केन्द्रीय न्यायपालिका
सुप्रीम कोर्ट/सर्वोच्च/उच्चतम न्यायालय
नोट - संघीय न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायधिश मोरिस ग्वेयर थे।
योग्यताएं -
अनुच्छेद 124
अथवा
अथवा
नोट - सर्वोच्च न्यायालय के अधिकारों में वृद्धि व न्यायधीशों की संख्या में वृद्धि का अधिकार भारतीय संसद के पास है।
न्यायधीशों की नियुक्ति -
एन.जे.ए.सी. (राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग) -
कार्यकाल -
पद से हटाने कि प्रक्रिया -
नोट - अब तक महाभियोग से किसी भी न्यायधिश को हटाया नहीं गया है।
लोक अदालत
ग्राम न्यायालय
जनहित याचिका
सुप्रीम कोर्ट/सर्वोच्च/उच्चतम न्यायालय
- संविधान के भाग 5 व अनुच्छेद 124 से 147 तक सर्वोच्च न्यायालय से संबंधित प्रावधान किये गये है।
- भारत की शासन प्रणाली संघीय है किन्तु न्यायापालिका एकिकृत है।
- भारत में स्वतंत्र व सर्वोच्च न्याय व्यवस्था अमेरिका से ली गई है।
- 1773 ई. के रेग्यूलेटिंग एक्ट के द्वारा भारत में सर्वप्रथम 1774 ई को कोलकता में सर्वोच्च न्यायालय (एस.सी.) स्थापित किया गया।
- प्रथम मुख्य न्यायधीश - एलिजा ईम्फे
- 1935 भारत सरकार/शासन अधिनियम -
- इस अधिनियम के द्वारा 1 अक्टूबर 1937 को दिल्ली के संसद भवन में संघीय न्यायालय - फैडरल कार्ट आॅफ इण्डिया के नाम के स्थापित किया गया।
नोट - संघीय न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायधिश मोरिस ग्वेयर थे।
- सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरूद्ध ब्रिटिश संसद के उच्च सदन लार्ड सभा कि कानुनी समिति प्रिवी काॅसिल में अपील कि जा सकती थी।
- संविधान लागु होने के बाद 28 जनवरी 1950 को संघीय न्यायलय को सर्वोच्च न्यायलय कहा गया।
- अनुच्छेद 124 में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना एवं गठन का प्रावधान किया गया है।
- भारत का सबसे बड़ा न्यायालय
- अन्तिम अपीलिय न्यायालय है।
- भारतीय संविधान व मूल अधिकारों का रक्षक
- संविधान की व्याख्या का अधिकार
- सर्वोच्च न्यायालय का मुख्यालय - नई दिल्ली
- कुल न्यायधीशों की संख्या -
- मूलतः (28 जनवरी 1950) 1 $ 7 = 8
- 2008 से लेकर वर्तमान तक - 1 $ 30 = 31
- प्रथम मुख्य न्यायधीश - हीरालाल जे कानिया
- वर्तमान में मुख्य न्यायधीश - रंजन गोगोई
योग्यताएं -
अनुच्छेद 124
- एक या एक से अधिक उच्च न्यायालयों में लगतार कम से कम 5 वर्षो तक न्यायाधिष के रूप में कार्य कर चुका हो।
अथवा
- एक या एक से अधिक उच्च न्यायालयों में लगातार कम से कम 10 वर्ष अधिवक्ता रह चुका हो।
अथवा
- राष्ट्रपति की दृष्टि से विधि विशेषज्ञ हो।
नोट - सर्वोच्च न्यायालय के अधिकारों में वृद्धि व न्यायधीशों की संख्या में वृद्धि का अधिकार भारतीय संसद के पास है।
न्यायधीशों की नियुक्ति -
- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीष की नियुक्त राष्ट्रपति करता है तथा अन्य न्यायधीशों की नियुक्ति मुख्य न्यायाधीष के परामर्ष से राष्ट्रपति करता
- नोट - काॅलेजियम प्रणाली - 1993 में दिये गये निर्णय के अनुसार एक पांच (5) सदस्यी समिति होगी जिसमें सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायधीश होना अनिवार्य है। शेष सदस्य सर्वोच्च न्यायालय से ही होगें।
- नोट - इस प्रणाली की जगह न्यायधीशों की नियुक्ति के लिए भाजपा सरकार ने न्यायिक नियुक्ति आयोग का गठन किया।
एन.जे.ए.सी. (राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग) -
