गोविंद देव चौहान :-
- पृथ्वीराज चौहान तृतीय के पुत्र गोविंद देव चौहान ने 1194 ईसवी में कुतुबुद्दीन ऐबक की सहायता से - रणथंभौर के चौहान वंश की नींव रखी तथा यही रणथंभौर के चौहान वंश का संस्थापक था ।
- रणथंभौर के चौहान वंश का प्रथम व अंतिम प्रतापी राजा हमीर देव चौहान था ।
- जलालुद्दीन खिलजी ने रणथम्भोर पर आक्रमण किए लेकिन इसे न जीत पाने के कारण जलालुद्दीन ने कहा कि" ऐसे 10 किलो को में मुसलमान की दाढ़ी के एक बाल के बराबर समझता हूं मैं क्यों जीतू"
- जलालुद्दीन खिलजी प्रथम शासक था जिसने रणथम्भोर पर आक्रमण किया था रणथम्भोर दुर्ग सवाई माधोपुर में स्थित है। यह चारो ओर से पहाड़ियों से गिरा है अतः अबुल फजल ने इस दुर्ग के बारे में कहा है कि राजस्थान में अन्य सभी दूर्ग नंगे हैं लेकिन यह दुर्ग बख्तरबंद दुर्ग है।
- इस दुर्ग की कुंजी झाइन दुर्ग कहलाता है।
- अलाउद्दीन खिलजी ने 1301 में रणथम्भोर दुर्ग पर आक्रमण किया इस समय यहां हमीर देव चौहान का राज था इस युद्ध को रणथम्भोर का शाखा राजस्थान का प्रथम साका कहते हैं।
- अलाउद्दीन के विश्वासघाती सैनिक मोहम्मद शाह को शरण देना इस युद्ध का प्रमुख कारण था।
- हम्मीर ने अपने जीवन काल में कुल 17 युद्ध किए जिनमें से 16 युद्ध उसने जीते थे।
- हमीर चौहान की पत्नी रंग देवी तथा पुत्री पदमलता ने यहां जल जोहर किया जो राजस्थान का एकमात्र जल जोहर था।
- 1301 का युद्ध हम्मीर द्वारा हार जाने का मुख्य कारण था इसके सैनिक रणमल व रतीपाल का विश्वासघात था।
- अलाउद्दीन ने अपने सैनिक नुसरत खां व उल्लू को रणथंभोर दुर्ग पर आक्रमण के लिए भेजा था नुसरत खाँ मारा गया व उल्लू खाँ को प्रशासक नियुक्त किया गया।
- 1301 के रणथम्भोर युद्ध के समय अलाउद्दीन का सैनिक , दरबारी कवि व इतिहासकार अमीर खुसरो भी मौजूद था जिसे अलाउद्दीन ने तोता ए हिंद की उपाधि दी थी।
- अमीर खुसरो ने रणथम्भोर दुर्ग जीतने के बाद कहा कि "आज कूफ्र का घर इस्लाम का घर हो गया है"।
- हम्मीर के बारे में प्रसिद्ध है "तिरिया तेल हम्मीर हठ चढे न दूजी बार "
- प्रमुख रचनाएं हमीर रासो - सारंगधर , जोधराज हमीर महाकाव्य --नयन चंद्र सूरी
- हमीर हठ , सुर्जन चरित्र चंद्रशेखर
नाडोल के चौहान :-
- संस्थापक --- लक्ष्मण देव चौहान (960 ईसवी)
- प्रथम प्रतापी राजा कीर्तिपाल ने सुवर्ण गिरी पहाड़ी पर जालौर मे स्वर्ण गिरी का दुर्ग बनवाया तथा जालौर में सोनगरा चौहान वंश की नींव रखी इस प्रकार नाडोल शाखा जालौर शाखा में विलय हो गई।
- जालौर दिल्ली से गुजरात में मालवा जाने के मार्ग पर पड़ता है जालौर के सोनगरा वंश का संस्थापक कीर्तिपाल चौहान था।
- कीर्तिपाल चौहान ने जालौर दुर्ग की सोनगढ़ पहाड़ी पर स्वर्ण गिरी दुर्ग का निर्माण करवाया।
- जालौर का किला सुकड़ी नदी के किनारे बना है।
- 1305 में जालौर का शासक का कान्हडदेव था।
- 1308 में सिवाना दुर्ग (बाड़मेर) मे साका हुआ इस समय अलाउद्दीन खिलजी ने सिवाना दुर्ग पर आक्रमण किया इसमें सोमदेव चौहान मारे गए दुर्ग जीतने के बाद अलाउद्दीन ने इसका नाम खैराबाद रखा तथा सिवाना दुर्ग का प्रशासक कमालुद्दीन गुर्ग को नियुक्त किया।
- सिवाना का पतन भावले नामक सैनिक द्वारा विश्वासघात करने के कारण हो गया ।
- (1310 - 11) स्वर्ण गिरी जालौर का साका हुआ अलाउद्दीन खिलजी ने जालौर दुर्ग पर आक्रमण किया जहां कान्हडदें और उसका पुत्र वीरमदेव चौहान मारे गए तथा दुर्ग जीतने के बाद अलाउद्दीन ने इसका नाम जलालाबाद रखा।
- अलाउद्दीन खिलजी ने जालौर दुर्ग में मस्जिद का निर्माण करवाया जिसे अलाउद्दीन खिलजी की मस्जिद कहते हैं।
- सिवाना में जालौर दुर्ग पर अलाउद्दीन का आक्रमण करना साम्राज्य विस्तार नीति सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण दुर्ग तथा गुजरात मालवा जाने का मार्ग होना था।
- कान्हडदे पर आक्रमण करने का प्रमुख कारण इसके पुत्र विरमदेव द्वारा अलाउद्दीन खिलजी की पुत्री फिरोजा से विवाह नहीं करना था।
- इस दुर्ग के विषय में कहा जाता है कि आज तक इस दुर्ग के द्वार से प्रवेश करके इसे कोई भी नहीं जीत पाया है।
- जालौर के चौहानों की कुलदेवी आशापुरी माता (महोदरी माता) है ।
- कान्हडदे के दरबारी कवि पद्मनाभ कान्हडदे प्रबंध तथा वीरमदेव सोनगरा री बात दो ऐतिहासिक ग्रंथ लिखे।
नोट - फरिश्ता के अनुसार अलाउद्दीन खिलजी ने जालौर पर प्रथम आक्रमण 1305 में तथा दूसरा आक्रमण 1311 ईस्वी में किया था।