शमसुदीन इल्तुतमिश (1211.36 ई.)
- इल्तुतमिश इल्बारी तुर्क था उसे दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक माना गया है ऐबक की मृत्यु के समय वह बदायूं का सूबेदार था प् इल्तुतमिश ने सर्वप्रथम लाहौर के स्थान पर दिल्ली को राजधानी बनाया
- 1229 ई में उसने बग़दाद के अब्बासी खलीफा अल मुस्त्नसिर बिल्लाह मंसूर से धार्मिक व्यवस्था व राजनीतिक मान्यता का अधिकार पत्र प्राप्त किया व उसके सिक्के चलाये जिससे दिल्ली सल्तनत को औपचारिक मान्यता प्राप्त हुई. उसे हिन्दुस्तान के सुलतान व व नासिर आमिर -उल-मौमनीन की उपाधि प्राप्त थी , अत: इल्तुतमिश दिल्ली सल्तनत का प्रथम वैधानिक और संप्रभुता संपन्न सुलतान बना
- इल्तुतमिश ने अपने चालीस वफादारों का एक समूह तैयार किया जिस बरनी ने चालीसा (तुरकान-ए-चहलगनी) कहा है,
- इल्तुतमिश ने 1221 में नवोदित दिल्ली सल्तनत को मंगोल आक्रमण से बचाया जब चंगेज खां ख्वारिज्म के शाह जलालुदीन मान्ग्बरनी का पिछा करता हुआ सिन्धु नदी तक आ गयाए तब इल्तुतमिश ने मान्ग्बरनी को शरण न देते हुए बुद्दिमता का परिचय दिया ,
- चंगेज खां का मूल नाम तिमुचिन था प् वह अपने को इश्वर का अभिशाप कहने में गर्व अनुभव करता था
- 1215 ईण् में तराइन के तीसरे युद्ध में इल्तुतमिश ने ताजुद्दीन याल्दौज को पराजित कर बंदी बना लिया और बन्दायु के दुर्ग में उसका वध करवा दिया
- उसने इकता प्रणाली विकसित की इक्ता स्थानान्तरणीय भू. राजस्व का अधिन्यास था जो नगद वेतन के बदले दिया जाता था ए इक्ता वंशानुगत नहीं थे
- इल्तुतमिश ने मुद्रा व्यवस्था में भी सुधार किया वह पहला तुर्क शासक था जिसने शुद्द अरबी सिक्के चलवाए सिक्कों पर टकसाल का का नाम लिखवाने की परम्परा शुरू की, चांदी का टका(175 ग्रेन) व ताम्बे का जीतल भी प्रारम्भ किया
- इल्तुतमिश प्रथम शासक था जिसने दोआब की आर्थिक क्षमता को समझा.
- इल्तुतमिश का वजीर मुहम्मद जुनैदी था,
- इल्तुतमिश ने नागौर ;राजस्थानद्ध में अतार्किन का दरवाजा बनवाया,
- इब्नबबुता लिखता है कि इल्तुतमिश के महल के सामने संगमरमर के दो सिंह बने थे जिनके गले में घंटीयां लटकी होती थी प् जिन्हें खींचने पर फरियादी को तुरंत न्याय मिलता था ,
- इल्तुतमिश अपने दरबारी पदाधिकारियों के सामने गद्दी पर बैठने से हिचकिचाता था ए जलालुदीन खल्जी भी गद्दी पर बैठने से हिचकिचाता था,
- इल्तुतमिश के शासन काल में राजनयिक संघटन की कला पर फखे मुद्ब्बिर ने आदाब-उल-हर्ब नामक प्रथम भारतीय मुस्लिम ग्रन्थ तैयार किया,
- बनियान आक्रमण पर जात समय इल्तुतमिश बीमार पड़ा व दिल्ली लौट आया किन्तु दिल्ली में 29 अप्रेल 1236 को उसकी मृत्यु हो गई,
- डॉ- इश्वरी प्रसाद ने इल्तुतमिश को भारत में गुलाम वंश का वास्तविक संस्थापक बताया है,
- इल्तुतमिश ने अपनी पुत्री रजिया को अपना उत्तराधिकारी चुना व ग्वालियर विजय के बाद चांदी के टके पर रजिया का नाम अंकित करवाया,
- अमीरों ने इल्तुतमिश की मृत्यु के बाद उसके पुत्र रुक्नुदीन फिरोज शाह को गद्दी पर बैठाया प् इल्तुतमिश ने सुलतान के पद को वंशानुगत किया,
- रजिया ने शुक्रवार की नमाज के समय लाल वस्त्र पहन कर लोगों से शाह तुरकान के विरुद्ध मदद माँगी लोगों ने रुकनुद्दीन को अपदस्थ कर रजिया को सुलतान बनाया ए रुकनुद्दीन मात्र सात माह शासक रहा ,
- रजिया के मामले में पहली बार दिल्ली की जनता ने उत्तराधिकार के प्रश्न पर स्वयम निर्णय किया ,