- नरेन्द्र मोदी कि सरकार ने 121 (99वां) संविधान संसोधन अगस्त 2014 में एन.जे.ए.सी. के गठन हेतु संविधान संसोधन किया गया।
- इसके द्वारा 1993 से न्यायधीशों कि नियुक्ति करने में चली आ रही काॅलेजियम प्रणाली को समाप्त कर उसके स्थान पर एन.जे.ए.सी. की स्थापना कि गई।
- इस आयोग में अध्यक्ष सहित 6 सदस्य होगें।
- अध्यक्ष - सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायधीश
- अन्य सदस्य -2 सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायधीश
- एक केन्द्रीय विधि/कानुन मंत्रि दो देश के प्रबुद्ध नागरिक
- दो प्रबुद्ध नागरिकों के चयन हेतु प्रधानमंत्री कि अध्यक्षता में तीन सदस्य चेन समिति का गठन किया गया।
- चेन समिति
- अध्यक्ष - प्रधानमंत्री अन्य सदस्य - केबिनेट मंत्री
- लोकसभा में विपक्ष का नेता/लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी का नेता।
- नोट - 16 अक्टूबर 2015 को सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्य समिति ने इसे अवैध घोषित कर दिया।
- नोट - वर्तमान में न्यायधीशों की नियुक्ति काॅलेजियम प्रणाली के आधार पर ही होती है।न्यायधीशों नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर की जाती है।
- शपथ - मुख्य न्यायाधीष को राष्ट्रपति द्वारा तथा अन्य न्यायाधीयों को मुख्य न्यायाधीष दिलाता है।
कार्यकाल -
- पद ग्रहण कि तिथि से 65 वर्ष तक कि आयु तक।
पद से हटाने कि प्रक्रिया -
- अनुच्छेद 124 में न्यायाधीषों को हटाये जाने (महाभियोग शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है) की प्रक्रियां का उल्लेख किया गया है।
- न्यायाधीषों को हटाये जाने की प्रक्रिया की शुरूआत संसद के किसी भी सदन में की जा सकती है।
- यदि लोकसभा करे तो 100 व राज्यसभा करें तो 50 सदस्यों
- हस्ताक्षर कर उसकी सुचना अपने अध्यक्ष को देते है।
- अध्यक्ष जांच करेगा व सही पाने पर एक तीन सदस्यी समिति बनाता है।
- समिति जांच करके यदि हां कर देते है तथा दो सदनों के विशेष बहुमत से पारित होने पर राष्ट्रपति हस्ताक्षर के बाद संबंधित न्यायाधिश उसी दिन पद हट जाता है।
- रामास्वामी - पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश।
- इसके विरूद्ध लोकसभा में महाभियोग कि प्रक्रिया को प्रारम्भ किया गया लेकिन दक्षिण भारत के कांग्रेस सांसदों के विरोध के कारण महाभियोग प्रस्ताव लोकसभा में पारीत नहीं हुआ।
- सोमित्र सेन - कलकता उच्.च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश इनके विरू़द्ध राज्य सभा में महाभियोग प्रस्ताव पारित कर दिया गया तथा लोकसभा में प्रस्ताव पेश होने से पूर्व इन्होंने राष्ट्रपति को त्यागपत्र दे दिया।
- पी डी दीनाकरण - सिकिम्म उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश इनके विरूद्ध राज्य सभा में महाभियोग प्रस्ताव पेश करने कि प्रक्रिया प्रारम्भ कि गई।
- प्रक्रिया प्रारम्भ होने से पहले ही इन्होंने राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र दे दिया।
नोट - अब तक महाभियोग से किसी भी न्यायधिश को हटाया नहीं गया है।
- अनुच्छेद 125(1) - वेतन व भत्ते
- मुख्य न्यायधीश 1 लाख मासिक
- अन्य न्यायधीश 90 हजार मासिक
- अनुच्छेद 126 - सर्वोच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीष नियुक्त का प्रावधान है।
- कार्यकारी मुख्य न्यायाधीष की नियुक्त राष्ट्रपति करता है।
- अनुच्छेद 127 - तदर्थ न्यायधीश
