गुहिल वंश/रावल वंश/गहलोत वंश, सिसोदिया वंश, मेवाड़ वंश

GUHIL VANSH, RAAVAL VANSH, GAHALOT VANS
गुहिल वंश /रावल वंश/ गहलोत वंश :-
गुहादित्य :- (566 .)




मेवाड़ वंश/ रावल वंश/ गहलोत वंश :-
  • उदयपुर, राजसमंद ,चित्तौड़गढ़ एवं प्रतापगढ़ तथा इनके आसपास का क्षेत्र मेवाड़ कहलाता था |
  • इस क्षेत्र पर पहले  मेवल जाति का अधिकार होने के कारण इसका नाम मेदपाट पड़ा |
  • मेवाड़ को मेदपाट /प्रागवाट (शिवि जनपद) के नाम से जाना जाता था |
  • शिवि जनपद की राजधानी मध्यमीका थी इसे वर्तमान में नगरी कहते हैं नगरी चित्तौड़गढ़ में स्थित है |
  •  मेवाड़ राजवंश को हिंदुआ सूरज कहा जाता है |
  • मेवाड़ राजवंश ने राजस्थान में सर्वाधिक समय तक शासन किया |
  • राजस्थान की सबसे प्राचीन रियासत मेवाड़ थी मेवाड़ में गुहिल वंश के सिसोदिया वंश ने राज किया था |

गुहिल वंश/ रावल वंश /गहलोत वंश :-
  • मुंहनोत नैंसी ने  24 शाखाओं का उल्लेख किया है |
  • कर्नल टॉड ने भी अपने गुरु ज्ञान चंद के मांडल के उपसार के संग्रहालय के आधार पर गुहीलो की 24 शाखाओं को माना है |
  • मेवाड़ के गुहिल गुर्जर प्रतिहार के सामंत थे |
गुहादित्य :-
  • यह मेवाड़ के गुहिल वंश का संस्थापक था |
  • गुहा दित्य ने 566 . में गुहिल वंश की नींव रखी थी |