RAJASTHAN KE SVATANTRATA SENANI राजस्थान के स्वतंत्रता सेनानी

स्वामी केशवानंद (1888 - 1972 )

  • इनका मूल नाम बीरमा था।
  • उदासी गुरू कुशलदास से दीक्षित।
  • इन्होंने बीकानेर राज्य में ग्रामोत्थान विद्धपीठ संगरिया का निर्माण किया।

अमरचंद बाँठिया:-

  • यह बीकानेर निवासी था। जो ग्वालियर राजघराने में दिवान था।
  • इसने क्रांति के दौरान लक्ष्मी बाई व तात्या टोपे को आर्थिक सहायता प्रदान की थी। अतः अंग्रेजो ने इसे फांसी की सजा दी।
  • 1857 की क्रांति के दौरान फांसी दिया जाने वाला यह प्रथम राजस्थानी था।
  • इसे क्रांति का भामाशाह व राजस्थान का मंगल पाण्डे कहा जाता है।


गुरू गोविन्द गिरी:-

  • राजस्थान में बांगड़ प्रदेश  भीलों के प्रथम उद्घारक व डूँगरपुर के बासिया ग्राम के निवासी थे।
  • इन्होनें 1883 में सिरोही में सम्प सभा की स्थापना करके आदिवासी भीलों में समाज व धर्म सुधार आंदोलन चलाया।
  • गुरू गोविंद गिरी को भीलों का प्रथम उद्घारक कहा जाता है। गुरू गोविन्द गिरी का जन्म बासिया गाँव डूँगरपुर में हुआ।
  • भगत आंदोलन भीलों में सामाजिक उत्थान के लिए किया गया पहला आंदोलन था।
  • 7 दिसम्बर 1908 को सम्प सभा का पहला अधिवेशन मानगढ़ धाम की पहाड़ियों ( बाँसवाड़ा)  में आयोजित किया गया।
  • ऐसा ही वार्षिक अधिवेशन मानगढ़ में 17 दिसम्बर 1913 को आयोजित हुआ। इस अधिवेशन पर मेवाड़ भील कौर सैनिक ने गोलीबारी की जिसनें लग-भग 1500 भील मारे गये।
  • मोतीलाल तेजावत:-
  • उदयपुर के कौल्यारी ग्राम के श्री तेजावत ने आदिवासी भीलों को संगठित करने हेतु एकी आंदोलन चलाया।
  • एकी आंदोलन की शुरुआत 1920-21 में मोतीलाल तेजावत द्वारा मातर्कूण्डिया चित्तौड़गढ़ में हुई।
  • आदिवासी इन्हें बावजी कहते हैं।
  • भीलों को अत्याचारों में शोषण से मुक्ति दिलाने में इन्होंने अपना जीवन खपा दिया तेजावत का जन्म 8 जुलाई 1986 को हुआ।

विजय सिंह पथिक:-

  • इनका जन्म 1882 ई. में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के गुठावली गांव में हुआ था यह गुर्जर जाति के थे तथा इनका मूल नाम भूपसिंह था।
  • इंदौर में यह अपने बहन के यहां रहते हुए सचिंद्र नाथ सान्याल के संपर्क में आए सान्याल ने इनका परिचय रासबिहारी बोस से करवाया।
  • रासबिहारी बोस व सचिंद्र नाथ सान्याल ने 1910 में क्रांतिकारी गतिविधियों के संचालन हेतु इनको राजस्थान भेजा।
  • दिसंबर 1914 में बनारस में क्रांति दलों के प्रमुखों की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 21 फरवरी 1915 को सारे भारत में क्रांति की जाए। जनवरी 1915 में क्रांति की तैयारी के लिए रासबिहारी बोस ने बनारस से लाहौर की ओर प्रस्थान किया।
  • राजस्थान सचिंद्र नाथ सान्याल को भेजा गया। विचार विमर्श किया गया कि राजस्थान में ठाकुर कुशाल सिंह और दामोदर दास राठी को ब्यावर और अजमेर नसीराबाद करना है। यह व्यवस्था करके उन्हें क्रांति का नेतृत्व करना था।
  • 21 फरवरी 1915 को राव गोपाल सिंह खरवा रेलवे स्टेशन  के निकट जंगल में 2000 से ज्यादा सशस्त्र सैनिकों के साथ क्रांति के लिए निश्चित संकेत की प्रतीक्षा कर रहे थे।
  • 19 फरवरी को इस क्रांति का भेद ब्रिटिश सरकार को मिला इस कारण यह सशस्त्र क्रांति असफल हो गई। फल स्वरुप रासबिहारी बोस जापान चले गए।
  • सरकार ने भूप सिंह व राव गोपाल सिंह को पकड़ लिया और टॉड़गढ़ के किले में नजरबंद करके रखा।
  • मार्च 1915 में यह यहां से साधुओं के वेश में बाद में राजपूत के वेश में भाग गए और चित्तौड़ के पास औछड़ी गांव में रहने लगे जेल से फरार होकर नाथद्वारा पहुंचे यहीं पर लोगों को पहली बार विजय सिंह के नाम से परिचय दिया।
  • 1916 में इन्होंने साधु सीताराम दास के आग्रह पर बिजोलिया किसान आंदोलन का नेतृत्व संभाला।
  • 1917 में इन्होंने हरियाली अमावस के दिन ऊपरमाल पंच बोर्ड की स्थापना की जिसका सरपंच श्री मन्ना पटेल को बनाया गया।
  • 1927 को विजय सिंह पथिक किसान आंदोलन से अलग हो गए।
  • इन्होंने राजस्थान में किसान आंदोलन का जनक माना जाता है। 
  • 1919 में इन्होंने राजस्थान सेवा संघ का निर्माण वर्धा (महाराष्ट्र) में किया फिर बाद में 1920 में इसका मुख्यालय अजमेर में बनाया गया।
  • बिजोलिया व बेगू किसान आंदोलन राजस्थान सेवा संघ के निर्देशन में  चला। तरूण समाचार पत्र के माध्यम से जनता की समस्याओं को उठाया गया।
  • समाचार पत्र:--राजस्थान केसरी, नवीन राजस्थान  

