के तहत फ्रांस मे 27 अक्टूबर, 1795 ई. से 10 नवम्बर, 1799 तक गणतंत्रीय प्रणाली पर आधारित डायेरेक्अरी का शासन चला। इस काल मे 5 डायरेकटर थे, इस काल मे रक्त हीन क्रांति कहते है।

निम्नलिखित 5 डायरेक्टरों का क्रमः-

1) एबेसीउल 2) हुको 3) तेलीरां 4) गोइयर 5) जनरल मौलिन

कोन्स्यूलेट व्यवस्था (1799-1804)ः-

1799 मे नेपोलियन ने डायरेक्ट्री के शासन का अंत किया व कोंसूल व्यवस्ािा शुरू की। ओर स्वयं प्रथम कोसूल बना तथा फ्रांस मे सविधान बना जो गणतंत्र के 8 वें वर्ष का सवंधिान कहलाया।

- महत्वपूर्ण तथ्य -

’’क्रांति का हरक्यूलिस’’ विश्व का अक्षय - दाँतें

दो दुनियाओं का नापक (फ्रांस$अमेरिका)- लाफायेत

खून का प्यासा- मारा।

कांट ने इसे विवेक की विजय कहा था।

विजय का संघटक- कार्नो।

हैगंेल ने क्राति की दाद मे पौधे लगाए थे।

वाइर्स वर्थ ने अपने यूवा व फ्रांसीसी ने होने पर खेद प्रकट किया।

मेटरनिरव ने कहा फ्रांस को जूकाम होता है तो समस्या यूरोप छींकता है।

भारत मे टीपू सुल्तान (पौधे लगाए व नागरिक टीपू) व राजाराम मोहन राय ने फ्रांसीसी क्रांति से प्रेरणा ली। तथा जेकोबिन कल्ब के सदस्य बने।

मापतोल की दशमलव प्रणाली फ्रांस की देन है।

सांस्कृतिक राष्ट्रीयता का जनक हर्डर को कहा जाता है।

गिलेटिन को लूइसेट भी कहा जाता है।

फ्रांस मे महिलाओं को मताधिकार- 1946

दास प्रथा का अंत-1848

ऐले- कपड़ें मापने का पैमाना।

क्रांति के प्रतीक (फ्रांस$जर्मनी)

टूटी हुई जंजीर- दासों की आजादी।

छड़ी बछींदार गडर- एकता का प्रतीक।

त्रिभूज के अंदर रोशन बिखेरती आँख- सर्वदर्शी ज्ञान।

अपनी पूंछ मूंह मे लिए हुए सांप- निरन्तरता के लिए।

पंखो वाली स्त्री- कानून के मानवीय रूप के लिए।

पिरामिड- समानता का प्रतीक।

लाल फ्रांइजियन टोपी- दासों द्वारा स्वतंन्त्रता के बाद पहनी गई।

नेपोलियन बोनापार्ट

उपनामः- ’’नन्हा कारपोरल’’, द्वितीय जस्टीनियन, 18वीं सदी का अन्तिम व प्रबुद्ध शासक

- जन्म:- 15 अगस्त, 1769 कोसिका द्वीप के अजाकियो नगर मे (इटली)

- पिजा:- कार्लो बोनापार्ट

- माता:- लेटीजिया रमेालिनों

- पत्नि:- जोजेफाइन (1796) - तलाक- 2दक पत्नि - मेारिया लूइस्क (आस्ट्रिया)

- 16 वर्ष की आयु मे सैकेण्ड लैफ्टिनेट बना।

- 1793- अंग्रेजो के विरूद्ध तूलो के युद्ध मे प्रथम विजय

- 5 अक्टूबर, 1795 पेरिस की भीड से नेश्ज्ञनल कन्वेशन की रक्षा की।

- 1796-97 इटली अभियान (द लिटिल कारपोस्ट) यहीं से नेपोलियाई युद्धो की शुरूआत हुई।

- 1797 आस्ट्रीया से केम्पोफोर्मिया की संधि।

- पिसमिडो के युद्ध मे मिश्र को हराया।

- 1798 पिरामिडो के युद्ध मे मिश्र को हराया।

- 1794 नेपालियन फ्रांस लौटा- कथन ’’यदि मे पहले आता तो जल्दी होती, यदि मे देरी से आता तो देरी होती मे सही समय यपर आता हूँ, अब नाशपत्ति तक चूके है।’’

- 1799 क्रांति युग के आठवें वर्ष का संविधान बनाया और डायरेक्टरी शासन का अंत कर कैंसूल व्यवस्था शुरू की ओर स्वयं प्रथम कैंसूल बना।

- 1801 अस्ट्रिया से ल्यूनविले संधि की।

- 1802 ब्रिटेन से अमीन्स सन्धि की। इग्लैण्ड ने प्रथम बार नेपोलियन के नेतृत्व मे फ्रांसीसी सरकार को मान्यता दी।

