नाम व नामकरण की परिभाषाः-
कर्नल जेम्स टाॅड की पुस्तक तीन संस्करणो में प्रकाशित हुई-
1. ‘द एनाल्स एण्ड एन्टीक्विटीज आॅफ इण्डिया’ 1829 ई.।
2. ‘द सेन्ट्रल एण्ड वेस्टर्न राजपूत स्टेट आॅफ इण्डिया’ 1832 ई.।
कर्नल जेम्स टाॅड की मृत्यु सन् 1835 में हुई थी। मत्यु के बाद प्रकाशित तीसरा संस्करण जारी हुआ था-
3. ‘द वेस्टर्न टेवल्र्स आॅफ इण्डिया’ 1839 ई.।
नोट:- कर्नल टाॅड ने राजस्थान इतिहास के बारे में एवं राजस्थान में प्रचलित सामंतवादी प्रथा/जागीरदारी प्रथा के बारे में सर्वाधिक लेख लिखे। इस कारण
आकार व आकृति
राजस्थान का विस्तार
- हमारा प्रांत राजस्थान वर्तमान स्वरूप में 1 नवम्बर 1956 को आया, इसे विभिन्न कालो में भिन्न भिन्न नामों से पुकारा जाता था।
- ऋग्वेद में राजस्थान के लिए ब्रह्मवर्त, जबकि रामायण में वाल्मिकी ने राजस्थान प्रदेश के लिए मरूकान्तार शब्द का प्रयोग किया।
- राजस्थान का अबुल फजल ‘मुहणौत नैणसी’ ने अपनी पुस्तक ‘नैणसी री ख्यात’ में तथा राजरूपक ग्रंथ में इस भू भाग के लिए राजस्थान शब्द का प्रयोग किया।प्राचीन काल में राजस्थान के लिए रायथाना या रजवाड़ा शब्दो का प्रयोग किया जाता था।
- रायथान या रजवाड़ा का शाब्दिक अर्थ राजाओं/राजपूतो का निवास स्थान होता है। इसकी पुष्टि कर्नल टाॅड के लेखों से मिलती है।
- मध्यकाल में भारत पर मुसलमानो का शासन था। वे राजपूतों को बहुवचन में राजपूतां पुकारते थे। संभवतः इसी कारण अंग्रेजों ने हमारे प्रांत को राजपूताना नाम दिया।राजपूताना शब्द देने वाला प्रथम इतिहासकार जाॅर्ज थाॅम्स (1800) थे। इस तथ्य की जानकारी जाॅर्ज थाॅम्स की पुस्तक ‘ए मिलिट्री मेम्बायर्स आॅफ जाॅर्ज थाॅम्स’ (1805) से मिलती है। इसमें लिखा है कि संभवतया जाॅर्ज थाॅम्स ही पहले व्यक्ति थे, जिसने राजस्थान शब्द दिया। इस पुस्तक के संपादक विलियम फ्रेंकलिन थे।राजस्थान के लिए राजस्थान शब्द का प्रथम प्रयोगकर्ता कर्नल टाॅड था। इसकी जानकारी हमें उनकी पुस्तक ‘द एनाल्स एण्ड एन्टीक्विटीज आॅफ राजस्थान’ (1829) में मिलती है। इस पुस्तक के संपादक विलियम क्रुक जबकि प्रथम हिंदी अनुवादक पं. गौरीशंकर हीराचंद औझा थे।
कर्नल जेम्स टाॅड की पुस्तक तीन संस्करणो में प्रकाशित हुई-
1. ‘द एनाल्स एण्ड एन्टीक्विटीज आॅफ इण्डिया’ 1829 ई.।
2. ‘द सेन्ट्रल एण्ड वेस्टर्न राजपूत स्टेट आॅफ इण्डिया’ 1832 ई.।
कर्नल जेम्स टाॅड की मृत्यु सन् 1835 में हुई थी। मत्यु के बाद प्रकाशित तीसरा संस्करण जारी हुआ था-
3. ‘द वेस्टर्न टेवल्र्स आॅफ इण्डिया’ 1839 ई.।
नोट:- कर्नल टाॅड ने राजस्थान इतिहास के बारे में एवं राजस्थान में प्रचलित सामंतवादी प्रथा/जागीरदारी प्रथा के बारे में सर्वाधिक लेख लिखे। इस कारण
- कर्नल टाॅड को राजस्थान इतिहास का जनक/पिता/पितामह कहा जाता है।नोट:-कर्नल टाॅड ने इतिहास घोड़े पर यात्रा करके प्राचीन बहियों,
- ख्यातों, किंवदंतियो के आधार पर लिखा था। इस कारण घोड़े वाला बाबा के उपनाम से जाना जाता है।
- राजस्थान शब्द का प्रथम लिखित उल्लेख - खिंमल माता मंदिर, बसंतगढ़ सिरोही से प्राप्त अभिलेख में मिलता है। यह अभिलेख किसी चावड़ा वंश के वर्मताल शासक के द्वारा उत्कीर्ण है। जिसमें वि. सं. 682 व 625 ई. राजस्थान द्वितीयाम वर्णित है।राजस्थान को प्रथम व अन्तिम बार राजस्थान नाम रियासती विभाग 1947 द्वारा गठित पी. सत्यनारायण समिति की अनुशंसा पर 26 नवरी 1950 को दिया गया।
- राजस्थान के एकीकरण के द्वितीय चरण में सर्वप्रथम राजस्थान शब्द का प्रयोग हुआ।
- राजस्थान दिवस 30 मार्च को मनाया जाता है क्योंकि इस दिन राजस्थान की बड़ी बड़ी रियासतों JJJB का विलय किया गया था।
- J J J Bजयपुर जोधपुर जैसलमेर बीकानेर
आकार व आकृति