 अर्जुन लाल सेठी:-

  • जन्म 9 सितंबर 1880 ई. को जयपुर में जैन परिवार में।
  • यह जयपुर में क्रांतिकारी चेतना जगाने वाले प्रथम व्यक्ति थे।
  • इन्होंने 1902 में जयपुर के महाराजा कॉलेज से बीए की परीक्षा उत्तीर्ण की इन्हें चोमू (जयपुर) के जिलाधीश का पद सौंपा गया लेकिन उन्होंने यह कहते हुए पद को ठुकरा दिया कि मैं यदि अंग्रेजों की नौकरी करूंगा तो उन्हें भारत से बाहर कौन निकालेगा।
  • इन्होंने 1905 में जयपुर में जैन शिक्षा प्रचारक सोसाइटी की स्थापना की।
  • 1907 में इन्होंने जयपुर में जैन शिक्षा सोसाइटी की स्थापना की जो 1908 में जैन वर्धमान वि।ालय के नाम से प्रसिद्ध हुआ इसका मुख्य उद्देश्य क्रांतिकारी युवक तैयार करना था।
  • वर्धमान वि।ालय के शिक्षक विष्णु दत्त ने अपनी 4 वि।ार्थियों मोतीचंद, मानकचंद, जयचंद,  जोरावर सिंह के सहयोग से निमेच (जिला आरा बिहार) के जैन उपासरे पर डाका डाला उपासरे का महंत भगवानदास मारा गया
  • निमेच हत्याकांड केस में विष्णु दत्त को काला पानी की सजा (अंडमान) और मोतीचंद को मृत्युदंड दिया गया।
  • जोरावर सिंह बारहठ ने आजीवन 17 अक्टूबर 1939 तक भूमिगत रह के जीवन व्यतीत किया।
  • हत्याकांड षड्यंत्र की योजना बनाने के आरोप में अर्जुन लाल सेठी को बंदी बना लिया गया पहले इन्हें इंदौर जेल में बाद में जयपुर जेल में तथा इसके बाद वेल्लूर जेल (तमिलनाडु) में 7 साल रखा गया।
  • 1922 में यह अजमेर क्षेत्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने।
  • उन्होंने अजमेर में एक बच्चे को अरबी फारसी पढ़ाई।
  • 1924 में हरिभाऊ उपाध्याय से हारे और कांग्रेस से अलग हो गए।
  • इन्होंने 1 वर्ष 6 माह सिवनी (मध्य प्रदेश) जेल में भी काटा।
  • इन्होंने अजमेर को अपनी गतिविधियों का केंद्र बनाया अजमेर में ही इनका तिथि 23 दिसंबर 1941 को देहांत हो गया लोगों ने मुस्लिम समझकर दफना दिया।
  • इनकी प्रमुख पुस्तकें - महेन्द्र कुमार (नाटक), मदन पराजय, पार्श्वयोग।
  • इन्होनें काकोरी कांड के अभियुक्त अशफाक उल्ला खां को शरण दी थी।

 केसरी सिंह बारहठ:-

  • जन्म 21 नवंबर 1872 में शाहपुर गांव देवपुरा चारण परिवार में।
  • पिता - किशन सिंह इस देवपुरा गांव को बारहठ जी का खेड़ा भी कहा जाता है।
  • विवाह - 1893 में माणिक्य कंवर से 
  • भाई - जोरावर सिंह बारहठ 
  • पुत्र - प्रताप सिंह बारहठ