- 1802 पोप के साथ कार्न्कोड समझौता। केथोलिक धर्म को राजकीय धर्म घोषित किया।

- 1804 नोपोलियन फ्रांस का सम्राट बना।

- नेपोलियन कोड/नेपोलियन संहिताः- 1804 

1. सिविल कोड/नागरिक संहिता।

2. कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर/ नागरिक प्रक्रिया संहिता।

3. पनिल कोड/दण्ड विधान।

4. कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर/ अपराध मूलक प्रक्रिया संहिता।

5. कॉमर्शियल कोड/व्यवसाय सम्बन्धी कानून।

- नेपालियन का कथनः-‘‘मेरा वास्तविक गौरेव मेरी चालीस युद्धों की विजयेां में नही है, मेरी विधि संहिता ही ऐसी है जो कभी मिट न सकेगी।’’

- राष्ट्रीय सम्मान ‘‘लिजियन ऑफ ऑनर’’ (लेजियो दानर)विरीत किये।

- बैंक ऑफ फ्रांस (1800 ई.) की स्थापना की।

- शिक्षा प्रणल को तीन स्तरों (प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च) पर संगठित किया।

2 दिसम्बर, 1804 को नौत्रेदा मे गिरजाघर में राज्यभिषेक (पेरिस) पोप पायस सप्तम् ने किया।

- नेपोलियन का कथन- ‘‘मैंने फ्रांस का राज मुकट धूल मे पड़ा पाया जिसे अपनी तलवार की नो पर पाया तो इसे पहनाने का श्रेय दूसरे को क्यों दूँ।’’

अक्टूबर, 1805 ई.ः- टेªफलगर का युद्ध-फ्रांस $ ब्रिटेन (नेल्सन)

अक्टूबर, 1805 ई.ः- आस्ट्रलिज का युद्ध- फ्रांस $ (आस्ट्रीया $ रूस) के (तीन सम्राटों का युद्ध)- प्रेसवर्ग की संधि ने इस संधि के तहत 16 राज्यों का ‘‘जर्मन/राईन संघ’’ बनाया।

1806 ई.ः- रोमन सम्राज्य का अंत किया।

1807 ई.:-फ्रडिलेडे युद्ध फ्रांस $ रूस।

1807-08 ई.ः- महाट्निपीय प्रणालीः- इग्लेण्ड के व्यापार एवं वाजिज्य का बहिष्कार करने के लिए।

इग्लैंण्ड को आर्थिक रूप् से दबाने के लिए जो न्यावस्था शुरू की गई, उसे महाद्वीपीय व्यवस्थ कहते है।

1. बर्लिन आदेश (1806 ई.)

2. वसयि आदेश (1807 ई.)

3. मिलान आदेश (1087 ई.)

4. फांतब्लो आदेश (1808 ई.)

नेपोलियन का कथन:- ‘‘स्पेन का नासूर मेरे विनाश का कारण बना।’’

1809 ई. बेग्राम युद्ध फ्रांस $ आस्ट्रीया

आस्ट्रीया की राजकुमारी मेरीया लुईसा से विाह किया। (नेपोलियन)

1809 ई. मास्कों अभियान- बेरोदिनांे युद्ध- फ्रांस $ रूस

इस युद्ध के में सर्दी के कारण् न्ेपोलियन के 6 लाख सैनिकेो मे से 6 लाख सैनिक मारे गये।

टॉलस्टाय ने अपने उपन्यास ‘वार एंड वीन’ में इस अभियान का वर्णन किया है।

अक्टूबर 1813- लिवजिंग युद्ध (राष्ट्रो का युद्ध) नेपोलियन $ चतुर्थ संघ  (प्रशा $ आस्ट्रेया $ रूस $ स्वीडन $ इंग्लैण्ड)

1814 ई.ः- फान्टेवल्यू संधि- नेपोलियन $ मित्र राष्ट्र

नेपोलियन को ‘‘एल्बा द्वीप’’ का समूह बनाया।क

ि फ्रांस में लुई 18 दास बू्रबों वंश की पूनः स्थापना।

1 मार्च, 1815 ई. को एल्बा द्वीप से भाग कर पेरिस आया व पून: 100 दिन शासन किया।

चाउमेंट की संधि में मित्र राष्ट्र एक हो गये।

18 जून, 1815 ई. वाटरलू का युद्ध नेपालियन $ मित्र राष्ट्र (वेलिंगटन)

नेपालियन को ‘‘सेट हेलना द्वीप’’ पर निर्वासित किया। जहां 5 मई, 1821 ई. को उसकी मृत्यु हो गई।

नेपालियन स्वयं को ‘‘क्रांति का पुत्र’’ कहता था।

1815 ई. वियना कांग्रंेस (मेटरनिख-आस्ट्रीया) के तहत यूरोप के राष्ट्रो में फ्रांस के प्रमुख को समाप्त किया।

नेपोलियन को आधूनिक फ्रांस का जन्मदाता कहा जाता है।

नेपोलियन की आत्मक था - ‘‘नेपालियोनिक लिजेड़’’।

अमेरिका का स्तंत्रता संग्राम

मूल निवासीः- रेड इण्यिन (धार्मिक असन्तुष्ट व अपराधी)

