मिर्जा राजा जयसिंह (1621 - 1667 )
- -इसमें सर्वाधिक 46 वर्षों तक शासन किया |
- यह जहाँगीर, शाहजहाँ व औरंगजेब तीन मुगल बादशाहों की सेवा में रहा | शाहजहां ने इसे मिर्जा राजा की उपाधि प्रदान की |
- - हिंदी के कवि बिहारी मिर्जा राजा जयसिंह के दरबार में थे |
- - इन्होंने बिहारी सतसई की रचना की थी |
- - वीर सतसई सूर्यमल मिश्रण
- - 11 जून 1685 को शिवाजी व मिर्जा राजा जयसिंह के बीच पुरंदर ( महाराष्ट्र ) की संधि हुई |
- - जयगढ़ दुर्ग ( चिल्का टोला ) का निर्माण मिर्जा राजा जयसिंह ने करवाया |
- - भूषण कवि - शिव सिंह भूषण
सवाई जयसिंह (1700 - 1743 )
- - इसे सवाई की उपाधि औरंगजेब ने दी थी |
- - सवाई जयसिंह एक ऐसा राजपूत था जिसने सर्वाधिक 7 मुगल राजाओं की सेवा की थी |
- - 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुअज्जम (बहादुर शाह ) ने जय सिंह के भाई विजय सिंह को जयपुर का राजा बनाया वह जयपुर का नाम मोमीनाबाद रखा |
- - 1707 में मेवाड़ के अमर सिंह द्वितीय मारवाड़ के अजीत सिंह व जयपुर के सवाई जयसिंह के बीच देबारी समझौता हुआ |
- - 1718 - 1734 के बीच सवाई जयसिंह ने 5 सौर वेद्य शालाओं का निर्माण करवाया जो निम्न है जयपुर, दिल्ली, मथुरा, उज्जैन, वाराणसी |
- - जयपुर की सौर वेधशाला जंतर- मंतर पांचों सौर वेद्य शालाओं में बड़ी है तथा दिल्ली की सबसे प्राचीन है |
- - जयपुर स्थित जंतर मंतर में सम्राट यंत्र (सूर्य घड़ी) सबसे बड़ा यंत्र है | तथा रामयंत्र ऊंचाई मापने का यंत्र है |
- - जंतर - मंतर को अगस्त 2010 में यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल किया गया |
- सवाई जयसिंह ने नक्षत्रों की सारणी पर आधारित जीज मोहम्मद शाही तथा ज्योतिषी ग्रंथ - जयसिंह कारिका की रचना की |
- - 18 नवंबर 1727 को सवाई जयसिंह ने जयपुर बसाया तथा जयपुर को राजधानी बनाया | इसका वास्तुकार पंडित विद्याधर भट्टाचार्य था |
- - 17 जुलाई 1734 को सवाई जयसिंह ने राजस्थान में मराठों के प्रवेश को रोकने के लिए हुरड़ा (भीलवाड़ा) सम्मेलन बुलाया जिसकी अध्यक्षता मेवाड़ के जगत सिंह द्वितीय ने की थी |
- - 1740 में सवाई जयसिंह ने सिटी पैलेस में अश्वमेध यज्ञ करवाया | अश्वमेघ करवाने वाला अंतिम राजा सवाई जयसिंह था |
- - 1733 में गौड़ीय संप्रदाय का मंदिर जयपुर में सवाई जयसिंह ने बनवाया |
- - जयगढ़ दुर्ग में तोपों का कारखाना बनवाया | एशिया की सबसे बड़ी तोप जयबाण तोप जयगढ़ दुर्ग में स्थित है |
- - इसने नाहरगढ़ / सुदर्शन गढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया |
- - सवाई जयसिंह ने सिटी पैलेस (चांदी का सबसे बड़ा पात्र है) व मावठा झील का निर्माण करवाया |
- - जयपुर के राजाओं की छतरियां गेटोर में बनी है परंतु ईश्वर सिंह की छतरी सिटी पैलेस के साथ बनी हुई है |
ईश्वरी सिंह (1743 - 1750 )
- - 1747 में ईश्वर सिंह व माधोसिंह प्रथम की बीच राजमहल टोंक का युद्ध हुआ | जिसमें ईश्वरी सिंह विजय हुआ तथा इस विजय की खुशी में इसने ईसरलाट (सरगासूली) का निर्माण करवाया |
माधोसिंह प्रथम
( 1750 - 1768 )
- 1764 में कोटा के शत्रु साल्वे माधव सिंह प्रथम के बीच भटवाड़ा (जयपुर बूंदी सीमा) का युद्ध हुआ |
- 1763 में इसने सवाई माधोपुर नगर बसाया |
प्रताप सिंह :-
- - इन्होंने अपने दरबार में राधा गोविंद संगीत सार सम्मेलन करवाया तथा अपने दरबार में 22 कवियों को आश्रय दिया | अत: प्रताप सिंह के दरबार की गंधर्व बाईसी प्रसिद्ध थी |
- - यह स्वय ब्रजनिधि के नाम से कविताएं लिखा करता था |
- - 1799 में प्रताप सिंह ने हवामहल का निर्माण करवाया | हवामहल पांच मंजिला इमारत है जिसमें 953 खिड़कियां है इसका शिल्पी लालचंद था | इसका आंतरिक प्रवेश द्वार आनंद पोल कहलाता है |