- यदि न्यायधीशों की गणपूर्ति (कोरम) पूरी नहीं होती है तो मुख्य न्यायधीश राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से अस्थाई न्यायधीशों की नियुक्ति कर सकता है।
- नोट- किसी उच्च न्यायालय के ऐसे न्यायाधीश को जो उच्चतम न्यायालय का न्यायधीश नियुक्त किये जाने कि योग्यता रखता हो।
- नोट- सर्वोच्च न्यायालय में तदर्थ न्यायधिशों की नियुक्ति सम्बन्धी प्रावधान फ्रांस से लिया गया है।
- नोट- तदर्थ न्यायाधीष केवल सर्वोच्च न्यायालय में ही नियुक्त किये जाते है। उच्च न्यायालय में नहीं ।
- सर्वोच्च न्यायालय का क्षेत्राधीकार तथा शक्तियां -
- अनुच्छेद 131 प्रारम्भिक /प्राथमिक अधिकार क्षेत्र
- ऐसे विवाद जिनमें एक तरफ भारत सरकार हो तथा दूसरी तरह एक या एक से अधिक राज्यों की सरकारें।
- ऐसे विवाद जिनमें एक तरफ एक या एकाधिक राज्य हों तथा दूसरी तरफ भी एक या एकाधिक राज्य हों।
- ऐसे विवाद जिनमें एक और भारत सरकार तथा एक या एकाधिक राज्य हो तथा दूसरी और एक या एकधिक राज्य हों।
- अपीलीय अधिकार क्षेत्र - (भारत का अंतिम अपिलिय न्यायालय)
- अनुच्छेद 132 - सवैधानिक मामलों की अपील
- अनुच्छेद 133 - दीवानी/सिविल मामलों के अपील
- अनुच्छेद 134 - फौजदारी मामलों की अपील
- अनुच्छेद 136 - वे अपील जो महान्यायवादी की पूर्व अनुमति से की जाती है।
- नोट-
- देश के सभी उच्च न्यायालयों के निर्णयों के विरूध अपील सुनने का अधिकार है।
- स्वयं अपने निर्णय के विरूद्ध भी अपील सुनने का अधिकार है।
- अनुच्छेद 137 के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय अपने निर्णय का पुनर्विलोकन भी कर सकता है।
- अभिलेखिय न्यायालय - (अनुच्छेद 129)
- सुप्रीम कोर्ट के सभी निर्णय एवं कार्यवाही प्रकाशित होती है जिसका सभी अधिनस्थ न्यायालय अनुसरण करते है।
- सविधान की व्याख्या का अधिकार
- परामर्श दात्री क्षेत्रधिकार - अनुच्छेद 143
- सर्वोच्च न्यायालय राष्ट्रपति को किसी संवैधानिक विषय के संदर्भ में अपना सुझाव दे सकता है परन्तु बाध्य नहीं है। तथा ना राष्ट्रपति बाध्यकारी है।
- न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति -
- संविधान के किसी भी अनुच्छेद में इस शक्ति का स्पष्ट नहीं किया गया है। परन्तु अनुच्छेद 13, 32, 132 तथा 133 के द्वारा प्रयोग करता है।
- संसद के द्वारा बनाये गये कानून अगर संविधान के विरूद्ध होता है तो उस कानून को सर्वोच्च न्यायालय निरस्त कर सकता है।
लोक अदालत
- न्यायपालिका कि नवीन अवधारणा जिसके अन्तर्गत स्थानीय स्तर के विभिन्न मुकदमों को स्थानीय न्यायधीशों द्वारा सम्बन्धित पक्षों में सहमति के आधार पर निर्णय देना।
- नोट-राज्य कि प्रथम लोक अदालत कोटा में स्थापित कि गई।
- लोक अदालतों कि संस्थापना प्रत्येक जिला मुख्यालय पर होती है।
ग्राम न्यायालय
- राजस्थान ग्राम न्यायालय अधिनियम 2008 के अन्तर्गत 2009 में बस्सी (जयपुर) में राज्य का प्रथम ग्राम न्यायलय स्थापित किया गया।
जनहित याचिका
- जनता के हित से जुड़े हुये विभिन्न विषयों को किसी व्यक्ति अथवा समूह द्वारा सर्वोच्च न्यायलय में प्रस्तुत करना इस प्रार्थना पत्र को जनहित याचिका कहते है।
- मुख्य न्यायाधीष पी.एन. भगवती को जनहीत याचिका का प्रणेता कहा जाता है।
- प्रथम दलित मुख्य न्यायाधीष - के.जी. बालकृष्णन
- प्रथम महिला न्यायाधीश - फातिमा बीबी।
- सर्वाधिक कार्यकाल के रूप में मुख्य न्यायधीष -
- वाई.वी. चन्द्रचुड़
- सबसे न्यूनतम कार्यकाल - कमल नारायण सिंह
- स्वतंत्र भारत में जन्म लेने वाले भारत के प्रथम मुख्य न्यायधिश - एस.एच. कपाडिया।