खोजः- 12-10-1492, क्रिस्ओजर कोलंम्बस (स्पेन/पूर्तगाल)

मुख्य भाग की खोजः- 1501- अमेरिगादे बेस्पची।

1607- जेम्स टाउन- अमेरिका में स्थापित प्रथम अंग्रेजी बस्ती।

अमेरिका में स्वतंत्रता संग्राम के कारण

जेम्स प्रथम के समय ओपनिवेशिक शासक का आरम्भ।

1756-63 सप्तवर्षीय युद्ध में इग्लेण्ड द्वारा फ्रांस को हराना और कनाडा पर अधिकार।

1764 में आर्थिक नियंत्रण की शुरूआत।

इग्लैंण्ड के प्रति प्रेम व सद्भवना का अभाव।

सैंद्धान्तिक मतभेदः- अमेरिका मेे लोग स्वतंत्रता, समानता व स्वायत्तता के प्रबल समर्थक थे, जबकि इग्लैंण्ड अन्य उपनिवेशों की तरह अमेरिका मे भी उपनिवेशों में हस्तक्षेप करना चाहते थे।

नौसंचालन अधिनियमः- व्यापारिक अधिनियम, ओद्योगिक अघिनियम आदि नियम बनाकर इंग्लैण्ड ने उपनिवेशों का शोषण किया।

इग्लैंण्ड के प्रधानमंत्री ग्रीनविले ने अनुभव किया कि अमेरिका पर होने वाला खर्च वहाँ से प्राप्त आय की तुलतना में बहुत ज्यादा था। अतः ग्रीनविले ने निम्न एकट लागू किये।

शूगर एक्ट/शीस एक्ट/ मोलिसेज एक्ट-1764 में।

करेन्सी एक्ट- 1765- अग्रेजी मुद्रा का प्रयोग शुरू किया।

स्टाम्प एक्ट-1765- अग्रंेजी मुद्रा का प्रयोग शुरू किया।

स्टाम्प एक्ट- 1765 (सविंधान ने 1766 में इसे रद्द किया।)

क्वार्टरिंग एक्ट-1765।

इनके विरोध (मुख्यतः स्टाम्प एक्ट) में अमेरिका में ‘‘स्वतंत्रता के पुत्र’’ तथा ‘‘स्वतंत्रता की पूत्रियां’’ नामक संस्थाएं बनी।

अक्टूबर 1765 न्यूयार्क में आयोजित एक सम्मेलन में नारा दिया गया कि ‘‘प्रतिनिधित्व नही ंतो कर नहीं’’।

1767 मे यू. के. के वित्त मंत्री सी ऊनशेण्ड ने 5 वस्तुओं पर सीमा शूल्क लगाया जिनका आयात अमेरिका इंग्लेण्ड से करता था।

क्रो के विरोध में 5 मार्च, 1770 को ‘बोसटन हत्याकाण्ड’ और ‘टाउनशेंड’ के कर समाप्त केवल चाय पर कर 3 पैंस प्रति पोंड रखा और वह भी बाद में समाप्त कर दिया गया।

बेदिक चेतना के विकास में शिक्षा, ासहित्य व पत्रकारिता का महत्वपूर्ण योग रहा-

1636- मेसाच्यूसेंट्स के क्रेम्ब्रिजनगर में ‘हार्वर्ड कालेज’ की स्थापना।

1693- वर्जीनिया में ‘विलियम एण्ड मेरी कॉलेज’ की स्थापना।

बेन्जामिन फ्रेंकर्तन- ने अमेरिकन ‘‘फिलोसोफकल सोसायटी’’ की स्थापना की।

प्रमुख समाचारः-

1719- अमेरिकन मर्करी

1725- न्यूयार्क गजट

1704- बेस्टन न्यूज लेटर

1765- में अमेरिका में 25 समाचार पत्र प्रकाशित होते थे।

1775- टामसपेन की ‘‘कांमनसेंस’’ ने अमेरिका के लोगों में देश प्रेम जाग गया।

पेट्रिक हेनरी- ‘‘या तो मुझे स्वतंत्रता दो या मृत्यु दो।’’

जॉन डिकेंसनः- लेख- ‘‘पेनसिलवेनिया का किसान पत्र’’।

1773 में ब्रिटिश संसद मे चाय अधिनियम पारित किया तो इसके विरोध मे 16 दिसम्बर, 1773 ई. को सेम्युअल उडम्स के नेतृत्व में कांस्टन बन्दरगाह पर ब्रिटेन को चाय की उपपेटियेां को समुन्द्र मे फेंक दिया। इसे ’’बोस्टन टी पार्टी’’ कहा गया। वही अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम का तत्कालिक कारण था।

5 दिसम्बर 1774 को फिलाडेल्फिया में प्रथम महास्त्रिपीय कांग्रेस का ओघवेशन हुआ। जिसमे जर्जिया को छोर सभी 12 उपनिवेशों में भाग लिया। इसकी अध्यक्षता संम्यूत एडमस ने की।

