स्थानीय स्वशासन राज्य सूची का विषय है।
प्रकार - दो
1. ग्रामीण स्वशासन
2. शहरी स्वशासन
शासन काल शासन की छोटी ईकाई शासन का मुख्या
बौद्ध कालीन ग्राम ग्रामयोजक
गुप्तकाल ग्राम ग्रामीक/ग्रामणी
मुगलकाल ग्राम मुकदम
आधुनिक काल ग्राम संरपच
लार्ड मेयों ने 1870 ई. में राज्य प्रशासन को निम्न लिखित तीन विषयों - शिक्षा, स्वास्थ्य व पंचायत राज पर आर्थिक संसाधन उपलब्ध करावायें जाये।
ग्रामीण स्वशासन/पंचायती राज -
ग्राम स्तर - ग्राम पंचायत
खण्ड स्तर - पंचायत समिति
जिला स्तर - जिला परिषद्
11 अक्टूबर 1959 को आंध्रप्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था को प्रारम्भ करने वाला दुसरा राज्य था।
जिला स्तर - जिला परिषद
ग्राम स्तर - मण्डल पंचायत
जी.वी.के. राॅव समिति - 1985
राज्य स्तर - राज्य विकास परिषद
जिला स्तर - जिला परिषद
खण्ड स्तर - पंचायत समिति
ग्राम स्तर - ग्राम पंचायत
रिपोर्ट - पंचायती राज व्यवस्था के नियत कालीन चुनाव (5 वर्ष) होने चाहिए।
पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार के समय - 1992 में
संवैधानिक मान्यता प्राप्ति के बाद पंचायती राज अधिनियम को लागु करने वाला भारत का पहला राज्य ‘मध्यप्रदेश’
राजस्थान में पंचायत राज से सम्बंधित प्रमुख गठित समितियां सादिक अली समिति - 1964
सी.एम. मोहनलाल सुखाड़िया
रिपोर्ट - ग्राम पंचायत में ग्राम सेवक का पद सृजित किया जायें।
इस समिति कि सिफारिश पर राजस्थान में 73वें संविधान संसोधन को लागु किया।
प्राथमिक शिक्षा
कृषि
नोट: राजस्थान में वर्तमान में पंचायती राज के पास कुल 23 कार्य (विषय) है।
राजस्थान में पंचायती राज
वर्तमान में त्रिस्तरीय पचायती राज व्यवस्था है -
गठन
ग्राम पंचायत न्यु जनसंख्या 3000 न्यु सदस्य 9, अतिरिक्त सदस्य 1000 = +2
पंचायत समिति न्यु जनसंख्या 1 लाख, न्यु सदस्य 15, अतिरिक्त सदस्य 15000 = +2
जिला परिषद न्यु जनसंख्या 4 लाख, न्यु सदस्य 17, अतिरिक्त सदस्य 1 लाख = +2
निवार्चन प्रणाली -
शपथ - पीठासीन अधिकारी (Retarning Officer)
त्यागपत्र -
प्रधान - जिला प्रमुख
प्रशासनिक अधिकारी -
बैठक
पंचायत समिति
जिला परिषद - प्रत्येक 3 माह में 1 बार
ग्राम सभा - बैठक वर्ष में चार बार
अध्यक्षता - सरपंच
सदस्य - ग्राम पंचायत के सभी मतदाता
नोट - भारत में ग्राम सभा एक मात्र प्रत्यक्ष लोकतंत्र का उदाहरण हेै
पदेन सदस्य -
जिला परिषद -
शैक्षणिक योग्यता -
वेतन - राज्य वित्त आयोग
प्रकार - दो
1. ग्रामीण स्वशासन
2. शहरी स्वशासन
- स्थानीय स्वशासन का जनक - लार्ड रिपन
- 1882 ई. में लार्ड रिपन ने स्थानीय स्वशासन संस्थाओं के संदर्भ में एक प्रस्ताव पेश किया जिसे स्थानीय स्वशासन का मेग्नाकार्टा कहा जाता है।
शासन काल शासन की छोटी ईकाई शासन का मुख्या
बौद्ध कालीन ग्राम ग्रामयोजक
गुप्तकाल ग्राम ग्रामीक/ग्रामणी
मुगलकाल ग्राम मुकदम
आधुनिक काल ग्राम संरपच
लार्ड मेयों ने 1870 ई. में राज्य प्रशासन को निम्न लिखित तीन विषयों - शिक्षा, स्वास्थ्य व पंचायत राज पर आर्थिक संसाधन उपलब्ध करावायें जाये।
- भारत में आर्थिक/वित्तीय विक्रेन्दीकरण का जनक लार्ड मेया को माना जाता है।
- जे.एल. नेहरू ने स्थानीय स्वशासन को प्रजातंत्र का आधार स्तम्भ तथा लोकतंत्र कि प्रथम पाठशाला माना है जहां से स्थानीय लोग राजनीति सीखना प्रारम्भ करते है।