  • इन्होनें 1903 फतेह सिंह (मेवाड़) को कर्जन के काल में एडवर्ड के दरबार में शामिल होने से रोकने हेतु 13 सोरठों का पत्र (डिंगल भाषा) भेजा। जिसे चेतावनी रा चुंगठिया कहते हैं।?
  • इन्होनें 1910 में गोपाल सिंह खरवा के साथ मिलकर वीर भारत सभा की स्थापना की।
  • साधु प्यारेलाल हत्याकांड केस में इन्हें 1914 में 20 साल की सजा हुई।
  • इन्हें बिहार के हजारीबाग जेल में रखा गया जेल में अपने पुत्र प्रताप सिंह बारहठ के शहीद होने की सूचना मिली तो उन्होंने कहा कि भारत माता का एक और पुत्र उसकी मुक्ति के लिए शहीद हो गया है।
  • इन्हें राजस्थान सरी के नाम से जाना जाता है
  • पुस्तकें - रूठी रानी , प्रताप चरित्र,  चरित्र दुर्गादास , राजसिंह चरित्र 
  • मृत्यु 11 अगस्त 1945 को कोटा में।

जोरावर सिंह बारहठ:-

  • जन्म 12 दिसंबर 1883 को उदयपुर में
  • मृत्यु 17 अक्टूबर 1939 को कोटा में अंतर्लिया हवेली में
  • यह केसरी सिंह बारहठ के छोटे भाई अर्जुन लाल सेठी के सहायक तथा जैन वर्धमान वि।ालय के संरक्षक थे।
  • 23 दिसंबर 1912 को दिल्ली के चांदनी चैक पर वायसराय लॉर्ड हार्डिंग की सवारी पर रासबिहारी बोस के नेतृत्व में सवारी पर बम फेंकने की योजना बनाई गई। जिसमें इनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी इन्होंने ही हार्डिंग पर बम फेंका जिसमें होर्डिंग बच गया उसका अंगरक्षक मारा गया।
  • यह राजस्थान के चंद्रशेखर कहलाते हैं।
  • बारहठों की हवेली शाहपुरा भीलवाड़ा

सेठ दामोदर दास राठी:-

  • पोकरण में जन्मे श्री राठी ब्यावर के एक व्यवसायी थे उन्होंने राजस्थान में क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए आर्थिक सहायता दी थी कृष्णा मिल्स ब्यावर के संस्थापक व संचालक श्री राठी ही थे।

सेठ जमनालाल बजाज:-

  • इनका जन्म सीकर के छोटे से गांव खासी के बास में हुआ था। यह उ।ोगपति समाजसेवी व क्रांतिकारी थे भामाशाह की तरह इन्होंने अपनी सारी पूंजी देश हित में लगा दी यह गांधीजी के पांचवें पुत्र व देश के गुलाम नंबर चार कहलाते थे।

जानकी देवी बजाज:-

  • यह जमनालाल बजाज की पत्नी थी इन्हें 1956 पदम विभूषण मिला राजस्थान की प्रथम महिला व प्रथम व्यक्तित्व जिन्हें पदम विभूषण मिला।

जयनारायण व्यास:-

  • लोकनायक की जनउपाधि से विभूषित राजस्थान के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक व जुझारू राजनीतिक आंदोलनकारी व्यक्तित्व।
  • यह जोधपुर रियासत के उत्तरदायी लोकप्रिय सरकार के प्रधानमंत्री बने तथा दो बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे।
  • यह एकमात्र मुख्यमंत्री थे जो मनोनीत एवं निर्वाचित दोनों रहे।
  • इन्होनें अंग्रेजी पाक्षिक समाचार पत्र पीप का संपादन किया।
  • व्यास जी ने 1960 में डॉ लक्ष्मी मल की अध्यक्षता में ज्ञान मंदिर की स्थापना की।
  • इन्हें राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा स्वामी श्रद्धानंद से मिली।
  • समाचार पत्र:- अखंड भारत - जय नारायण व्यास द्वारा मुंबई से प्रकाशित, आगीबाण 1932 में ब्यावर से जयनगर द्वारा प्रकाशित यह राजस्थानी भाषा का प्रथम समाचार पत्र था जिसमें सामंती प्रथा के विरुद्ध लिखा।