लार्ड नार्थ की दमनात्मक नीति।

अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम का घटनाक्रम

गर्वनर गेन्ज ने संम्यूल एडमस और जॉन हेनकॉक को गिरफतार करने के लिए लेक्सिंगटन नगर में सेना भेजी। जहां से दोनो गुप्त रूप से छिपे थें यहां पर 200 सैनिक मारे गये। इसी घटना से अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम प्रारम्भ माना जाता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जेफरसन के अनुसार- अमेरिकी क्रांति का वास्तविक प्रारम्भ 1620 ई. से माना गया था।

19 मई, 1775 ई. को फिलाडेल्फिया में द्वितयी महाद्वीपीय कांग्रेस का अघिवेशन हुआ। इसमें सभी 13 उपनिवेशों ने भाग लिया। इसकी अध्यक्षता जॉन हेगकॉक ने की। इसमें जेफरसन, सेम्यूल एडम्स व बेफामिन फ्रेंकलिन जैसे राष्अªवादी नेता भी उपस्थित थे।

इसी अधिवेश्ज्ञन में रिचर्ड हेनरी ली ने अमेरिका की स्वतंत्रता का प्रस्ताव रखा। जिसका अनुमोदन सोम्यूअल्य एडम्स ने किया। इस प्रस्ताव का घोषणा पत्र थामस जैफसक, केंजामिन फ्रेंकालिन, सेम्यूअल उडम्स, रीोजर सर्मन व रार्बट लिविग्स्टन ने तैयार किया।

2 जुलाई, 1776 को द्वितीय महाद्वीपय कांग्रेस ने स्वतंत्रता के प्रस्ताव को स्वीकृति दी तथा 4 जुलाई, 1776 को अमेरिका की स्वतंत्रता की घोषणा कर दी गई।

अमेरिका स्वतंत्रता संग्राम का नेत्त्व जार्ज वांशिगटन ने किया और वो ही अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति बने।

अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम के समय इग्लैंण्ड का शासक जार्ज-3 था। व पी. एम. लार्ड नार्थ था।

1776 में बेंकरहिल में जार्ज वांशिगटन की पराजय ओर फिलाडैल्फिया पर अग्रेजों का अधिकार।

1776 में ब्रुकलिन के युद्ध में जार्ज वाशिगंटन की पुनः पराजय।

1776 में तृतीय महाद्वीपय कांग्रेस का अधिवेशन बाल्टीमोर में रखा गया।

1776 टे्ण्टन युद्ध वाशिगंटन$अंग्रेज

1776 प्रिन्सन युद्ध वाशिगंटन$अंग्रेज

1777 फिलाडोल्फिया वांशिगटन$अंग्रेज

1777 ब्रंडी वाइन वांशिगटन$अंग्रेज

1777 सेण्ट लंगर वांशिगटन$अंग्रेज

1777 साराटोगा वांशिगटन$अंग्रेज

6 फरवरी 1778 फ्रांस व अमेरिका में संधि।

1778 फ्रांस, 1779 स्पेन व 1780 हॉलेण्ड ने इग्लेण्ड के वि युद्ध घोषणा कर दी।

अक्टूबर 1781 यार्कटाऊन का युद्ध वांशिगटन$कार्नवालिस

इस पराजय के बाद इग्लेण्ड के प्रधानमंत्री लार्ड नार्थ ब्रूक ने कहा ‘‘हे ईश्वर! सब कुछ समाप्त हो ’’

पेरिस की संधि अमेरिका$इग्लैंण्ड। इस संधि से अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम समाप्त हुआ।

यू. एस. ए. को नौ सैनिक सहायता स्पेन, फ्रांस व हॉलेण्ड ने दी।

17 दिसम्बर, 1787 को कांग्रेस के 55 प्रतिनिधियों ने अपने हस्ताक्षर का फिलाडेल्फिया अधिवेशन में अमेरिका का गण्तंत्र सवंधिान स्वीकार किया।

21 जून, 1788 को यह संविधन लागू किया गया।

मार्च 1789 में सविंधान के अनुसार सरकारी का गठन किया गया और जार्ज वांशिगटन अमेरिका का पहला राष्ट्रपति चुना गया।

आधुनिक विश्व का प्रथम लिखित संविधान - यू. एस. ए. - 1789


अन्य महत्पूर्ण तत्थय


बोस्टन बन्दरगाह-मेसाच्यूसेटस नगर में स्थित है।

राकिधेम-‘‘इग्लैंण्ड की ससद को अमेरिका पर कर लगाने का पूरा-पूरा अधिकार है।’’

लेनी प्रेस्टन नामक अमेरिकी विरोधी से लोक सगठन युद्ध में भाग लेने के लिए 16 मील पैदल यात्रा की।

1651-नेवीगेशन एक्ट

1750 आचरण/लोहा एक्ट

प्रथ्ज्ञम प्रजातंत्र, धर्म निरपेक्ष राजय व आधुनिक गणतंत्र है।

जननी-अमेरिका

प्रथम लिखित संविधान 1788/1789

‘‘प्रजातंत्र जनता का, जनता के द्वारा और जनता के लिए शासन है।’’