- लोकतंत्रात्मक विकेन्द्रीकरण स्थानीय स्वशासन में निहित है।
ग्रामीण स्वशासन/पंचायती राज -
- अनुच्छेद 40 - राज्य ग्राम पंचायतों का गठन करेगा।
- महात्मा गांधी ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक - My picture of free India में ग्राम स्वराज्य कि कल्पना कि थी।
- पंचायती राज से सम्बंधित प्रमुख समितियां -
- 2 अक्टूबर 1952 को भारत सरकार के द्वारा गांवों में विकास के लिए सामुदायिक विकास कार्यक्रम चलाया गया जो असफल रहा।
- अध्यक्ष - नरेन्द्र कुमार
- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की असफलता के बाद भारत सरकार ने बलवंत राय मेहता समिति का गठन (1957) किया।
- प्रधानमंत्री - जवाहरलाल नेहरू
- रिपोर्ट - त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था प्रारम्भ कि जायें।
ग्राम स्तर - ग्राम पंचायत
खण्ड स्तर - पंचायत समिति
जिला स्तर - जिला परिषद्
- नोट - इस समिति कि सिफारिस पर भारत सरकार ने 2 अक्टूबर 1959 को भारत में सर्वप्रथम राजस्थान राज्य के नागौर जिले के बगदरी गांव में पंचायती राज व्यवसथा को प्रारम्भ किया। जिसका उद्घाटन - जे.एल. नेहरू ने किया।
- नोट - 2 अक्टूबर 2009 को पंचायती राज व्यवस्था के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष पर बगदरी गांव में पंचायती राज स्मारक/मेमोरेण्डम कि स्थापना की जिसका उद्घाटन - सोनिया गांधी ने किया।
11 अक्टूबर 1959 को आंध्रप्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था को प्रारम्भ करने वाला दुसरा राज्य था।
- पंचायती राज का जनक - बलवंतराय मेहता।
- आधनिक पंचायती राज का जनक - राजीव गांधी।
- राजस्थान में पंचायती राज का जनक- मोहनलाल सुखाड़िया।
- अशोक मेहता समिति - 1977
- पी.एम. मोरार जी देसाई
- रिपोर्ट - द्विस्तरीय पंचायती राज शुरू कि किया जाये।
जिला स्तर - जिला परिषद
ग्राम स्तर - मण्डल पंचायत
जी.वी.के. राॅव समिति - 1985
- प्रधानमंत्री - राजीव गांधी
- रिपोर्ट - ग्रामीण विकास व गरीबी उन्मूलन कि सिफारिस।
- चार स्तरीय पंचायत राज व्यवस्था प्रारम्भ कि जाये।
राज्य स्तर - राज्य विकास परिषद
जिला स्तर - जिला परिषद
खण्ड स्तर - पंचायत समिति
ग्राम स्तर - ग्राम पंचायत
- नोट: पं. बंगाल में वर्तमान में चार स्तरीय पचायती राज व्यवसथा है।
- एल.एम. सिंघवी समिति- 1986
- पी.एम. राजीव गांधी
- रिपोर्ट - पंचायती राज व्यवथा को संवैधानिक मान्यता दि जाये।
- पंचायत राज व्यवस्था को वित्तीय संसाधन उपलब्ध करवाना।
- पी.के. थुगंन - 1988,
- पी.एम. राजीव गांधी
रिपोर्ट - पंचायती राज व्यवस्था के नियत कालीन चुनाव (5 वर्ष) होने चाहिए।
- -पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा दिया जाये।
- नोट: 1989 ई. में राजीव गांधी सरकार के समय पंचायती राज और शहरी स्वशासन से जुडे हुये 64वां व 65वां
- संविधान संसोधन लोकसभा में पारित किया गया परन्तु राज्य सभा में पारित नहीं हुये।
पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार के समय - 1992 में
- 73वां संविधान संसोधन, 74वां संविधान संसोधन किया गया।
- 73वां - 1992 - 11वीं अनुसूचि - पंचायती राज - भाग 9 - विषय 29 - अनुच्छेद 243 व 243 ए से ओ