- राजस्थान का आकार पतंगाकार व ज्यामितिय आकृति विषमकोणिय चतुर्भुज के समान है। ऐसा बताने वाला प्रथम विद्वान था -T.H. हेण्डले।
- स्थिति व अवस्थिति
- राजस्थान का अक्षांशीय विस्तार 23० 3' उतरी अक्षांश से 30०12' उतरी अक्षांश के मध्य व 69०30' पूर्वी देशान्तर से 78० 17' पूर्वी देशान्तर के मध्य है।
- अक्षांशीय अंतर- 7०9 शान्तरीय अंतर- 8०47'
- नोट:- कर्क रेखा राजस्थान के डूंगरपुर की दक्षिणी सीमा के चिखली गांव को छूती हुई कुशलगढ़ बांसवाड़ा के मध्य से गुजरती है।
- जिसकी कुल लम्बाई राजस्थान में - 26 किमी. है।राजस्थान की प्रारंभिक अक्षांशीय स्थिति व कर्क रेखा के मध्य का अन्तर 27 मिनट का है।कर्क रेखा भारत के आठ राज्यो से होकर गुजरती है-ट्रीकः- राम झा के छः पंगु मित्र है।राजस्थान, मध्यप्रदेश, झारखण्ड, छतीसगढ, प. बंगाल, गुजरात, मिजोरम, त्रिपुरा
- नोट:- कर्क रेखा के ऊपर शितोष्ण/उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु नीचे उष्ण कटिबंधीय जलवायु पायी जाती है।
राजस्थान का विस्तार
- राजस्थान का उतरतम छोर- कोणा गांव, तह. करणपुरा, श्रीगंगानगर।राजस्थान का दक्षिणतम छोर- बोरकुण्डा गांव तह. कुशलगढ़, बांसवाड़ा।
- राजस्थान का पूर्वतम छोर(सबसे पहले सुर्योदय व सुर्यास्त)- सिलाना गांव तह. राजाखेड़ा, जैसलमेर।
- राजस्ािान का पश्चिमतम छोर(सबसे बाद में सुर्योदय व सुर्यास्त) - कटरा गांव, तह. सम, जैसलमेर।
- राजस्थान की पूर्व से पश्चिम तक चैड़ाई - 869 किमी।राजस्थान की उतर से दक्षिण तक लम्बाई- 826 किमी।
- राजस्थान की लम्बाई व चैड़ाई का अन्तर 43 किमी है।राजस्थान में सबसे पहले सूर्योदय व सूर्यास्त धौलपुर में होता है। जबकि राजस्थान में सबसे बाद में सूर्योदय जैसलमेर में होता है। इनके बीच 36 मिनट का अन्तर होता है।पृथ्वी का भूमध्य रेखीय व्यास व ध्रुवीय व्यास में अन्तर 43 किमी का हैै। राजस्थान का बडा़ विकर्ण - उतर पश्चिम से दक्षिण पूर्व की लम्बाई 850 किमी जबकि छोटा विकर्ण - उतर पूर्व से दक्षिण पश्चिम की लम्बाई 784 किमी है।
- सामान्य परिचय विशेष तथ्य:-राजस्थान में सूर्य की सीधी किरणे बांसवाड़ा में पड़ती है। जबकि सर्वाधिक तिरछी किरणें गंगानगर में पड़ती है।
- राजस्थान में सर्वाधिक सूर्य ताप ग्रहण करने वाला जिला जोधपुर है इस कारण इसे सनसिटी भी कहते है।राजस्थान में लम्बवत् सीधी किरणें 21 जून को पड़ती है।राजस्थान भारत के उतर-पश्चिम में स्थित है।राजस्थान की स्थलाकृति वेगनर सिद्धान्त पर आधारित है।
- नोट:- वेगनर ने महाद्वीप व महासागर की उत्पति का सिद्धांत दिया - महाद्विपीय विस्थापन सिद्धान्त 1913।
- राजस्थान का जनसंख्या की दृष्टि से 8 वां व क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रथम स्थान है।
- जिला परिषदो की संख्या - 33उपखण्डो की संख्या - 192 - 244+43कस्बो की संख्या - 222 2001 के अनुसारतहसीलो की संख्या - 287+5उपतहसीलो की संख्या - 135$61पंचायत समितियां - 249निकायो की संख्या - 184
- नगर निगम- 5$1 - जयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर, बीकानेर, उदयपुरनगर परिषद् - 30$6 - सबसे पुरानी - अजमेर, नगरपालिका - 166
- ब्रिटिश काल में स्थापित नगरपालिका - 8 पहली आबू में स्थापित,ग्राम पंचायत- 9894, कुल ग्राम - 45052सर्वाधिकतहसीलो वाला जिला-जयपुर 13न्यूनतम तहसीलो वाला जिला-जैसलमेर (4),सर्वाधिक पंचायत समितियों वाला जिला - अलवर 14सर्वाधिक गांवो वाला जिला -गंगानगर
- सबसे कम गांव वाला जिला - सिरोही 462+18 नवीन घोषितनोट:- भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव गंगा डाॅल्फीन 2010 में घोषित।
- राजस्थान के समान घनत्व वाला जिला - सिरोही 202