1 जनवरी, 1863 को दास प्रथा का उन्मूलन - ‘‘अब्राहम लिकेन’’

4 मार्च 1865 को जॉन विल्कीज ब्रध ने लिकेन की हत्या कर दी।

टमेरीकी गृहयुद्ध 12 अप्रेल, 1861 से 26 मई, 1865 तक चला । जिसकी शुरूआत दक्षिणी कैरोलिना से हुई। कारणः- दक्षिणी राज्य दास्ता के समर्थक तथा उत्तरी राज्य दासता के विराधी थे।

13 उपनिवेश-

न्यू हेम्पशायर

न्यूयार्क

न्यूजर्सी

रीड आइलैंण्ड 

मैरीलैंण्ड

उत्तरी केरीलोना

दक्षिणी कैरीलोना

वर्जीनिया

पेनसिलवेनिया

जर्जिया

डेलावेयर

मेसाच्यूसेटस

जेम्सटाउन

इटली का एकीकरण

इटली का अर्थ है- ‘‘तुम जीवित हो’’।

इटली का एकीकरण दो चरणों में हुआ।

प्रथम चरण

नेपोलियन बोनापार्ट के आक्रमणसे इटली में राष्ट्रीयता की भावना पैदा हुई नेपालियन ने छोटे-3 राज्यों को जीतकर इटली में ‘‘राष्ट्रीय राज्य’’ की स्थापना की (आ. भाग- 1 लाम्बार्डी, 2 वेनेश्ज्ञिया, 3 नेपल्स, 4 सिसली, 5 परमा, 6 एस्कनी, 7 मोडेना, 8 सार्डीनिचा-पीडमॉण्ट)

1815 में विपना कांग्रेस ने इटली को 8 भागों में बांट दिया।

इसके विरोध में गिबर्टी ने 1816 में नेपल्स में ‘‘कार्बेनरी सोसायटी’’ नामक गुप्त संस्था की स्थापना की। इसमें सभी वर्ग के लोग थे। 1831 तक इस संस्था ने इटली मे स्वतंत्रता आन्दोलन का नेतृत्व किया।

मेजिनीः- ‘‘इटली के एकीकरण का मसीहा’’ ‘‘‘स्वतंत्रता का मसीहा’’ 

जन्म - 1805 ई. जिनेवा

1830 में गिरफतार करके सेवाला दुर्ग मंे रखा गया।

1831 में फ्रांस के मार्सेल्स नगर में ‘‘चंग इटली’’ (18-40 वर्ष) नामक संस्था बनाई। 1839 में सदस्य संस्था 60,000 हो गई।

नाराः- ‘‘इटली इटली वासियों के लिए है।’’- यंग इटली

1833 में बर्न में ‘‘यंग यूरोप’’ नामक संस्था बनाई।

मेजिनी के कथनः-

यदि समाज मे क्रांति लानी है, तो विद्रोह का नेतृत्व नवयुवकों के हाथ मे सौंप दो।

इटली एक राष्ट्र है। और राष्ट्र बन कर रहेगा।

अत्याचार व सजा से मत डरों, क्यांेकि स्वतंत्रता का वृक्ष शहीदों के रक्त से सींचा जाता है।

इटली एक है हमारा है।

मेजिनी ने जनता की तीन नारे दिये।

1. परमात्मा में विश्वास रखों। - परमेश्वर

2. सब भाइयों को संगठित रखों। - जनता

3. इटली को मुक्त करों। - इटली

समाचार पत्र- संयुक्त इटली - मेजिनी

रचना- डयुटिज ऑफ मैंन, इटोलिया डेल पोपोलो - मेजिनी

मेजिनी के शिष्य आर्सिनी ने 1858 में नेपालियन-3 की हत्या करने का प्रयास किया था।

हेजन का कथन- ‘‘मैजिनी की क्षमता का अन्य काई निर्भक, नैतिक आचरसा वाला, विचारशील, मुदृभावी व उत्साही नेता नहीं देखा गया।’’

मेटरनिख ने मेजिनी को ‘‘हमारी सामाजिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक दुश्मन बताया।’’

मेजिनी ही पहला व्यक्ति था जिसने इटली का ेएक राष्ट्र के रूप् में इटली के नाम से पुकारा था।

सार्डिनिया के सम्राट चार्ल्स एल्वर्ट ने 23 मार्च 1848 को आस्ट्यिा के विरूद्ध युद्ध की घोषणा की। लेकिन पोप और नेपल्स के शासक फर्डीनेड-2 ने विश्वासघात किया और चालर्स एल्बर्ट की पराजय हुई।

23 मार्च, 1949- नोवरा का युद्ध - चालर्स एल्बर्ट$आस्ट्ीया।

इस पराजय के बादचार्ल्स ने अपने पुत्र विकटर एमेन्युअल-2 (ईमानदार राजा) को सार्डीनिया का राजा घोषित किया।

1848 में मेजिनी व झेरीबाल्डी ने रोम में गणतंत्र की स्थापना कर दी। किन्तु फ्रांस ने पोप की सहायतार्थ रोमन गणराजय पर हमला कर दिया।