माणिक्य लाल वर्मा:-

  • बिजोलिया में 4 दिसंबर 1887 को जन्मे लोकनेता जिन्होंने श्री विजय सिंह पथिक से आजन्म देश सेवा का व्रत लिया।
  • वर्मा जी का पंछीड़ा गीत बहुत लोकप्रिय हुआ।
  • इन्होनें 1938 में मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना की।
  • इनके द्वारा लिखित पुस्तक मेवाड़ का वर्तमान शासन में सामंती शासन के अत्याचारों और जनता की दारुण दशा का वर्णन किया गया है।
  • वर्मा जी उदयपुर में गठित हुए संयुक्त राजस्थान के प्रधानमंत्री बने 1941 ईस्वी में इनके द्वारा बिजोलिया किसान आंदोलन की मांगे मनवाई गई।

गोकुल भाई भट्ट:-

  • इनका जन्म 1897 को महाशिवरात्रि के दिन सिरोही जिले के हाथल गांव में हुआ।
  • आबू का राजस्थान में विलय गोकुलभाई भट्ट के प्रयत्नों से हुआ यह सिरोही रियासत के प्रधानमंत्री तथा राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष रहे।
  • इन्हें पदम भूषण अलंकरण तथा जमनालाल बजाज पुरस्कार भी दिए गए।
  • गोकुलभाई भट्ट भूदान, ग्रामदान ,खादी नशाबंदी आदि सर्वोदय की विभिन्न रचनात्मक गतिविधियों के मसीहा थे।

पंडित हीरालाल शास्त्री:-

  • राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री जिनका जन्म 24 नवंबर 1899 में जोबनेर (जयपुर) में हुआ उन्होंने 1929 में वनस्थली( टोंक) में जीवन कुटीर नाम की संस्था स्थापित की इन की आत्मकथा प्रत्यक्ष जीवन शास्त्र थी इनका लोकप्रिय गीत प्रतीक्षा नमो नमः था।

 बाबा नरसिंह दास:-

  • यह राजस्थान में स्वाधीनता संग्राम के उन तीन भामाशाह (सेठ दामोदर दास राठी , सेठ घीसू लाल जाजोरिया ब्यावर और सेठ नरसिंह दास अग्रवाल नागौर ) में से एक थे जिन्होंने अपने लक्ष्य पूर्ति के लिए तन और मन के साथ ही अपनी पारिवारिक संपत्ति भी न्योछावर कि 1921 में इन्होंने अपना सारा धन गांधी जी को अर्पित किया और आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।

 प. अभिन्न हरि:-

  • हाडोती में स्वतंत्रता आंदोलन के सुधारक 1942 की क्रांति में ग्वालियर टैक मैदान कोटा से सम्मिलित होने वाले एकमात्र प्रतिनिधि थे। इनका मूल नाम बद्रीनाथ शर्मा था।

मोहन लाल सुखाड़िया:-

  • राजस्थान के शताब्दी पुरुष, नवनिर्माण के पुरोधा, आधुनिक राजस्थान के निर्माता यह 17 वर्ष तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे (1954 से 1971 तक)
  • यह 38 वर्ष की आयु में मुख्यमंत्री बनने वाले प्रथम नेता थे 1960 में काश्तकारी अधिनियम के द्वारा जोत की अधिकतम सीमा का निर्धारण किया।

सागरमल गोपा:-

  • जन्म - जैसलमेर 
  • इन्होंने सन 1915 में सर्व हितकारी वाचनालय की स्थापना की इस वाचनालय में राष्ट्रीय विचारों से ओतप्रोत पत्र पत्रिकाएं मंगवाई जाती थी।
  • जैसलमेर में गुंडाराज, रघुनाथ सिंह का मुकदमा, आजादी के दीवाने सागरमल गोपा द्वारा लिखित पुस्तकें हैं।
  • 1932 में रघुनाथ सिंह मेहता के साथ मिलकर जैसलमेर में माहेश्वरी नवयुग मंडल की स्थापना की।

टीकाराम पालीवाल:-

  • दौसा जिले में 1960 में जन्मे श्री पालीवाल राजस्थान के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री थे यह प्रदेश में भूमि सुधारों की जनक होने के साथ-साथ दस्यु समस्या एवं अराजकता के उन्मूलन के रूप में जाने जाते हैं।

बलवंत सिंह मेहता:- 

  • मेवाड़ प्रजामंडल के प्रथम अध्यक्ष का जन्म 8 फरवरी 1900 को उदयपुर में हुआ इन्होंने 1915 ई. में प्रताप सभा की स्थापना की इन्होनें  1929 ई. को लाहौर कांग्रेस और 1930 में कांग्रेस के कराची अधिवेशन में भाग लिया।
  • 1943 ई. में इन्होंने उदयपुर में वनवासी छात्रावास की स्थापना की यह भारतीय संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य और संविधान बनने पर उस पर हस्ताक्षर करने वाले प्रथम सदस्य थे।