GURJAR PRATIHAAR गुर्जर प्रतिहार

 गुर्जर प्रतिहार 
  • प्रतिहार शब्द का अर्थ द्वारपाल है क्योंकि प्रतिहारो ने अरब आक्रमणकारियों से भारत की रक्षा की थी इनकी तुलना मौर्य और गुप्त राज्यों से की जा सकती है।
  • प्रतिहार स्वयं को लक्ष्मण वंशज या सूर्यवंशी या रघुवंशी मानते हैं।
  • गुर्जर प्रतिहारो का सर्वप्रथम उल्लेख पुलकेशिन द्वितीय के ऐहोल अभिलेख में मिलता है।
  •  डॉ मजूमदार के अनुसार गुर्जर लक्ष्मण के वंशज थे।
  • आठवीं से दसवीं शताब्दी तक उत्तर भारत में गुर्जर प्रतिहार वंश प्रभावशाली था इनका प्रभाव केंद्र मारवाड़ था (गुर्जररात्रा)  गुजरात प्रदेश में रहने के कारण प्रतिहार गुर्जर प्रतिहार कहलाये।
  • मुहणोत नैणसी ने गुर्जर प्रतिहारो की कुल 26 शाखाओं का उल्लेख किया है। इनमें से तीन प्रमुख शाखाएं थी
  • 1. मंडोर शाखा संस्थापक हरिश्चंद्र
  • 2.भीनमाल शाखा -संस्थापक नागभट्ट प्रथम कन्नौज गुर्जर प्रतिहारो की प्रारंभिक राजधानी मंडोर थी तथा भीनमाल को नागभट्ट प्रथम ने राजधानी बनाया।
  •  नोट- भीनमाल हर्षवर्धन के समय चीनी यात्री हेनसांग भीनमाल की यात्रा की तथा अपने ग्रंथ सी यू की  में भीनमाल को पीलोमेलो कहा है।
  • संस्कृत महाकाव्य शिशुपाल वध के रचनाकार कवि माघ का संबंध भीनमाल से हैं।

 भीनमाल की शाखा (जालौर )
नागभट्ट प्रथम (730 -756 )
  • गुर्जर प्रतिहारो की इस शाखा का संस्थापक नागभट्ट प्रथम था।
  •  इसने भीनमाल को राजधानी बनाया।
  • उपाधियां ---- नागावलोक नारायध की मूर्ति ,  राम का प्रतिहार इंद्र के दंभ का नाशक ,  क्षत्रिय ब्राह्मण थ।
  • वत्सराज (78- 795)
  • यह प्रतिहारों की भीनमाल शाखा का वास्तविक संस्थापक था।
  • इसे रणहस्तिन की उपाधि प्राप्त थी।
  • ओसियां के मंदिर वत्सराज द्वारा बनवाए गये।
  • ओसियां के मंदिर प्रतिहार कालीन है जो महामारू शैली मैं बने हुए हैं।
  • ओसियां में सूर्य और जैन मंदिर बने हैं ओसिया को राजस्थान का भुवनेश्वर कहा जाता है और औसिया का प्राचीन नाम उपकेशपटन है।
  • ओसियां में सचिया माता का मंदिर है। सच्चीया माता (ओसिया माता)ओसवाल जैनों की कुलदेवी है। इस मंदिर में महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा है।
  • इसके काल में ही कन्नौज के लिए त्रिपक्षीय संघर्ष हुआ था। पाल शासक धर्मपाल को पराजित करने का श्रेय वत्सराज को जाता है।
  • त्रिपक्षीय संघर्ष की शुरुआत वत्सराज ने की थी जो 100 वर्षों तक चला इसमें वत्सराज राजा ध्रुव से पराजित हुआ।
  • वत्सराज के काल में ही उद्योतन सुरी ने कुवलयमाला और जिनसेन सूरी ने हरिवंश पुराण लिखा।
  • वत्सराज ने ओसियां में महावीर स्वामी का मंदिर बनवाया जिसे पश्चिमी भारत का प्राचीन जैन मंदिर कहते हैं 

नागभट्ट द्वितीय ( 795 -833) ईसवी
  • यह वत्सराज की पत्नी सुंदर देवी का पुत्र था।
  • अरब आक्रमणकारियों पर पूर्णतया रोक लगाने वाला राजा नागभट्ट द्वितीय ही था। इसके समय राष्ट्रकूट शासक गोविंद तृतीय का संघर्ष हुआ जिसमें नागभट्ट पराजित हुआ इसने कन्नौज के शासक चक्रायुद्ध को पराजित किया।
  • इसने सर्वप्रथम कन्नौज को जीता तथा प्रतिहारों की राजधानी बनाया।
  • इसने 833 ईसवी में गंगा में समाधि ली थी।

 मिहिर भोज (836- 885)
  •  पिता    - रामभद्र                   
  •  माता     -  अप्पा देवी
  • प्रमुख जानकारी स्रोत ग्वालियर प्रशस्ति :-  ग्वालियर प्रशस्ति मिहिर भोज के समय लिखी गई।
  •  रामभद्र की हत्या करने के कारण भोज को प्रतिहारो में पित्रहंता कहते हैं 
  • उत्तर प्रदेश में बैग्राम अभिलेख मे उसे संपूर्ण पृथ्वी को जीतने वाला शासक  कहा गया है।
  •  गुर्जर प्रतिहारो में सबसे प्रतापी राजा मिहिर भोज था। इसके समय उत्तर भारत में गुर्जर प्रतिहार वंश चरमोत्कर्ष पर था।
  • मिहिर भोज को आदीवाराह तथा प्रभास की उपाधि प्राप्त थी।
  • मिहिर भोज ने र्दुम सिक्के चलाए थे।
  • मिहिर भोज वैष्णव धर्म का अनुयाई था जिसने विष्णु की पूजा सगुण और निर्गुण दोनों रूपों में की तथा विष्णु को हरिकेश बताया।
  • 851 ईसवी में अरब यात्री सुलेमान मिहिर भोज के दरबार में आया जिसने मिहिर भोज के शासन व्यवस्था की प्रशंसा की है। नोट---  ऐसी ही प्रशंसा कल्हण ने राज तरंगिणी में की है 

 महेंद्र पाल प्रथम( 910- 946)
  • यह भोज का पुत्र था।
  • इसके दरबार में कवि एवं इसका गुरु राजशेखर था।
  • राजशेखर ने कर्पूर मंजरी काव्यमीमांसा प्रबंध कोष ,  हरविलास बाल रामायण बाल भारत तथा विद्वशालभजिका आदि ग्रंथों की रचना की।

 महिपाल प्रथम
  • इसने भी राजशेखर को आश्रय दिया था।
  • इसे रघुकुल मुकुट मणि भी कहा जाता था  इसके समय में 915 ईसवी में अरब यात्री अल मसूदी भारत आया था अल मसूदी ने गुर्जर प्रतिहारो को अल गुर्जर तथा राजा को बोरा कहा था।

राज्यपाल
  •  इसके समय 1018 ईस्वी में महमूद गजनवी ने आक्रमण किया था।

 यशपाल

  • अंतिम प्रतिहार शासक यशपाल था।