मेजिनी ने घोषणा की- राजाओं का युद्ध समाप्त हुआ, अब जनता का संघर्ष आरम्भ हुआ।

द्वितीय चरण

कैबूरः- 1847 पत्रिका ‘‘इल रिसाजिमेटों’’

कथन- ‘‘हम चाहे या ना चाहे हमारा भाग्य फ्रांस पर निर्भर है।’’

1852 में केबूर को सार्डीनिया का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया।

कैथूर का उद्देय था कि इटली का एकीकरण साडीनिया-पिन्डमाप्ट के नेतृत्व में हो।

1854- में रूस व टर्की के बीच क्रीमिया का युद्ध हुआ। इसमें इग्लैंण्ड व फ्रांस ने टर्की का साथ दिया। कैबूर ने भी टर्की की जीत हुई।

क्रीमिया के कीचद से नवीन इटली का निर्माण हुआ।

कैवूर ने इटली की समस्या को अन्तर्राष्ट्रीय सतस्या बनाया।

कैवूर द्वारा इटली की दूर्दशा का वर्णन करने पर नेपोलियन-3 ने कहा- ‘‘ओह कैवूर! मैं तुम्हारी इटली के लिए क्या कर सकता हूँ।’’

1856 में पेरिस शांति सम्मेलन हुआ। इसमें केवरू ने इटली के एकीकरण की समस्या रखी। फ्रांस इग्लैंण्ड ने इसका समर्थन किया व आस्ट्ीया ने इसका विराधे किया।

प्लोम्बियर्स समझौताः- 21 जुलाई, 1858 केवूर$नेपोलियन-3

टप्रेल 1859 को फ्रांस व साडीनिशा की संयुक्त सेना ने मंेगेण्टा ने सौल्फेरिनों के युद्ध मंे आस्ट्ीया को हराया।

11 जुलाई, 1859 को विलाफ्रेंका की संधि- फ्रांस व आस्ट्ीया फ्रांस युद्ध से अलग।

लोम्बर्दी पर सार्डीनिया का अधिकार।

बेनेशिपा पर आस्ट्यिा का अधिकार।

पोप के नेतृत्व में इटली राज्यों का संघ बनाया जायेगा।

10 नवम्बर, 1859- ज्यूरिक की संधि, विल्फ्रेंका सन्धि पर सहमति।

आस्ट्यिा की पराजय के बाद परमा, मेडोना, टस्कनी ने सेमाग्ना की जनता ने विद्वोह कर सार्डीनिया में मिलने की घोषणा की।

- केवूर ने नसि व सेवाय फ्रांस को देकर अपने पक्ष में लिया। तथा 1860 में जनमत के आधार पर सार्डीनिया में मध्य इटली का विलय कर एकीकरण की दूसरी सीढ़ी को पूरा किया।

‘‘आस्ट्यिा इटली की अन्तिम बैठक है इसके बाद इटली की बैठक होगी नए इतिहास का निर्माण होगा।’’- कैवूर

कैवूर- जन्म 1810 ई. में इटली के टयूरिन में।

‘‘यदि केवूर ना होता तो मैजीनी को प्रेरणा व गेरीबाल्डी का साहस व्यर्थ जाता।’’

गैरीबाल्डीः- जन्म - 1807 नीस (इटली)

1833 में यंग इटली का सदस्य बना।

1834 में देशद्रो के आरोप मे मृत्युदण्ड की सजा। द. अमेरिका भागा।

1854 में दक्षिण अमेरिका मे रेड शर्ट (लाल कूर्ती) दल का गठन किया। व 1854 में पुनः इटली आ गया। 

मई 1860 को सिसली व 15 मई, 1860 को नेपल्स पर अध्ािकार कर। नवम्बर 1860 में विकटर एमेन्यूत-2 को सोंप दिया।

विकटर ने जब गेरीबाल्डी को सम्मानित करना चाहा तो मेरी बाल्डी ने कहा ‘‘देश सेवा स्वयं एक पुरस्कार है, मुझे कोई दूसरी चीज नहीं चाहिए। स्वतंत्र इटली अमर रहे।’’

‘तुमने मुझे अपनी मातृभूमि मे विदेशी बना दिया।’- गेरीबाल्डी

1866 में बिस्मार्क ने प्रशा- आस्ट्यिा युद्ध में इटली द्वारा प्रशासन की मदद के बदले आस्ट्यिा से बेनेशिया प्रदेश जीतकर इटली को दिया। इस प्रकार केवल रोम को छोड़कर सम्पूर्ण इटली का एकीकरण पूरा हुआ।

सेडान का युद्ध- 1870 में फ्रांस-प्रशी युद्ध के समय फ्रांस ने रोम से अपनी सेना वापिस बुला ली। विकटर एम्यूनल-2 ने फायदा उठाकर रोम पर आक्रमण कर दिया। व 20 सिम्बर, 1870 को रोम पर अधिकार कर इटली का एकीकरण पूर्ण किया।

