राज्य सरकार
विधानसभा (अनुच्छेद 170)
- राज्य की व्यवस्थापिका = विधान मण्डल
- विधान मण्डल का उल्लेख - अनुच्छेद 168
- विधानमण्डल = राज्यपाल$ विधानसभा$ विधान परिषद्
- नोट - विधानमण्डल के तीन अंग तथा दो सदन होते है- विधान सभा तथा विधान परिषद
- जिस राज्य की विधायिका/व्यवस्थापिका का गठन राज्यपाल, विधान सभा व विधान परिषद से मिलकर होता है। उस राज्य की विधायिका को राज्य विधान मण्डल कहा जाता है।
- वर्तमान में राज्य विधान मण्डलों की संख्या - 7
- जिस राज्य की व्यवस्थापिका/विधायिका का गठन राज्यपाल व विधानसभा से मिलकर होता है उस राज्य की व्यवस्थापिका को राज्य विधान सभा कहा जाता है।
- वर्तमान में 22 राज्यों में राज्य विधानसभा है।
- राज्यों में विधान मण्डलों की कुल संख्या - 29
- केन्द्रशासित प्रदेशों में विधानमण्डलों की कुल संख्या- 2
- भारत में विधान मण्डलो की कुल संख्या - 31
- भारत में एक सदनात्मक (विधानसभा) कुल विधानमण्डल - 24
- राज्यों में एक सदनात्मक विधान मण्डल - 22
- केन्द्रशासित प्रदेशों में एक सदनात्मक विधानमण्डल - 2
- (दिल्ली व पुद्दुचेरी (पाण्डीचेरी))
- भारत में कुल द्विसदनात्मक (विधानसभा व विधान परिषद) विधान मण्डलों की संख्या-7
- गठन - उस राज्य की विधानसभा के द्वारा 2/3 बहुमत से प्रस्ताव पारित करके संसद के पास भेजा जाता है अगर संसद साधारण बहुमत से प्रस्ताव पारित कर दे तो उस राज्य में विधान परिषद का गठन हो जाता है।
- वर्तमान मेें भारत में कुल 7 विधान परिषद है जो निम्न लिखित है -
- जम्मु कश्मीर (36)
- उत्तर प्रदेश (99)
- बिहार (75)
- कर्नाटक (75)
- महाराष्ट्र (78)
- आन्ध्रप्रदेश (50)
- तेलगांना (40)
- योग्यता - न्यूनतम आयु 30 वर्ष
- किसी राज्य की विधान परिषद में अधिकतम सीटे उस राज्य की विधान सभा की सीटों का 1/3 भाग होता है।
- न्यूनतम सीटे - 40
- सर्वाधिक सीटें - 99 (यू.पी.)
- न्यूनतम सीटे - 36 (जम्मू एण्ड कश्मीर) अपवाद
- नोट - विधान परिषद् साधारण विधेयक को प्रथम बार अधिकतम 3 माह तक रोक सकती है। यदि विधानसभा ने वही विधेयक विधान परिषद को पुनः भेजा है तो विधान परिषद उसे अधिकतम एक माह तक रोक सकती है।
- कुल सदस्यों का 1/6 राज्यपाल के द्वारा मनोनित किये जाते है।
- कुल सदस्यों का 1/3 विधानसभा के सदस्यों द्वारा निर्वाचित किये जाते है।
- कुल सदस्यो का 1/3 स्थानीय निकायो के सदस्यों द्वारा निर्वाचित
- कुल सदस्यों का 1/12 सैकण्डरी स्तर के शिक्षकों द्वारा जिन्हे कम से कम 3 वर्ष का सैकण्डरी विद्यालय का अनुभव हो।
- कुल सदस्यों का 1/12 स्नातको के द्वारा जिन्हे कम से कम 3 वर्ष का अनुभव हो।
- निर्वाचन प्रणाली - प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनों
- पदाधिकारी - विधानपरिषद के सदस्य अपने में से एक सभापति व एक उपसभापति चुनते है। इन दोनों को विधान परिषद के सदस्य बहुमत द्वारा हटा सकते है। कोरम (गणपूर्ति) कम से कम 1/10 सदस्य।
विधानसभा (अनुच्छेद 170)
- विशेषताएं - विधान मण्डल का प्रथम, निम्न व अस्थाई तथा सबसे लोकप्रिय एवं जन प्रतिनिधि सदन है
- नोट - राज्य विधानसभा को 7वीं अनुसूची में वर्णित राज्य सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है।
- योग्यता - न्युनतम आयु 25 वर्ष
- निर्वाचन प्रणाली - प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा निर्वाचित
- कार्यकाल -(अनु. 172) - 5 वर्ष तक/विधानसभा के विश्वास तक
- अनु. 174 के तहत् राज्यपाल समय से पूर्व भी विधानसभा को भंग कर सकता है और समय से पूर्व भंग होने पर 6 माह में चुनाव कराना अनिवार्य होता है।
- ध्यात्वय रहे - अनु. 352 (राष्ट्रीय आपातकाल) के तहत् लागू आपातकाल में इसकी अवधि एक वर्ष तक संसद द्वारा बढायी जा सकती है परन्तु आपालकाल समाप्त होने के बाद 6 माह से अधिक समय तक विधानसभा को भंग नहीं रखा जा सकता।
- सदस्य संख्या - किसी भी राज्य की विधानसभा में सदस्यों की संख्या उस राज्य की जनसंख्या पर निर्भर करती है।
- प्रत्येक सदस्य कम से कम 75 हजार जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है।
- किसी भी विधानसभा में अधिकतम सीटे - 500
- न्यूनतम सीटे - 60
- सर्वाधिक विधानसभा की सीटे - यू.पी. (403)
- अपवाद स्वरूप सबसे कम सीटे - पांडेचरी (30), सिक्किम (32), मिजोरम (40), गोवा (40)
- अध्यक्ष - व उपाध्यक्ष इन दोनों का चुनाव विधानसभा के सदस्य अपने सदस्यों में से ही करते है। तथा इनका कार्यकाल विधानसभा के कार्यकाल तक होता है।
- अध्यक्ष अपना त्यागपत्र उपाध्यक्ष को तथा उपाध्यक्ष त्यागपत्र अध्यक्ष को देता है।
- पद से हटाने की प्रक्रिया - विधानसभा सदस्यों के बहुमत द्वारा।
- विधानसभा की बैठकों की अध्यक्षता करता है और सदन की कार्यवाही का संचालन करता है।
- सामान्य परिस्थिति में वह सदन में मतदान में भाग नहीं लेता लेकिन यदि किसी प्रष्न पर पक्ष और विपक्ष में बराबर मत आये, तो वह ‘निर्णयक मत’ का प्रयोग करता है।
- कोई विधेयक धन-विधेयक है अथवा नहीं इसका निर्णय करता है।
- दल-बदल सम्बन्धी याचिकाओं पर निर्णय देता है।