- नोट - पंचायती राज अधिनियम 24 अप्रेल 1993 को भारत में लागु किया गया।
- पंचायती राज अधिनियम 23 अप्रेल 1994 को राजस्थान में लागु किया गया।
- नोट: पंचायती राज दिवस 24 अप्रेल को मनाया जाता है।
संवैधानिक मान्यता प्राप्ति के बाद पंचायती राज अधिनियम को लागु करने वाला भारत का पहला राज्य ‘मध्यप्रदेश’
- अनुच्छेद 243 - परिभाषाऐं
- अनुच्छेद 243A ग्राम सभा
- अनुच्छेद 243C पंचायतों का गठन
- अनुच्छेद 243D आरक्षण
- अनुच्छेद 243E कार्यकाल
- अनुच्छेद 243F योग्यता
- अनुच्छेद 243I वित्त आयोग
- अनुच्छेद 243K राज्य निर्वाचन आयोग
- वर्तमान मंे राजस्थान में मुख्य निर्वाचन आयुक्त प्रेमसिंह मेहरा
राजस्थान में पंचायत राज से सम्बंधित प्रमुख गठित समितियां सादिक अली समिति - 1964
सी.एम. मोहनलाल सुखाड़िया
- रिपोर्ट - ग्राम सभा व वार्ड सभा को संवैधानिक दर्जा दिया जाये।
- गिरधारी लाल व्यास कमेटी - 1973
- सी.एम. हरिदेव जोशी
रिपोर्ट - ग्राम पंचायत में ग्राम सेवक का पद सृजित किया जायें।
- नाथुराम मिर्धा समिति - 1993
- मुख्यमंत्री - भैरूसिंह शेखावत
इस समिति कि सिफारिश पर राजस्थान में 73वें संविधान संसोधन को लागु किया।
- गुलाबचंद कटारिया समिति - 2009
- मुख्यमंत्री - अशोक गहलोत
- रिपोर्ट - इस समिति ने यह कहा कि जिला प्रबन्ध समिति (आयोजना समिति) का अध्यक्ष कलेक्टर को हटाकर जिला प्रमुख को मनाया जाये।
- वी.एस. व्यास कमेटी - 2010
- सी.एम. अशोक गहलोत, इस कमेटी कि सिफारिश पर राज. सरकार द्वारा 2 अक्टूबर 2010 में पंचायत राज को 5 नये कार्य दिये गये। जो निम्न है -
प्राथमिक शिक्षा
कृषि
- सामाजिक न्याय व अधिकारिता
- महिला एवं बाल विकास
- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य
नोट: राजस्थान में वर्तमान में पंचायती राज के पास कुल 23 कार्य (विषय) है।
राजस्थान में पंचायती राज
- 1928 बीकानेर राज. में पहली देशी रियासत थी जिन्होंने ग्राम पंचायत अधिनियम बनाया।
- 1949 राज. में पंचायती राज विभाग कि स्थापना कि गई।
- 1953 राज. ग्राम पंचायत अधिनियम बनाया गया।
- राजस्थान में पंचायती राज के सर्वप्रथम चुनाव 1960 में हुये। राजस्थान में पंचायती राज कि विशेषताएं -
वर्तमान में त्रिस्तरीय पचायती राज व्यवस्था है -
- जिला परिषद - उच्च स्तर - 33 (वर्तमान)
- पंचायत समिति - मध्यम स्तर - 295 (वर्तमान)
- ग्राम पंचायत - निम्न स्तर - 9891 (वर्तमान)
गठन
ग्राम पंचायत न्यु जनसंख्या 3000 न्यु सदस्य 9, अतिरिक्त सदस्य 1000 = +2
पंचायत समिति न्यु जनसंख्या 1 लाख, न्यु सदस्य 15, अतिरिक्त सदस्य 15000 = +2
जिला परिषद न्यु जनसंख्या 4 लाख, न्यु सदस्य 17, अतिरिक्त सदस्य 1 लाख = +2
निवार्चन प्रणाली -
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जिला परिषद Election system |
- ग्राम पंचायत - Teacher
- पचायत समिति - RAS
- जिला परिषद - IAS
त्यागपत्र -
- वार्ड पंच व सरपंच - खण्ड विकास अधिकारी
- पंचायत समिति सदस्य - प्रधान
प्रधान - जिला प्रमुख
- जिला परिषद सदस्य - जिला प्रमुख
- जिला प्रमुख - सम्भागीय आयुक्त
प्रशासनिक अधिकारी -
- ग्राम पचायत - ग्राम सेवक
- पंचायत समिति - बी.डी.ओ. (खण्ड विका अधिकारी)
- जिला परिषद - सी.ई.ओ. (मुख्य कार्यकारी अधिकारी)
बैठक
- ग्राम पचायत - 15 दिन में 1 बार
