JAY SINGH (1680 -1698)


जयसिंह :- (1680 _1698)
  •  जयसिंह ने (1687_ 1691 )के बीच अकाल राहत कार्यों के लिए गोमती नदी के पानी को रोककर के जयसमंद झील ढेबर झील उदयपुर का निर्माण करवाया। जयसमंद झील राजस्थान की सबसे बड़ी मीठे पानी की कृत्रिम (एशिया की दूसरी ) झील है। जयसमंद झील में 60 टापू बने हैं जिनमें सबसे बड़ा टापू बाबा का भांगड़ा सबसे छोटा टापू प्यारी है।

अमर सिंह द्वितीय :- 1698_ 1710 )
 देबारी समझौता 1707  ईस्वी
मारवाड़             मेवाड़                            जयपुर
अजीत सिंह        अमर सिंह द्वितीय|           सवाई जयसिंह
सूरज कवर          चंद्र कवर                       ईश्वरी सिंह
ईश्वरी सिंह            माधोसिंह प्रथम             माधौसिंह प्रथम
- राजमहल टोंक का युद्ध (1747 )
संग्राम सिंह द्वितीय :-  (1710 _1734 )
संग्राम सिंह द्वितीय ने उदयपुर में फतेहसागर झील के किनारे सहेलियों की बावड़ी बनवाई ।संग्राम सिंह द्वितीय के समय 1719 में वैद्यनाथ प्रशस्ति लिखी गई ।मराठों का राजस्थान में प्रवेश रोकने के लिए संग्राम सिंह द्वितीय ने हुरडा (भीलवाड़ा) सम्मेलन बुलाने का विचार किया लेकिन इसकी मृत्यु हो गई
जगत सिंह द्वितीय :- (1734 _1768 )
  • इसके समय में अफगान आक्रमणकारी नादिरशाह ने 1739 ईस्वी में दिल्ली पर आक्रमण किया था। इसके दरबारी कवि  नेकराम ने जगत विलास ग्रंथ लिखा।
  • जगत सिंह द्वितीय ने पिछोला झील में जग निवास महलों का निर्माण करवाया।
  •  17 जुलाई 1734 को हुरडा सम्मेलन (भीलवाड़ा) की अध्यक्षता जगत सिंह द्वितीय ने की ।यह सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह द्वितीय के द्वारा बुलवाया गया

नोट - मराठों द्वारा राजपूताना में सर्वप्रथम आक्रमण बूंदी पर किया गया ।किंतु महाराणा जगत सिंह द्वितीय के काल में चौथ वसूली सर्वप्रथम मेवाड़ से की गई
राणा भीम सिंह :- ( 1807 _1818 )
  • 1807 ईस्वी में कृष्णा कुमारी विवाद गिंगोली का युद्ध (परबतसर नागौर )
  • 1818 को राणा भीम सिंह ने अंग्रेजों से संधि

स्वरूप सिंह :- (1842_ 1861)
  •  इन्होंने विजय स्तंभ का जीर्णोद्धार करवाया। 1857 की क्रांति में अंग्रेजों का साथ देने वाला मेवाड़ का पहला राजा स्वरूप सिंह था।
  •   इसने मेवाड़ में अपने नाम से स्वरूप शाही सिक्के चलवाये। राणा लाखा के समय बनी पिछोला झील का जीर्णोद्धार करवाया।

 सज्जन सिंह :- ( 1874 _1884)
  •  सज्जन सिंह के काल में मेवाड़ में 1881 ईसवी में प्रथम बार जनगणना का कार्य किया गया।
  •   इनके संरक्षण में ही स्वामी दयानंद सरस्वती के द्वारा सत्यार्थ प्रकाश की रचना जग मंदिर में प्रारंभ की गई सज्जन सिंह ने सत्यार्थ प्रकाश का उदयपुर से प्रकाशन करवाया |

फतेह सिंह :- ( 1884 _ 1930)
यह सज्जन सिंह के दत्तक पुत्र थे
  •  बिजोलिया किसान आंदोलन के समय मेवाड़ के फतेह सिंह थे
  •  इनके समय में (1888 _1889 )ईस्वी में जी जी कर्नल कोल्टर ने अजमेर में राजपूताना हितकारिणी सभा की स्थापना की इस संस्था का मुख्य उद्देश्य राजपूताना में व्याप्त सामाजिक बुराइयों को समाप्त करना था।
  •  1 जनवरी 1903 को इंग्लैंड के किंग एडवर्ड सप्तम के गद्दीनशीन समारोह के उपलक्ष में दिल्ली में बड़ा दरबार आयोजित हुआ इसमें महाराणा प्रताप सिंह को भी आमंत्रित किया गया ।जब फतेह सिंह इस दरबार में शामिल होने जा रहे थे, तब केसरी सिंह बारहठ ने इसके पौरुष को जगाने हेतु  एक खत लिखकर भेजा जिसे चेतावनी रा चुंगटिया कहा जाता है
  •  दिसंबर 1911 में ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम के दिल्ली आने पर भव्य समारोह का आयोजन किया गया जिसमें महाराणा फतेह सिंह जी दिल्ली गए परंतु स्टेशन से ही सम्राट से मिलकर वापस लौट आए दरबार में उपस्थित नहीं हुए
  • इनके समय में 1899 (विक्रम संवत 1956 )में एक भयंकर अकाल (छप्पनिया अकाल) पड़ा ।इन्होंने प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजो का साथ दिया तथा अंग्रेज सरकार ने इन्हें GCVO की उपाधि प्रदान की।

महाराणा भूपाल सिंह :- ( 1930 _1947 )
  • महाराणा भोपाल सिंह को 25 मई 1930 को मेवाड़ के सिंहासन पर बैठाया गया। तथा 5 जून को इनका विधिवत राज्याभिषेक हुआ
  • राजस्थान के एकीकरण के समय यह मेवाड़ के महाराणा थे जो महाराज प्रमुख का पद प्राप्त करने वाले एकमात्र शासक थे।
  •  एकीकरण के समय एकमात्र अपाहिज शासक महाराणा भूपाल सिंह ही थे ।उनके समय में बिजोलिया किसान आंदोलन मेवाड़ प्रजामंडल आंदोलन तथा राजस्थान का एकीकरण हुआ।