राज्यपाल की शक्तियाँ -
- कार्यपालिका सम्बन्धी शक्ति
- अनुच्छेद 164, मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है।
- अनुच्छेद 164 मुख्यमंत्री की सलाह से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति
- अनुच्छेद 165 महाधिवक्ता
- राज्य के विभिन्न आयोगों के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति
- राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपत्तियों की नियुक्ति।
- नोट - क्योंकि राज्यपाल विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होता है।
- राज्यपाल मुख्यमंत्री से सूचना प्राप्त कर सकता है।
- किसी मंत्री द्वारा लिये गये किसी निर्णय को विचार के लिए मंत्री परिषद के समक्ष रखवा सकता है।
- राज्य का संवेधानिक तंत्र विफल होने पर राज्यपाल, राष्ट्रपति शासन की सिफारिष करता है। तथा राष्ट्रपति शासन लागू होने पर केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप् में राज्य का शासन चलता है।
- अनुच्छेद 168 - राज्यपाल विधानमंण्डल का अंग होता है।
- अनुच्छेद 174 - विधान मण्डल के सत्र को प्रारम्भ व समाप्त करता है।
- अनुच्छेद 174 - समय से पूर्व मुख्यमंत्री की सलाह से विधानसभा को भंग कर सकता है।
- विधान मण्डल के सदस्यों की योग्यता व अयोग्यता का निर्णय राज्यपाल के द्वारा किया जाता है।
- अनुच्छेद 171 के द्वारा विधान परिषद में 1/6 सदस्य किसी कला, साहित्य, विज्ञान व समाज सेवा से जुड़े हुए व्यक्तियों को मनोनित करता है।
- अनुच्छेद 333 विधान सभा में एक आंग्ल भारतीय को मनोनित करता है।
- अनुच्छेंद 175 - राज्चपाल विधानसभा में या विधान परिषद वाले राज्यों में विधानमण्डल के किसी सदन में या एक साथ दोनों सदनों में अभिभाषण कर सकता है। साथ ही विधान मण्डल में लम्बित किसी विधेयक के सम्बन्ध में या किसी अन्य विषय पर षिघ्रता से विचार के लिए संदेष भेज सकता है।
- अनुच्छेद 176 - विधान मण्डल का संयुक्त अधिवेषन बुलाकर विषेष अभिभाषण करता है।
- विधेयक को स्वीकृति प्रदान करना।
- विधेयक पर अपनी स्वीकृति सुरक्षित रखना।
- विधेयक को पुनर्विचार के लिये विधानमण्डल के पास वापिस भेजना।
- अनुच्छेद 200 - कोई भी विधेयक राज्यपाल के हस्ताक्षर के बिना कानून नही बन सकता।
- अनुुच्छेद 201 - राज्यपाल निम्न विषयों पर किसी विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजने के लिए अपने पास सुरक्षित रख सकता है-
- उच्च न्यायालयों के क्षेत्राधिकार से संबंधित
- समवर्ती सूची से संबंधित
- व्यक्तिगत सम्पति के अधिग्रहण से सम्बन्धित
- विधेयक संविधान के उपबंधों के विरूद्ध हो।
- निति निदेषक तत्वों के विरूद्ध हो।
- अनुच्छेद 224 - राज्यपाल राज्य के किसी भी क्षेत्र को अनुसूचीत जाति का घोषित कर सकता है।
- अनुच्छेद 213 - अध्यादेष का अधिकार
- अध्यादेश से तात्पर्य तत्कालीन कानून/अस्थाई कानून से है।
- अध्यादेश की अधिकत्तम समयावधि - 6 माह
- विधान मण्डल का सत्र प्रारम्भ होने के बाद अधिकतम समयावधि - 6 सप्ताह (42 दिन)
- माफ = क्षमादान
- कम = लघुकरण
- परिवर्तन = परिहार
- मृत्युदण्ड को माफ करने का अधिकार राज्यपाल के पास नहीं है।
- अनुन्छेद 233 - राज्य उच्च न्यायालय के साथ विचार कर जिला न्यायाधिषों की नियुक्ति, स्थानान्तरण व पदोन्नति करता है।
- वित्तीय शक्तियां -
- अनु. 243 (I) के अनुसार प्रत्येक 5 वर्ष के लिए एक वित्त आयोग का गठन करता है।
- राजस्थान के वित्त आयोग -
नोट - जून 2015 में ज्योति किरण की अध्यक्षता में 5वें वित्त आयोग का गठन किया गया।
- अध्यक्ष समय
- के.के. गोयल 1995-2000
- हीरालाल देवपुरा 2001-2005
- माणिकचन्द सुराणा 2006-2010
- बी.डी. कल्ला 2011-2015
- समय - 2015 से 2020
- अनुच्छेद 202 - राज्य की आकस्मिक निधि राज्यपाल के अधीन होती है।
- राज्य लोकसेवा आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन तथा महालेखा परीक्षक का प्रतिवेदन प्राप्त करता हैं। तथा विधानमण्डल के समक्ष रखता है।
- राज्यपाल प्रत्येक वर्ष विधानमण्डल में बजट पेश करवाता है।
- विधान सभा में किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं होने की स्थिति में किसी भी व्यक्ति को राज्यपाल मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त कर सकता है।
- सरकार को बर्खास्त करना।
- विधानसभा को भंग करना।
- विधान सभा को 6 माह के लिए निलम्बित करना।
- अनुच्छेद 356 (राज्य में राष्ट्रपति शासन) के प्रयोग की सिफारिष