- अध्यक्षता - सरपंच
- बैठक में भाग - वार्ड पंच
पंचायत समिति
- प्रत्येक माह में 1 बार
- अध्यक्षता - प्रधान
- भाग - सदस्य (ब्लाक मैबर)
जिला परिषद - प्रत्येक 3 माह में 1 बार
- अध्यक्षता - जिला प्रमुख
- भाग - जिला परिषद सदस्य
ग्राम सभा - बैठक वर्ष में चार बार
- 26 जनवरी
- 1 मई
- 15 अगस्त
- 2 अक्टूबर
अध्यक्षता - सरपंच
सदस्य - ग्राम पंचायत के सभी मतदाता
नोट - भारत में ग्राम सभा एक मात्र प्रत्यक्ष लोकतंत्र का उदाहरण हेै
- वार्ड सभा - वर्ष 2 बैठक (कभी भी)
- अध्यक्षता - वार्ड पंच
- सदस्य - वार्ड के सभी मतदाता
- पंचायती राज कि सबसे छोटी ईकाई वार्ड सभा
पदेन सदस्य -
- पंचायत समिति - पंचायत समिति में सभी ग्राम पंचायतों के सरपंच
- पंचायत समिति के क्षेत्र का विधान सभा सदस्य।
जिला परिषद -
- जिले में सभी पंचायत समितियों के प्रधान व जिला परिषद क्षेत्र के लोकसभा व विधानसभा सदस्य।
- पंचायत राज के प्रमुख प्रावधान
- योग्यता - न्यूनतम आयु - 21 वर्ष
- कार्यकाल - 5 वर्ष
शैक्षणिक योग्यता -
- वार्ड पंच - 5वीं पास,
- सरपंच - 8वीं पास,
- पंचायत समिति व जिला परिषद सदस्य - 10वीं पास
- नोट: नवम्बर 1995 के बाद जिस व्यक्ति के तीसरी सन्तान पैदा होती है वह इन चुनावों के लिए अयोग्य है।
- आरक्षण - एस.सी., एस.टी., ओ.बी.सी. को क्षेत्र कि जनसंख्या के आधार पर तथा महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण
- नोट: महिलाओं का आरक्षण चक्राकार है।
- पद से हटाने कि प्रक्रिया - दो वर्ष बाद ही अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। एक बार पारित न होने पर पुनः 1 वर्ष बाद लाया जाता है। प्रस्ताव पारित करने के लिए 3/4 बहुमत कि आवश्यता होती है।
- राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा करवाये जाते है। जिसकी अधिसूचना राज्यपाल के द्वारा जारी कि जाती है।
- वर्तमान में मुख्य राज्य निर्वाचन आयुक्त - प्रेमसिंह मेहरा
वेतन - राज्य वित्त आयोग
- लोक सभा व विधानसभा का सदस्य पंचायती राज का चुनाव नहीं लड़ सकता।
- व्यक्ति एक साथ किसी एक जगह से ही पंचायत राज का चुनाव लड़ सकता।
- जो व्यक्ति (ग्राम पंचायत) जिस जगह से चुनाव लड़ता है। उस मतदाता सूची में उसका नाम होना अनिवार्य है।
- 1996 का पैसा अधिनियम -
- सविधान के भाग 9 तथा 5वीं अनुसुचि में वर्णित क्षेत्रों पर लागु नहीं होता परन्तु संसद इन प्रावधानों को कुछ अपवादों तथा संशोधन करके उक्त क्षेत्रों पर लागु कर सकती है।
- यह अधिनियम वर्तमान में 9 राज्यों में लागु है - ओडिसा, मध्यप्रदेश, आन्ध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, झारखण्ड, छतीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश,
- ट्रिक - ओम आम खाकर रांझा बनकर छगु के साथ हिमाचल चला गया।
शहरी स्वशासन
- सन् 1687 ई. को भारत में सर्वप्रथम मद्रास में नगर निगम कि स्थापना कर शहरी स्वशासन को प्रारम्भ किया।
- सन् 1864 ई. को माउन्ट आबू में प्रथम नगर पालिका स्थापित करके राजस्थान में शहरी स्वशासन कि शुरूआत कि गई।
- राजस्थान की प्रथम निर्वाचित नगरपालिका ब्यावर।
- स्वतंत्रता के पश्चात राजस्थान में सर्वप्रथम 1951 में राजस्थान नगरपालिका अधिनियम पारित करके लागु किया गया।
- 1959 में संशोधित नगरपालिका अधिनियम पारित करके लागु किया गया।