12 जून 1871 को रोम की संसद का उदघाटन करते समय सम्राट ने कहा- ‘‘जिस कार्य के लिए हमने अपना जीवन भेंट चढज्ञया था, आज वह पूरा हुआ। हमारी राष्ट्रीय एकता स्थापित हो गई।’’$‘‘हम रोम में है और राम में रहेगें।’’ -विलसन एमेन्यूअत-2

महत्वपूर्ण तथ्य

1866 ई. आधुनिक यूरोप के इतिहास का निर्णायक वर्ष था।

‘‘मैजिनी ने इटली की आत्मा, कैवूर ने मास्तिष्क, गैरीबाल्डी ने तलवार और विकअर एमेनुअल ने शरीर बनकर राष्ट्रीय एकीकरण के कार्य को पुरा किया’’- मोरियर

इटली एकीकरण की शुरूआत लोम्बार्डी और सार्डिनिया राज्यों के मत से हुई।

इटली राष्ट्र का जन्म 2 अप्रैल, 1860 ई. को माना जाता है।

इटली की एकता का जन्मदात नेपालियन बोनापार्ट था।

1871 के रोम की संयुक्त इटली की राजधानी बनाया।

जर्मनी की एकीकरण

एकीकरण से पूर्व जर्मनी 300 से अधिक छोटे-2 राज्यों में विभक्त था।

सर्वप्रथम नेपालियन बोनापार्ट ने छोटे-2 राज्यों की जगह 39 राज्यों का जर्मन/राईन संघ बनाया। जिसने आगे चलकर जर्मनी के एकीकरण का मार्ग बना।

जेना वि.वि. (जर्मनी) में छात्रों ने बर्शेंन सेफट संगठन बनाया।

जिकटे ने ‘‘एडेसेज टूद जर्मन पीपुल’’ व हीगल ने ‘‘शक्ति पर आधारित राज्य’’ नामक रचना द्वारा लोगों में उत्साह भरा।

हेनरीच हॉकमैंन कविता- ‘‘दी सांग ऑफ जर्मनी’’

प्रशा के शासक फ्रेडरिक विलियम ने मेव्रनिख (आस्ट्ीया का पी. एम.) के साथ 1819 में काल्सबर्ग में सभा बुलावाई। जिसमे पारित नियमों का ‘‘कॉल्सबर्ग आदेश’’ कहा जाता हैै।

इस आदेश से प्रेस पर प्रतिबन्ध लगाया व ‘बर्शेन सैक्टर’ संगठन को गैर कानूनी घोषित किया।

इस कानून के कारण 1819 में 1830 के बीच कोई आन्दोलन नहीं हुआ।

1834 में प्रशा के पहल से 18 राजयों ने मिलकर ‘‘जॉवेराइन’’ नामक एक शूल्क संघ बनाया। और 1850 तक सभी राजय इसके सदस्य बन गये।

‘‘जॉलवेराइन शुल्क संघ की स्थापना ने भविष्य मे प्रशा के नेतृत्व मे जर्मनी के राजनीतिक एकीकरण का मार्ग तैयार किया।’’- केटलकी

1848 की फ्रांस क्रांति के कारण मेटर निख (आस्ट्यिा का पी. एम.) का का पतन हुआ जिससे जर्मनी मे भी राष्ट्रवादीयो को उत्साह मिला।

18 मई, 1848 को फ्रेकफर्ट संसद/डयर के 831 निर्वाचित सदस्यों की एक बैवक संट पाल के चर्च मे आयोजित हुई। जिसमे एक जर्मन संघ का निर्माण किया गया। और आस्ट्ीया को इस संघ से बाहर निकाल दिया गया।

प्रशा के राजा फ्रेडरिक विल्हेम-4 केा इस जर्मन राष्ट्र का राजमुकूट धारण करने को कहा गया लेकिन आस्ट्ीया को इस संघ से बाहर रखने के कारण उसने इस राजमुकूट को अस्वीकार कर दिया।

जर्मनी की ‘‘राष्ट्रीय सभा’’ को डायर कहते थे, जो फ्रेंकफर्ट में होती थी।

बिस्मार्क ने फ्रेंकफर्ट संसद (1848) के अधिवेशन में प्रशा का प्रतिनिधित्व करते हुए पहली बार राजनीति मे भाग लिया।

1850 में फ्रेडरिक विलियम-4 ने इरफर्ट संसद बुलवाई। किन्तु आस्ट्यिा के विरोध से यह सफल न हो सकी।

1850 से 1860 के बीच जर्मनी मे ओद्योगिकीकरण हुआ।

1861 में विलियम-1 प्रशा का सम्राट बना। यह जर्मनी के एकीकरण मे सबसे बड़ी बाधा आस्ट्यिा को मानता था।

थ्वलियम-1 का मानना था कि प्रशा का भविष्य उसकी सैनिक शक्ति पर निर्भर करता है। इसने शक्तिशाली सेना का गठन किया।