- - 1787 में प्रताप सिंह व जोधपुर के विजय सिंह की संयुक्त सेना में मराठों के साथ तुंगा का युद्ध हुआ |
- - सवाई प्रताप सिंह के समय सर्वाधिक मराठे राजस्थान में आए तथा महाराष्ट्र की तमाशा लोकनाट्य शैली राजस्थान में आई |
- - जयपुर चित्रकला शैली का स्वर्ण काल सवाई प्रताप सिंह का काल था | प्रताप सिंह के समय चित्रकार साहिब ने ईश्वरी सिंह का आदम कद चित्र बनवाया |
जगत सिंह द्वितीय :-
- - इसके समय 1807 में कृष्णा कुमारी विवाद हुआ |
- - 1818 में जगत सिंह द्वितीय ने अंग्रेजों से संधि की थी |
रामसिंह द्वितीय ( 1835 -1880 )
- - यह 16 वर्ष की उम्र में राजा बना इस समय लॉड लुडलो ने इसके व्यस्क होने तक (जनवरी 1845) जयपुर का शासन संभाला |
- - लॉड लूडलो ने जयपुर में कन्या वध, दहेज प्रथा, सती प्रथा, बाल विवाह पर रोक लगाई |
- - इसके समय लॉर्ड मेयो, लॉड नार्थ, प्रिंस ऑफ वेल्स अल्बर्ट जयपुर आए थे |
- - 1776 में प्रिंस ऑफ अल्बर्ट के आगमन पर राम सिंह द्वितीय ने जयपुर को गुलाबी रंग से रंगवाया था | तथा प्रिंस ऑफ वेल्स अल्बर्ट ने जयपुर में अल्बर्ट हॉल की नींव रखी |
- - अल्बर्ट हॉल भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध है |
- - अल्बर्ट हॉल का वास्तुकार सर स्टीवन जैकब था |
- - अल्बर्ट हॉल हिंदू इस्लामिक व ईसाई शैली में बना हुआ है |
- अल्बर्ट हॉल लंदन के ओपेरा हाऊस ( पिरानिडाकार) जैसा है |
- - रामसिंह द्वितीय ने जयपुर में महाराजा कॉलेज की स्थापना की |
- - 1857 की क्रांति में अंग्रेजों का साथ देने के कारण सितार-ए-हिंद की उपाधि दी |
- - ब्लू पोटरी का स्वर्ण काल राम सिंह द्वितीय का काल था |
- माघोसिंह द्वितीय :-
- - सवाई माधोसिंह द्वितीय को बब्बर शेर के नाम से जाना जाता है |
- - माधोसिंह द्वितीय ने सिटी पैलेस में मेहमान नवाजी के लिए ' हिंदू इस्लामिक व ईसाई ' शैली में मुबारक महल का निर्माण करवाया |
- - इसने चाकसू जयपुर में शीतला माता का मंदिर बनवाया |
- - इसने अपने 9 प्रेमिकाओं के लिए नाहरगढ़ दुर्ग /सुदर्शन गढ़ / जयपुर के मुकुट में एक जैसे नौ महल का निर्माण करवाया |
- - 1920 के असहयोग आंदोलन के समय माघोसिंह द्वितीय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना मदन मोहन मालवीय को ₹00000 दान में दिए थे यह पैसों वाला राजा के उपनाम से जाना जाता था |
मानसिंह द्वितीय :-
- - 30 मार्च 1949 ( वर्हत राजस्थान, एकीकरण का चतुर्थ चरण) को मानसिंह राजस्थान के प्रथम राजपुर राजप्रमुख बने |
- - 1 नवंबर 1956 तक आजीवन राजप्रमुख रहे |
- - इसकी पत्नी गायत्री देवी थी | गायत्री देवी राजस्थान से लोकसभा में जाने वाली पहली महिला सांसद थी |
- - मानसिंह द्वितीय विश्व में पोलो का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी था |
- इसके प्रधानमंत्री मिर्जा इस्माइल जयपुर प्रजामंडल के अध्यक्ष हीरालाल शास्त्री के बीच 1942 में जेंटलमैन समझौता हुआ |इस समझौते में तय हुआ कि जयपुर प्रजामंडल भारत छोड़ो आंदोलन में भाग नहीं लेगा इससे नाराज होकर बाबा हरिश्चंद्र ने आजाद मोर्चा का गठन किया जिसने इस आंदोलन में भाग लिया |
- - सन् 1943 ई. में हिंदी को राजभाषा घोषित करने के लिए राजभाषा आंदोलन हुआ, जिसके परिणाम स्वरुप हिंदी, उर्दू के साथ-साथ राजभाषा घोषित कर दी गई |
- - दिसंबर 1948 में जयपुर नगर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ | यह अधिवेशन अपनी शानो शौकत के लिए प्रसिद्ध है इसकी अध्यक्षता पर पट्टाभिसितारमैया ने की |
- - 1956 ई. में मानसिंह द्वितीय को स्पेन में भारत का राजदूत बनाकर भेजा गया |
- - इसके काल में जयपुर में पहली बार विद्युत सुविधा प्रारंभ की गई |