- नोट - 74वां संविधान संशोधन (1992) केे द्वारा सविधान में अनुसूची 12 को जोड़ा गया।
- उल्लेख - शहरी निकाय
- भाग - 9 क
- विषय - 18
- अनुच्छेद 243 P (त) से 243 ZG (त छ)
- नोट: शहरी स्वशासन को 1 जुन 1993 को सम्पूर्ण भारत में एक साथ लागु किया गया।
शहरी स्वशासन के निकाय -
गठन -
- 1. नगर पालिका - न्युनतम जनसंख्या 20,000 - 1,00,000
- 2. नगर परिषद - न्युनतम जनसंख्या 1,00000 - 5,00000
- 3. नगर निगम - न्युनतम जनसंख्या 5,00000 से अधिक
- नोट: नगरपालिका व नगरपरिषद में न्युनतम सदस्य संख्या - 13
निर्वाचन प्रणाली -
- नगर निगम
- अध्यक्ष - मेयर/महापौर - अप्रत्यक्ष
- सदस्य - वार्ड पार्षद - प्रत्यक्ष
नगर परिषद
- अध्यक्ष - Chairperson/सभापति - अप्रत्यक्ष
- सदस्य - वार्ड पार्षद - प्रत्यक्ष
- नगर पालिका
- अध्यक्ष - Chairmen/सभापति - अप्रत्यक्ष
- सदस्य - वार्ड पार्षद - प्रत्यक्ष
- नोट - 2014 को राजस्थान सरकार अध्यादेश के द्वारा शहरी निकायों के अध्यक्षों की निर्वाचन प्रणाली को अप्रत्यक्ष किया गया।
- योग्यता - न्युनत्तम आयु 21 वर्ष
- शैक्षणिक योग्यता - 10वीं पास
- कार्यकाल - 5 वर्ष
- आरक्षण - महिलाओं को 33 प्रतिशत
- राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 के द्वारा महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया।
- 2010 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश द्वारा महिलाओं के 50 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगा दी गई।
अविश्वास प्रस्ताव
- दो वर्ष बाद कुल सदस्यों के 1/3 बहुमत से प्रस्ताव पेश किया जाता है। तथा प्रस्ताव पारित करने के लिये 3/4 बहुमत कि आवश्यकता होती है। प्रस्ताव पारीत करने के बाद Right to Recall का प्रावधान है।
- राजस्थान में अब तक एक बार Right to Recall का प्रयोग किया गया है।
- इसका प्रयोग 2012 में मंगरोल (बारा) नगरपालिका के अध्यक्ष अशोक जैन के विरूद्ध किया गया लेकिन जनमत संग्रह अशोक जैन के पक्ष में रहा।
- वर्तमान में नगरपलिका - 149
- वर्तमान में नगर परिषद - 34
- वर्तमान में नगर निगम - 7 (सभी संभाग मुख्यालयों पर)
प्रमुख अधिकारी -
- नगरपालिका - ई.ओ.
- नगर परिषद - सी.ई.ओ.
- नगर निगम - कमिश्नर (आयुक्त)
- नगरीय स्वशासन की अन्य संस्थाऐं -
- नगर विकास न्यास
- कुल संख्या - 15
- नगर विकास न्यास का अध्यक्ष - राज्य सरकार नियुक्त करती है।
- नगर विकास प्राधिकरण
- कुल संख्या - 3
- 1. जयपुर 2. जोधपुर 3. अजमेर (14 अगस्त 2013)
- नोट: राज. में एक मात्र छावनी मण्डल - नसीराबाद (अजमेर) जिसका अध्यक्ष कमांडिग आॅफिसर होता है।
जिला आयोजना समिति -
- अध्यक्ष - जिला प्रमुख
- कुल सदस्य - 25 (जिनमें 3 पदेन, 2 राज्य सरकार द्वारा मनोनित तथा 20 सदस्य जिले की ग्रामीण व नगरिय क्षेत्रों की जनसंख्या के अनुपात में जिला परिषद व नगर निकायों के निर्वाचित जन प्रतिनिधियों में से निर्वाचित होते है।
- अनुच्छेद - 243T आक्षरण
- अनुच्छेद - 243U कार्यकाल
- अनुच्छेद - 243V योग्यता
- नोट - स्थानिय स्वशासन की किसी भी संस्था के अध्यक्षता पद
- मध्यावधि में रिक्त होने पर अधिकत 6 माह में पुनः निर्वाचन होना आवश्यक है तथा पुनः निर्वाचित अध्यक्ष का कार्यकाल शेष अवधि के लिए होता है।