ठसने वानसन को युद्ध मंत्री व मोल्टैक को प्रधन सेनापति बनाया।

बिल्मार्क को पहले रूस व फिर फ्रांस मे राजदूत बनाकर भेजा।

वानसन की सलाह से विलियम-1 ने 23 सितम्बर 1862 को विस्मार्क को प्रशा का चांसलर (पी.एम.) बनाया।

बिस्मार्क ने सम्राट से कहा कि, ‘‘मै नष्ट हो जाऊगा पर ससंद के साथ संघर्ष नहीं छोडूंगा।’’

बिस्मार्क ने निम्न सदन की अवहेलना करते हुए उच्च सदन से बजट पास करवा लिऐ। 1862-68 तक ऐसा करता रहा और सेना का पुर्नगठंन कर प्रशा को यूरोप की सर्वश्रेष्ठ सेना बना दिया।

बिस्मार्क ने एकीकरण की नीति प्रतिपादित करते हुए कहा कि- ‘‘किसी भी काल की महान समस्या का निर्णय भाषा और बहुमत से हनीं बल्कि रक्त ओर तलवार से होता है।’’

बिस्मार्क ने तीन युद्धों द्वारा जर्मनी का एकीकरण पूर्ण किया।

1864 डेनमार्क से युद्ध- डेनमार्क$प्रशा व आस्ट्ीया

30 अक्टूबर, 1864 वियना सन्धि- (श्लेसविंग, होलेस्टाइन न लाएनबर्ग बस्थिाडचो को दी।)

14 अगस्त, 1865 गेस्टाइन समझौंता- प्रशा व आस्ट्यिा

होलेस्टाइन- आस्ट्यिा

आस्ट्यिा युद्ध (1866) युद्ध के कारण

बिस्मा के द्वारा की सन्धि

1863 रूस के अलंकजेण्डर-2 से

1865 फ्रांस के नेपोलियन-3 से

1866 इटली से

युद्ध 1866 में

रूस्टोजा युद्ध- आस्ट्यिा$इटली

लीसा युद्ध- आस्ट्यिा$इटली

सेडोवा युद्ध- आस्ट्यिा$प्रशा

23 अगस्त, 1866 को प्राग संधि आस्ट्यिा व प्रशा के बीच। जिसमे प्रशा के नेतृत्व मे जर्मन संध बनाया। बाद मे बिस्मार्क ने इसमे 21 राज्यों को मिलाकर इसे ‘‘उतरी जर्मनी राज्य संघ’’ नाम दिया गया।

श्लेसबिग व होलेस्टाइन राज्यों पर प्रशा का अधिकार मान लिया गया।

फ्रांस से युद्धः- कारण

स्पेन मे उत्तराधिकारी समस्या (एम्स का तार) तात्कलिन कारण

प्राग संधि मे फ्रांस की उपेक्षा।

बिस्मार्क द्वारा राईन नदी क्षेत्र फ्रांस को देने से मना करना।

15 जुलाई, 1870 फ्रांस व प्रशा के बीच युद्ध शुरू जो 10 माह चला 

व्रर्थ युद्ध- अगस्त 1870

ग्रेवलाथ का युद्ध- अगस्त 1870

सीडान युद्ध- 1 सितम्बर, 1870 फ्रांस$प्रशा

10 मई, 1871- फैकफर्ट की संधि- जर्मनी$फ्रांस

फ्रांस ने मेज, स्टासबर्ग, अल्पास, लारेन क्षेत्र जर्मनी को दिये।

18 जनवरी, 1871 को वर्साय के शीशमहल मे दरबार लगाकर विलियम-1 की एकीकृत जर्मनी का सम्राट घोषित किया। तथा बिस्मार्क एकीकृत जर्मनी का चांसलर बना और बर्लिन को राजधानी बनाया।

1871 मे जर्मनी के एकीकरण का श्रेय बिस्मार्क को है।

बिस्मार्क ने एकीकरण के बाद फ्रांस को एकेला करने के लिए ‘‘शकरकर व बैर’’ की नीति अपनाई।

बिलियम- ने बिस्मार्क को ऐसा बाजीगर बताया था जो एक साथ पाँच गेंदों (आस्ट्यिा, रूस, इटली, फ्रांस व इग्लैंण्ड) से खेल सकता था।

‘‘सेडाल के युद्ध ने जर्मनी को यूरोप की मालकीन और बिस्मार्क को जर्मनी का स्वामी बना दिया।’’- केटल्की

ओटोवान बिस्मार्क

जन्म- 1 अप्रैल, 1815 शेनहौसन गांव (ब्रेडनबर्ग)

पुस्तक- ‘‘रिलेकशन्स एण्ड रेमिनिसेन्सेज’’

कथन- ‘‘मै विश्वयुद्ध को नहीं देखूंगा परन्तु तुम देखोंगे और उसका प्रारम्भ पूर्व से होगा।’’

बिस्मार्क का पथ प्रदर्शक नेपोलियन बोनापार्ट था, जो जर्मनी में राष्ट्रीयता का संदेशवाहक भी माना जाता है।

गेस्टाईन समझौते के बाद बिस्मार्क ने कहा ‘‘हमने दरार को गेस्टाईन के कागज से ढक दिया।’’